By पं. अभिषेक शर्मा
विसर्जन से जुड़ी परंपराएं, उपायऔर अनंत चतुर्दशी की तिथि जानिए
इस वर्ष गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025, बुधवार को मनाई गई थी, जब भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का स्वागत पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ हुआ। दस दिनों तक चली पूजा-अर्चना, आरती और प्रसाद की शृंखला 6 सितंबर 2025, शनिवार को समाप्त होगी - जब अनंत चतुर्दशी के शुभ अवसर पर गणपति बप्पा का विसर्जन होगा।
भक्तों के लिए यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि एक गहन आध्यात्मिक अनुभव होता है। मूर्ति के जल में विसर्जन का अर्थ केवल विदाई नहीं बल्कि जीवन की नश्वरता को स्वीकार करना, आसक्ति का त्याग करना और उस परम सत्ता में सब कुछ समर्पित कर देना है।
हर वर्ष जब गणपति बप्पा घर में विराजते हैं तब भक्त उनकी उपस्थिति को सुख, ज्ञान और मंगल का प्रतीक मानते हैं। लेकिन जब विसर्जन का समय आता है, तो यही उत्सव एक आत्ममंथन की प्रक्रिया बन जाता है। भगवान को ससम्मान विदा करना हमें यह सिखाता है कि संसार में जो कुछ भी है, वह क्षणिक है। यह त्याग का वह भाव है, जिसमें प्रेम और श्रद्धा के साथ हम उन्हें विदा करते हैं, यह विश्वास करते हुए कि वह फिर आएंगे।
विसर्जन के दिन कुछ विशेष उपाय और अनुष्ठान करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है बल्कि बुध ग्रह की शुभता भी बढ़ती है। इससे वाणी, बुद्धि और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
पूरे उत्सव के दौरान प्रतिदिन गणपति को लाल फूल अर्पित करने से मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है। यह साधना जैसा प्रभाव देता है।
विसर्जन से ठीक पहले चार नारियलों को एक धागे में पिरोकर गणपति को अर्पित करें। यह बाधाओं को दूर करता है और रुके हुए कार्यों में सफलता दिलाता है।
गणेश उत्सव के किसी भी दिन या विशेष रूप से विसर्जन के दिन हाथी को हरा चारा देना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए कारगर होता है जिनके जीवन में व्यक्तिगत संघर्ष चल रहे हैं।
विसर्जन के दिन कच्चे सूत में सात गांठें बांधकर “जय गणेश काटो क्लेश” मंत्र का जाप करें और इस धागे को अपने पास रखें। यह धागा नए कार्यों की शुरुआत में सफलता देता है।
हर भक्त परिवार अपने श्रद्धा और समयानुसार विसर्जन की तिथि चुनता है। कोई डेढ़ दिन, तो कोई तीन, पांच या सात दिन पर भी विसर्जन करता है। परंतु अनंत चतुर्दशी के दिन का विशेष महत्व है। यह तिथि “अनंत” की अवधारणा से जुड़ी है - वह शाश्वत तत्व जो सब कुछ अपने में समेट लेता है।
जब बप्पा का विसर्जन होता है तब भक्तों की आंखें नम हो जाती हैं, लेकिन मन आश्वस्त रहता है। यह केवल मिट्टी की मूर्ति का अंत नहीं बल्कि एक चक्र का पूर्ण होना होता है। मूर्ति जो मिट्टी से बनी थी, वह अब जल में विलीन होकर पुनः प्रकृति का हिस्सा बन जाती है। यह वैदिक जीवनदर्शन का सुंदर चित्र है - सृष्टि, स्थिति और संहार का।
1. गणपति विसर्जन 2025 की मुख्य तिथि क्या है?
6 सितंबर 2025, शनिवार - अनंत चतुर्दशी के दिन।
2. विसर्जन के कौन-कौन से शुभ उपाय बताए गए हैं?
लाल फूल अर्पण, नारियल की माला, हाथी को चाराऔर सात गांठ का सूत।
3. क्या विसर्जन केवल दसवें दिन किया जा सकता है?
नहीं, डेढ़, तीन, पांच, या सातवें दिन भी विसर्जन किया जाता है।
4. क्या ये उपाय केवल विसर्जन के दिन करने चाहिए?
नहीं, पूरे गणेश उत्सव के दौरान इन उपायों को किया जा सकता है।
5. विसर्जन का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
यह जीवन की क्षणभंगुरता को समझने, त्याग और समर्पण का अभ्यास करने की प्रक्रिया है।
अनुभव: 19
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