By पं. अभिषेक शर्मा
चतुर्थ भाव में बृहस्पति के प्रभाव, सुख, समृद्धि, घर, संबंध और उपाय

चतुर्थ भाव मन का आंगन, घर-परिवार का केंद्र और सुख-सुविधाओं का आश्रय माना जाता है। इस स्थान पर बृहस्पति के आने से जीवन में करुणा, उदारता और स्थायित्व की धारा सुचारु होती है। चंद्रमा का घर होने से यहां बृहस्पति उच्च भाव में माना जाता है, इसलिए यह स्थिति सामान्यतः उत्तम फल देती है और समय के साथ भाग्य, धन और सामाजिक सम्मान में बढ़ोतरी कराती है।
उपाय
बृहस्पति सुख, ज्ञान, करुणा और संरक्षण देने वाला ग्रह है। इस भाव में इसकी स्थिति व्यक्ति को समझदार, सभ्य, दयालु और आध्यात्मिक बनाती है। सीखने की गति तेज होती है, निर्णय में स्थिरता आती है और जीवनशैली रचनात्मक तथा उत्पादक बनती है। वित्तीय सफलता, घर और वाहन सुख, रियल एस्टेट में प्रगति और सामाजिक प्रतिष्ठा के संकेत प्रबल होते हैं।
| प्रभावित क्षेत्र | मुख्य परिणाम |
|---|---|
| संपत्ति | घर, वाहन, भूमि और सुख-सुविधाओं में वृद्धि |
| वित्त | स्थिर आय, व्यवसाय में लाभ, सरकारी मान्यता की संभावना |
| आध्यात्मिकता | धार्मिक रुचि, उदारता, दान और सेवा का भाव |
| बुद्धिमत्ता | तेज सीखने की क्षमता, परिपक्व निर्णय |
| संबंध | परिवार में समरसता, विशेषकर विपरीत लिंग के साथ मधुरता |
| घरेलू मामले | घर में आनंद, सुकून और व्यवस्थित जीवन |
| रियल एस्टेट | निवेश में लाभ, अप्रत्याशित लाभ के योग |
| चुनौती | उचित दृष्टि और संतुलन |
|---|---|
| भावनात्मक निर्णय | तथ्य आधारित सोच, वरिष्ठों की सलाह |
| आर्थिक अस्थिरता | सुरक्षित निवेश, विविध पोर्टफोलियो |
| संबंधों में तनाव | शांत संवाद, पारिवारिक समय और सम्मान |
| संपत्ति में हानि | कानूनी जांच, दस्तावेजों की सावधानी |
बृहस्पति की दृष्टि से घर का माहौल सौम्य रहता है। साझेदारी में समझदारी, टकराव में कमी और मिलकर निर्णय लेने की प्रवृत्ति बढ़ती है। घरेलू शांति, बुजुर्गों का आशीर्वाद और बच्चों के लिए अनुकूल वातावरण बनता है।
चतुर्थ भाव में बृहस्पति घर, मन और स्थायित्व को सुख और गरिमा से भर देता है। जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता है, धन, सम्मान और सुविधा के अवसर भी बढ़ते हैं। संतुलित निर्णय, सादगी और सेवा का भाव इस योग को दीर्घकालीन शुभ फल में बदल देता है। यह स्थिति बताती है कि सच्चा सुख घर की शांति, संबंधों की गर्मजोशी और जिम्मेदार समृद्धि में ही खिलता है।

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