By पं. अमिताभ शर्मा
अखंड सौभाग्य, आरती और देवी गौरी की स्तुति का आध्यात्मिक महत्व
आज 26 मई 2025 को पूरे देश में वट सावित्री व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। सुहागिन महिलाएं इस दिन देवी गौरी और वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र, सुख-शांति और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। इस व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है, और पूजा के अंत में की जाने वाली देवी गौरी की आरती विशेष फलदायी मानी जाती है।
वट सावित्री व्रत में व्रती स्त्रियां वटवृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा करती हैं, जिसमें देवी सावित्री का वास माना जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर गौरी-सावित्री की कथा सुनती हैं, पूजा करती हैं, और फिर आरती गाकर देवी को प्रसन्न करती हैं।
जय जय गिरिराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
मोर मनोरथ जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबही के॥
कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं।
अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥
बिनय प्रेम बस भई भवानी।
खसी माल मुरति मुसुकानि॥
सादर सियं प्रसादु सर धरेऊ।
बोली गौरी हरषु हियं भरेऊ॥
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सूचि साचा।
सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटि चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरूं।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।
भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
आरती करना देवी को प्रेमपूर्वक नमन करने का सर्वोत्तम तरीका है। माना जाता है कि व्रत कथा और पूजन के बाद आरती गाने से देवी गौरी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और स्त्री को अखंड सौभाग्यवती, संतति सुख, और पारिवारिक शांति का आशीर्वाद देती हैं।
इस दिन विशेष रूप से "जय अम्बे गौरी" आरती का गान करने से आत्मिक शक्ति मिलती है और वैवाहिक जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
वट सावित्री व्रत नारी शक्ति, प्रेम, त्याग और संकल्प का प्रतीक पर्व है। देवी गौरी की स्तुति और आरती इस व्रत को पूर्णता देती है। इस विशेष दिन पर आरती के माध्यम से देवी को प्रसन्न कर अपने जीवन को मंगलमय बनाएं।
अनुभव: 32
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