By पं. नरेंद्र शर्मा
इस वर्ष भद्रा का साया नहीं, जानें 9 अगस्त को राखी बांधने का सबसे शुभ समय और पूर्णिमा तिथि का महत्व।
धागे का एक कच्चा बंधन जब भाई की कलाई पर सजता है, तो यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक वचन जीवंत हो उठता है-स्नेह का, सुरक्षा का और अटूट विश्वास का। हर साल सावन की पूर्णिमा इस पवित्र पर्व को अपने साथ लाती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों की तरह, इस बार भी 2025 में तारीख को लेकर मन में संशय है। क्या राखी का यह पर्व 8 अगस्त को मनाया जाएगा या 9 अगस्त को? आइए, शास्त्रों और पंचांग की दृष्टि से इस दुविधा को समाप्त करें और जानें कि इस वर्ष रक्षाबंधन का भद्रामुक्त शुभ मुहूर्त कब है।
हिन्दू धर्म में किसी भी पर्व की तिथि का निर्धारण उदयातिथि के आधार पर होता है, अर्थात जो तिथि सूर्योदय के समय उपस्थित होती है, उसे ही पूरे दिन के लिए माना जाता है। इस नियम के अनुसार, रक्षाबंधन की सही तारीख और शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
चूंकि 9 अगस्त को सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी, इसलिए रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाना शास्त्रसम्मत और सर्वाधिक शुभ है।
इस वर्ष की सबसे विशेष बात यह है कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं है, जिससे बहनें बिना किसी चिंता के अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं।
रक्षाबंधन केवल धागे का एक त्योहार नहीं है, यह भावनाओं का एक गहरा बंधन है। जब बहन भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती है, तो वह न केवल उसकी लंबी आयु और सफलता की कामना करती है, बल्कि उस धागे में अपनी श्रद्धा और विश्वास को भी पिरो देती है। यह सूत्र एक आध्यात्मिक कवच के रूप में भाई की नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करता है। वहीं, भाई इस वचन के साथ उपहार देता है कि वह जीवन भर अपनी बहन की ढाल बनकर खड़ा रहेगा। यह पर्व बिखरे हुए परिवारों को एक साथ लाने और रिश्तों की मिठास को फिर से जीवंत करने का एक पवित्र अवसर है।
विषय | तिथि और समय |
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पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 8 अगस्त 2025, दोपहर 02:12 बजे |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 9 अगस्त 2025, दोपहर 01:21 बजे |
रक्षाबंधन की सही तारीख | 9 अगस्त 2025, शनिवार (उदयातिथि के अनुसार) |
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त | सुबह 05:35 बजे से दोपहर 01:24 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त (अति शुभ) | दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक |
भद्रा का साया | इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं है। |
इस भद्रामुक्त पूर्णिमा पर, जब बहनें अपने भाइयों के लिए मंगलकामनाएं करेंगी, तो यह रक्षासूत्र केवल एक धागा नहीं, बल्कि विश्वास, प्रेम और सुरक्षा का एक अभेद्य कवच साबित होगा। यह एक ऐसा दिन है जब रिश्ते औपचारिकताओं से ऊपर उठकर आत्मा से जुड़ते हैं। इस शुभ अवसर पर दिए गए मुहूर्त में राखी बांधकर इस पर्व की दिव्यता को आत्मसात करें और अपने रिश्तों को और भी गहरा बनाएं।
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