By पं. संजीव शर्मा
अष्टम भाव में मंगल का फल, स्वास्थ्य, संकट, दांपत्य और बाधाओं पर ज्योतिष संकेत
ज्योतिष के अष्टम भाव को जीवन की गहराइयों, अचानक आने वाले संकटों, रहस्यों, गुप्त शक्तियों और पुनर्जन्म जैसी अवधारणाओं से जोड़ा जाता है। जब मंगल ग्रह इस भाव में स्थित होता है, तो जातक के जीवन में चुनौती, आंतरिक द्वंद्व और अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव स्पष्ट महसूस होते हैं। अष्टम भाव का मंगल व्यक्ति को साहसी तो बनाता है, लेकिन इसके साथ कई संवेदनशील आयाम भी जोड़ता है।
जीवन क्षेत्र | अष्टम मंगल का प्रभाव |
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स्वास्थ्य | गुदा रोग, फोड़े-फुंसी, जोखिम |
धन व संपत्ति | आग, चोरी, या घटनाओं से घाटा, संचय की कमी |
संबंध | जीवनसाथी में विलक्षणता, पर चुनौतियाँ भी |
वाणी | कड़वाहट, विवाद, छोटे भाई का क्रोधी स्वभाव |
व्यक्तिगत प्रवृत्तियाँ | विषय वासनाएं, तंत्र-विधान में रुचि |
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जर्न्मकुंडली में अष्टम भाव में मंगल हो तो मांगलिक दोष निर्मित होता है, जो दांपत्य जीवन में बाधाएं, विलंब, तनाव व अचानक स्थितियां ला सकता है। इस दोष की शांति के लिए नियमित मंगल उपाय, मंगलवार का व्रत, मंगल यंत्र, मूंगा रत्न तथा हनुमान चालीसा पाठ को विशेष प्रभावशील माना गया है।
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मंगल की दशा | परिणाम |
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बली मंगल | साहस, रोग प्रतिरोध, विपरीतता में जिजीविषा |
निर्बल या पीड़ित | घातक घटनाएं, स्वास्थ्य हानि, आर्थिक संघर्ष |
मंत्र | Transliteration | अर्थ |
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मंगल वैदिक मंत्र | Om agnimurdha divah kakutpatih prithivya ayam apam retamsi jinvati. | वह अग्नि जो आकाश का मुकुट है और पृथ्वी का स्वामी है, जल को जीवन देती है। |
मंगल तांत्रिक मंत्र | Om am angarakaya namah. | अंगारक (मंगल) को नमस्कार। |
मंगल बीज मंत्र | Om kram krim kroum sah bhaumaya namah. | भौम (मंगल) को विनम्र प्रणाम। |
अष्टम भाव में मंगल जातक की कुंडली में छिपी ऊर्जा, अनदेखे संकट और जीवन की चुनौतियों का केंद्र होता है। नियमित उपाय, संयमित आचरण और सजगता के साथ व्यक्ति जीवन की गहराइयों से शक्ति, साहस और आत्म-विश्वास अर्जित कर सकता है। यही आंतरिक संतुलन जीवन को हर हाल में स्थायित्व और सफल कार्यों की ओर ले जाता है।
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इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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