By पं. संजीव शर्मा
भक्ति, सेवा, साहस एवं विनम्रता की मिसाल
हनुमान का चरित्र रामायण काल से आज तक समाज में प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। उनकी कहानियाँ सिर्फ वीरता की नहीं वरन् सेवा, भक्ति, विवेक और विनम्रता की भी परिचायक हैं। 2025 में हनुमान जयंती पर उनके जीवन के विविध पहलुओं को समझना हमें आधुनिक जीवन में इन मूल्यों को आत्मसात करने में सहायता करेगा।
हनुमान का जन्म माता अंजना और वानर राजा केसरी के घर हुआ। उनके पिता वायु देव के वरदान से शक्ति और गति के अवतार थे। बचपन में ही उनका असर दिखा जब उन्होंने सूर्य को फल समझकर निगलने का प्रयास किया। इस घटना से पढ़ने को मिलता है कि सीमित दृष्टि में पारलौकिक सत्य का महत्व कितना अधिक होता है।
हनुमान की सभी लीलाएँ भक्ति और सेवा के आदर्श प्रस्तुत करती हैं। संजीवनी पर्वत लाकर लक्ष्मण की रक्षा करना केवल एक शारीरिक साहस नहीं था। यह अनन्य भक्ति का द्योतक भी था। उन्होंने स्वयं को परमार्थ के लिए समर्पित किया और कभी स्वार्थ नहीं सोचा।
यह सर्वथा मूल पाठ है कि वास्तविक शक्ति बाहरी बल में नहीं बल्कि हृदय की भक्ति और समर्पण में निहित है। जहाँ अन्य नायक अपनी प्रतिभा दिखाने को आतुर होते हैं, हनुमान ने सभी उत्साह सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
लंका जाने का प्रसंग एक गहन संदेश देता है। भले ही उन्होंने अपनी शक्ति भूलकर पहले संदेह जताया, पर जब उन्हें याद दिलाया गया तो उनके भीतर छिपी अपार क्षमता जाग उठी।
इससे सीख मिलती है कि स्वयं पर अविश्वास की स्थिति में भी हमारे भीतर असीम शक्तियाँ मौजूद होती हैं। उन्हें पहचानने के लिए केवल धैर्य और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है।
हनुमान की सबसे बड़ी विशेषता थी उनकी विनम्रता। उन्होंने महाकाय रूप और अद्भुत शक्तियों के बावजूद कभी अहंकार नहीं किया।
यह हमें यह पाठ पढ़ाता है कि महान व्यक्तित्व विनय के बिना अधूरा है। वास्तविक महिमा केवल कार्यों की नहीं, कार्यों में निहित भावना की होती है।
हनुमान का गदा उनके साहस का प्रतीक है। पर्वत उठाना कठिनाइयों पर विजय का संदेश देता है। उनके ह्रदय में राम-सिया का प्रतीक प्रेम और भक्ति का परिचायक है। बंदर स्वरूप में उनकी सहजता और सरलता हमें दिखाती है कि विकास असामान्य नहीं, निरंतर अभ्यास से आता है।
प्रतीक | अर्थ |
---|---|
गदा | रक्षक बल |
पर्वत उठाना | कठिनाइयों पर विजय |
हृदय में रामसीता | निस्वार्थ भक्ति |
वानर रूप | साधारणता में महानता |
हनुमान Chalisa का पाठ मानसिक एकाग्रता और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। मंत्रजप तनाव कम करता है। व्रत और उपवास से आत्मसंयम विकसित होता है।
हनुमान जयंती पर मंदिरों में कीर्तन, जुलूस और चरित्र वाचन आयोजित होते हैं। विभिन्न राज्यों में लोकनृत्य और मेलों के माध्यम से वीरता और भक्ति का मेल देखने को मिलता है।
वर्तमान समय में जहाँ आत्मविश्वास और मानसिक तनाव की कमी है, हनुमान की लीलाएँ हमें साहस और धैर्य का पाठ पढ़ाती हैं।
यह नायक सिर्फ पुराणों तक सीमित नहीं। वह एक अमर आदर्श है। उनकी शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सदियों पहले थीं।
हनुमान की सबसे बड़ी सीख क्या है?
सेवा और भक्ति से प्राप्त शक्ति ही वास्तविक समृद्धि है।
संजीवनी पर्वत किसलिए लाया?
लक्ष्मण को जीवनदान हेतु औषधि लाने।
हनुमान चालीसा का महत्व क्या है?
मानसिक शांति और ऊर्जा का स्रोत।
क्या व्रत और उपवास जरूरी है?
आत्मसंयम के लिए उपवास सहायक है पर अनिवार्य नहीं।
आधुनिक जीवन में कैसे लागू करें?
भय पर विजय के लिए आत्मविश्वास, संकट में धैर्य और सेवा का भाव अपनाएँ।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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