By पं. अमिताभ शर्मा
मौन, मनोबल और हर युग की महिलाओं और पुरुषों के लिए योग्यता और विचार
रामायण में सीता केवल त्याग, प्रेम और श्रद्धा की प्रतिमूर्ति नहीं रहीं। उनकी सबसे अद्वितीय शक्ति थी-उनका मौन। बहुत लोगों को लगता है कि दुख या अन्याय के समय बोलना-आवाज़ उठाना-सर्वश्रेष्ठ प्रतिकार है, पर सीता का जीवन सिखाता है कि कभी-कभी मौन ही सबसे बड़ा साहस, सम्मान और अध्यात्म का संजीवनी मंत्र बन जाता है।
समाज में अक्सर यह दृष्टिकोण रहता है कि चुप रहना अपने अधिकारों से मुँह मोड़ लेना है। सीता के लिए यह सच नहीं था। जब लंका में रावण ने उन्हें हिम्मत तोड़ने की कोशिश की तब भी सीता शांत रही। अग्निपरीक्षा के समय उन्होंने क्रांति नहीं की, क्योंकि वे जानती थीं कि उनकी सच्चाई अन्य की स्वीकृति पर निर्भर नहीं। उनके मौन में अविश्वसनीय दृढ़ता थी-एक ऐसी नारी की शांति, जो भीतर से आश्वस्त हो चुकी थी।
बार-बार संदेह, सार्वजनिक अपमान या भेदभाव झेलने के बावजूद सीता ने अपने भीतर के आत्मसम्मान को कभी बाहर की बहस में बर्बाद नहीं किया। वे अयोध्या के समृद्ध राज्य, सोने के महलों और सुख-समृद्धि की बजाय वन, एकांत, संघर्ष और परिश्रम को चुनती हैं-सरलता, गरिमा और स्वाभिमान के साथ। यह मौन किसी विफलता या पलायन का नहीं बल्कि अपने भाव, धर्म और सीमाओं की संपूर्णता का परिचायक था।
कितनी बार आधुनिक समाज में देखा गया है कि दुःख और अपमान को पचा लेने की जगह इंसान कटुता, हिंसा और प्रतिशोध की राह पकड़ लेता है। सीता ने विपत्तियों को कभी द्वेष या प्रतिशोध में नहीं बदला। उन्होंने लव और कुश को धर्म, सहिष्णुता, ममता और सत्य का पाठ पढ़ाया। उनकी मौन साधना हर स्त्री-पुरुष के लिए एक जीवन मंत्र है-दर्द आने पर उसे पीड़ा या विद्रोह नहीं, सेवा और सद्गुण में बदलो।
घटना | सीता का अभूतपूर्व उत्तरा | समाज के लिए सन्देश |
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लंका में रावण की कैद | संयम, मौन और आस्था | विपत्ति में भी शांति |
अग्निपरीक्षा- बदनामी | मौन स्वीकृति, क्रांति नहीं | आत्मबल, संयम और पवित्रता |
लव-कुश का पालन | पीड़ा का सकारात्मक रूपांतरण | अगली पीढ़ी को गरिमा |
दोबारा निर्वासन | आत्मा की गहराई से जीना | जीवन में श्रद्धा और धैर्य |
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, मौन केवल आवाज़ बंद करना नहीं है; ये आत्मावलोकन, समर्पण और चेतना का चरम है। उपनिषद, योगशास्त्र और भारतीय ध्यान परम्परा बताती है कि मौन साधना उच्चतम साधना मानी जाती है। मौन व्यक्ति दूसरों की राय, समाज के दबाव या ईर्ष्या से परे मुक्त होता है। सीता का मौन इसी शुद्ध, ऊँचे साध्विक अनुभव का सर्वोच्च उदाहरण है।
आज हर जगह महिलाएँ, पुरुष, बच्चे-कभी स्कूल, कभी नौकरी, कभी रिश्तों में-हर समय जागरूक, प्रतिक्रिया देने और तर्क करने के बोझ से गुजर रहे हैं। सीता का मौन सिखाता है कि जहां आपकी आत्मा शांति, नजर और विश्वास से परिपूर्ण है, वहाँ हर युद्ध में बोलना आवश्यक नहीं।
आधुनिक अनुभव | सीता के मौन से प्रेरणा |
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कार्यस्थल पर अन्याय | हर टिप्पणी, आक्षेप या समालोचना का जवाब जरूरी नहीं |
विवाह-संबंध में परेशानियां | कभी-कभी संवादहीनता, सहिष्णुता का प्रतीक बनती है |
पारिवारिक विवाद | चुप रहकर भी सुंदर रिश्ते बचाए जा सकते हैं |
सामजिक दबाव, अफवाहें | मौन का प्रभाव, सजगता और विवेक बढ़ाता है |
हर संस्कृति, हर युग में मौन को असहायता की निशानी नहीं बल्कि अंदरूनी शक्ति, आत्म-विश्वास और परिपक्वता का प्रमाण माना गया है। रामायण की सीता इसी चेतना की जीवंत मिसाल हैं। जब उन्होंने पृथ्वी में समाने का निर्णय लिया, तो वह क्षण केवल दुःख या निराशा का परिणाम नहीं था-वह भीतर के दृढ़ विश्वास, श्रेष्ठ आत्मा की प्रवृत्ति और स्वतंत्रता की घोषणा थी।
हर स्थिति, हर युग और हर समस्या में मौन का तरीका अपनाना उपयुक्त नहीं, परंतु जब बार-बार की बहस, तर्क, कटाक्ष और व्यंग्य के बाद भी समाधान न निकल रहा हो तब गहरा विश्वास, मौन का साधना और गरिमा स्वयं मार्ग दिखा सकते हैं। सीता के जैसे हर महिला, पुरुष या युवा-जो समाज की रीति-रिवाज, शोर और अपेक्षाओं से थक चुका हो-उसके लिए मौन कभी-कभी सबसे शक्तिशाली उत्तरा बन सकता है।
1. क्या सीता का मौन पुरुषों के लिए भी प्रेरणा है?
जी हां, सीता का मौन आत्मकल्याण, गरिमा और संतुलन हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त है।
2. क्या हर समस्या का हल सिर्फ मौन में है?
नहीं, जहाँ संवाद-समाधान हो सकता है वहां संवाद ठीक, पर जब मौन आत्मबल का स्रोत बन जाए तो वह सर्वोपरि।
3. क्या समाज ने हमेशा मौन को गलत समझा है?
बहुधा परन्तु इतिहास जाने-अनजाने में मौन पुरुषार्थ का सबसे बड़ा प्रमाण रहा है।
4. क्या रामायण में व्यावसायिक, पारिवारिक समस्याओं के समाधान हेतु मौन की सीख मिलती है?
सीता की जीवन-शक्ति, उनके निर्णय और मौन-तीनों जीवन के हर क्षेत्र के लिए प्रासंगिक हैं।
5. क्या मौन, साधना और योग का आधुनिक विज्ञान भी समर्थन करता है?
मेडिटेशन, माइंडफुलनेस, न्यूरोसाइंस में बार-बार यह प्रमाणित हुआ है कि मौन में मन, मस्तिष्क और हृदय की शक्ति जागृत होती है।
सीता का शांत, गूढ़ और दृढ़ मौन एक ऐसी प्रकाशवृत्ति है जो समय, समाज, नारी-पुरुष और संस्कृति में अनजाने-अनचाहे चमत्कार का बीज बोता है। उनकी गाथा यही पाठ देती है-संतुलन, संयम, आत्मबल और सहजता से, बिना शोर किये भी, दुनिया और आत्मा को सच्चा उत्तरा दिया जा सकता है।
अनुभव: 32
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इनके क्लाइंट: छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
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