By पं. संजीव शर्मा
श्रीराम के अनसुने तथ्य, आध्यात्मिक गहराई, धर्म, कथा का समाज पर असर
रामायण केवल अध्यात्म, भक्ति या युद्ध की गाथा नहीं बल्कि भारत के मानस, संस्कृति, सामाजिक मूल्यों और आज के जीवन की चुनौतियों का गूढ़ प्रतीक भी है। कोई भी अन्य ग्रंथ, भारत समेत एशिया की सोच, नैतिकता, नेताओं के आचरण या दैनिक जीवन के ‘धर्म-संकट’ को रामायण जितना गहराई से नहीं छू पाता। श्रीराम की छवि केवल एक मर्यादित नायक या राजा की नहीं बल्कि उस हर साधक की है, जो अपनी सीमाएँ, दुःख, जिम्मेदारी और त्याग को ईमानदारी से स्वीकारता है।
हर जीवन यात्रा एक ठहराव, अपने में लौटने और मोहत्याग की यात्रा है। उत्तराकाण्ड अनुसार, श्रीराम ने अपने सांसारिक कार्य पूरे कर, राजपाट छोड़, सरयू के जल में समाधि ली। यह मृत्यु नहीं बल्कि चेतन निर्वाण थी।
यह प्रसंग कर्म और कर्तव्य के बाद स्वयं का अस्तित्व ईश्वर में समर्पित कर देने का गूढ़ योगिक संकेत देता है। प्राचीन वेदांत परंपरा में, यह ‘मुक्ति’ का उच्चतम आदर्श है-जब उद्देश्य, धर्म और प्रेम पूरी तरह जी लिए जाएँ, तो आत्मा पंख फैलाकर परमात्मा से एक हो जाती है।
राम के आदर्श सीमाओं से परे हैं।
थाईलैंड का 'रामाकियन,' इंडोनेशिया की 'रामलीला,' कंबोडिया का 'रीयमकेर,' मलेशिया, लाओस, बर्मा-हर जगह राम की कथा गीत, नृत्य, नाट्य और लोककला में खिल उठती है।
अयोध्या से बाली तक, एशिया भर के मंदिर, गाथाएँ, लोकगीत, नाम, सांस्कृतिक उत्सव रामायण के विचार को मानवता और न्याय की साझा विरासत बना देते हैं।
अंगकोरवाट, थाई शाही परंपरा, जावा के महायात्रा नृत्य-हर जगह राम ही एकता, कर्तव्य और सम्मान का प्रतीक हैं।
कई ग्रंथों में उल्लिखित उस श्लोक की महिमा, जिसमें राम नाम का असर स्वयं राम के शस्त्रों से भी ऊपर माना गया है, गहरी भक्ति का सार है। आनंद रामायण की कथा-जब हनुमान राजा ययाति की रक्षा के लिए 'राम' नाम का जप करते हैं और राम के बाण निष्फल हो जाते हैं-केवल अद्भुत चमत्कार नहीं बल्कि यह सिखाता है कि निस्वार्थ, शुद्ध, प्रेम और श्रद्धा से उच्च कोई साधना नहीं।
"राम नाम पावरफुल है वास्तविक आस्था में," यही भक्ति परंपरा का मर्म है। यही कारण है कि भारत में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण, हर एक श्रीराम के नाम की शक्ति को अनुभूत कराने वाले साधन हैं।
क्योंकि रामायण केवल एक कथा नहीं, वह समय-समय पर विभिन्न संस्करणों, क्षेत्रीय रंग-बिरंगे लोक काव्य और पुराकथाओं में बिखरकर और भी समृद्ध होती गई। अहिरावण वाला प्रसंग इसी गाथा का उदाहरण है। बंगाल, कर्नाटक, ओडिशा की रामायणों में अहिरावण द्वारा राम-लक्ष्मण के अपहरण, हनुमान द्वारा पंचमुखी रूप में तांत्रिक विजय और देवी महमाया के सिद्धांत जैसे प्रसंग आज भी नवरात्र, दुर्गा पूजा और लोकनाट्य का ही नहीं,
ग्रंथ/क्षेत्र | कथा में विशेषता | सामाजिक प्रभाव |
---|---|---|
कृतिवासी रामायण | अहिरावण-पाताल युद्ध | रक्षाबंधन, देवी-महिमा |
दक्षिण भारतीय लोककथा | पंचमुखी हनुमान | शक्ति साधना, पूजा |
राम का शासन 11,000 वर्षों की अवधि में रामराज्य के आदर्श को साकार करता है। जहाँ न भेद, न शास्त्र, न अविश्वास, न अन्याय-सभी को न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रेम और समता मिली।
‘रामराज्य’ केवल सुनहरा अतीत नहीं बल्कि सभी राजनीतिज्ञों, शिक्षकों, अभिभावकों और समाज-सुधारकों के लिए अनुकरणीय सपनों का मूल्य-वलय है। यह संदेश है: सरकार, परिवार, समाज, अपने कर्म, संकल्प, सेवा और नियम से बनते हैं।
