By पं. संजीव शर्मा
नवरात्रि प्रथम दिवस - माँ शैलपुत्री और उनका आध्यात्मिक, ज्योतिष और चक्र संबंध
नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से होती है और इसका प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री को समर्पित है। माँ शैलपुत्री नवरात्रि के नौ दिव्य रूपों में प्रथम स्थान रखती हैं। इन्हें हिमालय पुत्री कहा जाता है, तथा ये सती भवानी, पार्वती और हेमवती नामों से भी प्रख्यात हैं। माँ दुर्गा का यही स्वरूप प्रकृति, साहस, स्थिरता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
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माँ शैलपुत्री की प्रतिमा वृषभ (बैल) पर सवार दिखती है। दाएँ हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का फूल है। उनके सिर पर अर्धचंद्र है, जो चन्द्रमा की शीतलता और संतुलन का प्रतीक है। यह स्वरूप पृथ्वी, आस्था, नारी शक्ति और सृष्टि के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
मुख्य प्रतीक तालिका
तत्व | अर्थ | महत्व |
---|---|---|
वृषभ | स्थिरता, शक्ति | स्थायी उन्नति, दृढ़ता |
त्रिशूल | साहस, शुरुआत | बाधा को दूर करने की क्षमता |
कमल | शुद्धता, सुंदरता | आध्यात्मिक चेतना |
अर्धचंद्र | मनोबल, सौम्यता | मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन |
नवरात्रि के प्रथम दिन लाल रंग का महत्व अत्यधिक होता है। माँ को लाल रंग के वस्त्र, लाल फूल और मिठाई विशेष रूप से अर्पित की जाती हैं। माँ को गाय का दूध, केला, मिश्री एवं सफेद फूल भी अनुष्ठान में प्रिय हैं।
माँ शैलपुत्री का अधिपति ग्रह चन्द्रमा है, जो मन, भावनाओं, संबंधों और शांति का प्रतीक है। शैलपुत्री की पूजा से चन्द्र दोष दूर होता है, जिससे मनोबल, मानसिक शांति और परिवार में सुख-संतुलन मिलता है। जिनके जीवन में तनाव, चिंता, या भावनात्मक असंतुलन है, उन्हें शैलपुत्री पूजा से दिव्य ऊर्जा मिलती है।
ज्योतिषीय तालिका
चन्द्र प्रभाव | पूजा का लाभ | माँ शैलपुत्री की कृपा |
---|---|---|
भावनात्मक अस्थिरता | संतुलन, मानसिक शांति | चिंता, तनाव में राहत |
पारिवारिक तनाव | सुव्यवस्था, मेल | परिवार में प्रेम और सहयोग |
व्यवसाय में बाधा | सफलता, उत्साह | समृद्धि, नई ऊर्जा |
ग्रहण योग | दोष निवारण | सुख, निर्धारण |
शैलपुत्री बीज मंत्र:
|| ओम् शां शीं शूं शैलपुत्र्यै नमः ||
शैलपुत्री प्रार्थना:
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
शैलपुत्री स्तुति:
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
शैलपुत्री ध्यान:
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
शैलपुत्री कवच:
ॐ शैलपुत्र्यै कवचं पठेत्।
शिरः रक्षतु शैलपुत्री, ललाटं रक्षतु पार्वती।
नेत्रं रक्षतु गौरी, कर्णं रक्षतु महेश्वरी।
नासिकां रक्षतु शिवप्रिया, मुखं रक्षतु शूलधारिणी।
कण्ठं रक्षतु हेमवती, भुजं रक्षतु दुर्गा।
हृदयं रक्षतु सती, नाभिं रक्षतु जगदम्बा।
गुह्यं रक्षतु चामुंडा, पादौ रक्षतु भवानी।
सर्वांगं रक्षतु शैलपुत्री, सर्वदा सर्वतः रक्षतु॥
शैलपुत्री आरती:
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम ही जगदम्बा माता।
सुरवर विष्णु ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता॥
मूलाधार चक्र, जिसे 'Root Chakra' कहा जाता है, मानव शरीर की ऊर्जाओं की नींव है। माँ शैलपुत्री इसी चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस चक्र का रंग लाल होता है और यह जीवन में स्थिरता, आत्मबल, सुरक्षा और समर्पण का स्रोत है। पूजा के दौरान लाल रंग पहनना और मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना साधक को स्थिरता और आत्मविश्वास देता है।
चक्र तालिका
चक्र | गुण | लाभ |
---|---|---|
मूलाधार | स्थिरता, सुरक्षा | आत्मबल, संतुलन |
अर्धचंद्र | भावनात्मक संतुलन | मानसिक शांति |
पूजा तालिका
क्रिया | उद्देश्य |
---|---|
कलश स्थापना | ऊर्जा का शुद्धिकरण |
फूल व वस्त्र | माँ को प्रसन्न करना |
बीज मंत्र जाप | चन्द्र दोष पर नियंत्रण |
आरती | सकारात्मक ऊर्जा संग्रह |
माँ शैलपुत्री राजा दक्ष की पुत्री थीं। पूर्व जन्म में वे सती थीं। पिता द्वारा शिव का अपमान देख वे यज्ञ अग्नि में कूद गईं। इसके बाद वे हिमालय की पुत्री बनकर पार्वती के रूप में जन्मीं और शिव से विवाह किया। यह कथा त्याग, साहस और निष्ठा की मिसाल है।
पहली नवरात्रि का दिन आध्यात्मिक ऊर्जा की जागृति और नवरात्रि के नौ दिनों के साधन की शुरुआत को दर्शाता है। माँ शैलपुत्री का प्रारंभिक पूजन जीवन में शक्ति, संतुलन, भावनात्मक स्थिरता का संदेश देता है।
मंत्र, ध्यान, स्तुति और कवच का जप सकारात्मक ऊर्जा, सुरक्षा और दिव्यता लाता है।
शैलपुत्री बीज मंत्र:
|| ओम् शां शीं शूं शैलपुत्र्यै नमः ||
शैलपुत्री प्रार्थना:
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
शैलपुत्री स्तुति:
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
शैलपुत्री ध्यान:
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
शैलपुत्री कवच:
ॐ शैलपुत्र्यै कवचं पठेत्।
शिरः रक्षतु शैलपुत्री, ललाटं रक्षतु पार्वती।
नेत्रं रक्षतु गौरी, कर्णं रक्षतु महेश्वरी।
नासिकां रक्षतु शिवप्रिया, मुखं रक्षतु शूलधारिणी।
कण्ठं रक्षतु हेमवती, भुजं रक्षतु दुर्गा।
हृदयं रक्षतु सती, नाभिं रक्षतु जगदम्बा।
गुह्यं रक्षतु चामुंडा, पादौ रक्षतु भवानी।
सर्वांगं रक्षतु शैलपुत्री, सर्वदा सर्वतः रक्षतु॥
शैलपुत्री आरती:
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम ही जगदम्बा माता।
सुरवर विष्णु ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता॥
नवरात्रि के दूसरे दिन और माँ ब्रह्मचारिणी पूजा के बारे में यहाँ पढ़ें।
नवरात्रि के पहले दिन चन्द्रमा की स्थिति, तिथि, तथा ग्रहों की चालपूजन की ऊर्जा को प्रभावित करती है। यदि चन्द्रमा वृष राशि में उच्च है तो विशेष शांति एवं संतुलन मिलता है। यदि कोई ग्रहण या दोष है तो सफेद फूल, गाय का दूध, या “ॐ शैलपुत्र्यै नमः” का जाप करना चाहिए। अपने चन्द्र राशि अनुसार पूजन करें जिससे आगामी नवरात्रि में ऊर्जा एवं भावनाएँ संतुलित रहें।
लाल रंग, जो मूलाधार चक्र का प्रतीक है, पहनना शुभ होता है।
लाल या सफेद फूल, गाय का दूध, केला, मिश्री, घी का दीपक, कलश आदि।
मंत्र जाप, सफेद फूल या गाय का दूध, तथा ध्यान व पूजा से चन्द्र दोष दूर होता है।
त्याग, साहस, संतुलन और समर्पणयही संदेश इस कथा से मिलता है।
लाल रंग का वस्त्र पहनें, ध्यान करें और माँ के मंत्र का जाप करें; इससे मूलाधार चक्र सशक्त होता है।
माँ शैलपुत्री केवल शक्ति और स्थिरता का ही सार नहीं हैं बल्कि वर्तमान जीवन की चुनौतियों में साहस, धैर्य और सकारात्मकता प्राप्त करने का भी आधार हैं। माँ की पूजा से परिवार, भावनाएँ, संबंध, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जाएँ संतुलित होती हैं। माँ का आशीर्वाद हर साधक को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए प्रेरित करता है।
क्या आप नवरात्रि के प्रत्येक दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं?
पंचांग में मुहूर्त देखेंअनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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