By पं. संजीव शर्मा
विवाह, दांपत्य तनाव, साझेदारी और मंगल दोष के ज्योतिषीय संकेत
ज्योतिषशास्त्र में सप्तम भाव विशेष रूप से विवाह, साझेदारी, जीवनसाथी और व्यक्तिगत तालमेल का द्योतक है। जब मंगल ग्रह इस भाव में स्थित होता है, तो रिश्तों, विवाह और साझेदारी में कई प्रकार की चुनौतियां और सीख दोनों साथ आती हैं। सप्तम स्थान का मंगल केवल दाम्पत्य जीवन ही नहीं, बल्कि व्यक्ति की सामाजिक छवि, बहस और धन-संपत्ति के मामले में भी अहम भूमिका निभाता है।
जीवन क्षेत्र | मंगल का सप्तम में असर |
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विवाह/रिश्ते | विलंब, तनाव, अलगाव, कठोरता |
जीवनसाथी | दुख, असहजता या स्वास्थ्य दिक्कत |
वाणी | बहस, तर्कशील, कठोर, जल्दी क्रोध |
धन/व्यय | अनावश्यक खर्च, आर्थिक नुकसान |
स्वास्थ्य | पेट, वात, त्वचा व रक्त विकार |
कानूनी मसले | मुकदमेबाजी से हानि |
परिवार | पिता और बड़े भाई-बहन में तनाव |
मंगल की स्थिति | प्रभाव |
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बली मंगल | साहस, स्पष्टता, रिश्तों में नेतृत्व |
निर्बल/पीड़ित | रिश्तों में तनाव, स्वास्थ्य समस्याएँ, आर्थिक हानि |
मंत्र | उच्चारण | अर्थ |
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मंगल वैदिक मंत्र | ॐ अग्निमूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या अयम् अपां रेतांसि जिन्वति।। | वह अग्नि जो आकाश का मुकुट है और पृथ्वी का स्वामी है, जल में प्राण संचार करता है। |
मंगल तांत्रिक मंत्र | ॐ अं अङ्गारकाय नमः। | अङ्गारक (मंगल) को नमस्कार। |
मंगल बीज मंत्र | ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः। | भौम (मंगल) का श्रद्धापूर्वक आह्वान। |
सप्तम भाव में मंगल दाम्पत्य और साझेदारी में ऊर्जावान चुनौतियों के साथ आत्म-शक्ति, समझदारी और संयम भी सिखाता है। संबंधों में संतुलन, विचारों और संवाद में सकारात्मक सोच तथा उपायों की निरंतरता व्यक्ति को स्थायी रिश्ते, सुख और सफलता की ओर अग्रसर कर सकती है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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