श्रीराम का सम्बन्ध सूर्यवंश (इक्ष्वाकु) से है। भारतीय राजवंशों में सूर्य की उपासना-ऊर्जा, आलोक, ताप और नीति के प्रतीक रही है। ‘रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई’-इस एक पंक्ति में ही सूर्यवंश की मर्यादा, आदर्श और सत्यनिष्ठा का भाव छिपा है।
राम के हर कार्य, विचार, संकल्प, त्याग और भीतर की अग्नि-यह सब सूर्य की भांति नेतृत्व, परवर्तन और परिपूर्णता की मिसाल बनती है।
मछली, कछुआ, वराह, नृसिंह-यह सारे पूर्ववर्ती अवतार आंशिक मानव-अंश वाले थे। लेकिन राम के अवतार में मनुष्य का हर पक्ष-हर्ष, विषाद, प्रेम, वियोग, विजय, हार, संघर्ष, पश्चाताप, मोह और तात्त्विक बौद्धिकता-सभी कुछ अनुभव किया गया। यह इस बात का संदेश है कि सच्चा धर्म केवल ईश्वर में नहीं, मानवता के सुख-दुःख, मूल्य और सत्य के अनुभव में है।
राम का सबसे बड़ा गुण यह है कि कठिन से कठिन समय में भी, निजी सुख या सामाजिक दबाव में भी, वे धर्म को सर्वोपरि मानते हैं। जंगल गमन, सीता-त्याग, रणभूमि में निर्णय, वानर-सेना का साथ, अश्वमेध यज्ञ-इन सबमें राम ने हर बार कर्तव्य, मर्यादा और तपस्या की मिसाल पेश की।
जहाँ कृष्ण रणनीतिक शास्त्रज्ञ हैं, वहीं राम पूरी निष्ठा, त्याग, संयम और विवेक के आदर्श हैं।
मूल्य | राम का दृष्टिकोण |
---|---|
त्याग | व्यक्तिगत सुख से अधिक समाज/परिवार |
धर्म | कठिनाई में भी सत्य, नीति |
नेतृत्व | संवाद, संवेदना, न्याय |
आज के तनावग्रस्त, प्रतिस्पर्धी, भ्रमित और तेज़-रफ्तारी संसार में रामायण की कहानियाँ हमेशा से ज्यादा प्रासंगिक हैं।
अनजानी जानकारी | वर्तमान ज़रूरत/प्रेरणा |
---|---|
जल समाधि | जीवन का पारमार्थिक अर्थ, मोह का त्याग |
दक्षिण-पूर्व एशिया की परंपरा | वैश्विकता और सार्वभौमिक मानवीयता |
नाम-जप | निःस्वार्थ साधना, मनोबल |
पाताल युद्ध | आत्मबल, अदम्य साहस |
रामराज्य | नीति, न्याय, नेतृत्व |
सूर्यवंश | ऊर्जा, आदर्श, संघर्ष |
मानव-संपूर्णता | परिपूर्णता का स्वप्न, प्रेरणा |
कठिन धर्म | हानि में भी सही कर्म, जटिल सत्य |
प्रश्न 1: क्या रामायण केवल हिंदू या भारतीयों के लिए है?
उत्तरा: नहीं, रामायण ने विश्व-भर में मानवता, नेतृत्व, धर्म, नीति, प्रेम और संघर्ष का अमिट संदेश दिया है, जो सभी के लिए है।
प्रश्न 2: नाम-जप और साधना का असली महत्व क्या है?
उत्तरा: नाम-जप भक्ति, भाव, आस्था की उत्कर्ष अवस्था है-यह मन को निदान, आत्मा को शक्ति देता है।
प्रश्न 3: क्या रामायण का 'रामराज्य' समाज में लागू किया जा सकता है?
उत्तरा: 'रामराज्य' नीति, सेवा, प्रेम, न्याय और संकल्प का आदर्श है-हर समाज को इसका प्रयास करना चाहिए।
प्रश्न 4: रामायण और गीता में कौन का आदर्श बड़ा है?
उत्तरा: दोनों अद्वितीय हैं, रामायण कर्म और नीति की शिक्षा देती है, गीता आत्मा, योग और विवेक का रहस्य सिखाती है।
प्रश्न 5: क्या आधुनिक युवाओं को रामायण पढ़नी चाहिए?
उत्तरा: बिल्कुल, क्योंकि यह संघर्ष, लक्ष्य, सम्बन्ध, असमंजस और सफलता की सूक्ष्मतम स्तरों तक मार्गदर्शन देती है।
रामायण भारत-वर्ष का नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता का महाचिंतन है। इसमें कथा, चरित्र, संगीत, प्रेम, युद्ध, शांति, आत्मबोध और नीति-सभी कुछ इतने सहज और ताजगी से भरे हैं कि हर पीढ़ी अपने प्रश्नों का हल इसमें पा सकती है।
रामायण केवल अतीत का अभिलेख नहीं, हर काल, हर परिवार, हर साधक और हर सुबुद्धि के भीतर गूंजती जीवित प्रकाश-कथा है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें