By पं. अमिताभ शर्मा
मिथ्या दोष से बचाव के लिए इस वर्ष के समय और शांति उपाय जानें
गणेश चतुर्थी को विघ्नों का अंत करने वाले श्री गणेश का आगमन माना जाता है। सजे पंडाल, आरती की ध्वनि और प्रसाद की सुगंध मन को भक्ति में डुबो देती है। इसी उत्सव में एक खास परंपरा भी निभाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र दर्शन से परहेज करना चाहिए, वरना मिथ्या दोष लग सकता है।
नीचे दिए समय चतुर्थी तिथि के दौरान माने जाते हैं। इन समयों में चंद्र दर्शन से बचना श्रेयस्कर है।
तिथि | परहेज का समय |
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26 अगस्त 2025 | दोपहर 1:54 से शाम 8:29 तक |
27 अगस्त 2025 | सुबह 9:28 से रात 8:57 तक |
कथाओं में वर्णित है कि एक बार चंद्र ने गणेश के रूप पर कटाक्ष किया। इससे गणेश प्रसन्न न रहे और वचन दिया कि जो भी भक्त चतुर्थी तिथि में चंद्र को देखेगा उसे बिना कारण कलंक झेलना पड़ेगा। इसे ही मिथ्या दोष कहा जाता है।
प्रसंग मिलता है कि श्रीकृष्ण पर स्यमंतक मणि चोरी का आरोप लगा। बाद में नारद ने बताया कि चतुर्थी के दिन अनजाने में चंद्र दर्शन से यह दोष सक्रिय हुआ। तब श्रीकृष्ण ने गणेश की उपासना और व्रत कर दोष शमन किया। तभी से भक्त इस दिन चंद्र दर्शन से बचने का यत्न करते हैं।
भक्त निम्न उपाय शांति के लिए अपनाते हैं।
संस्कृत श्लोक
सिंहः प्रसैनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
भावार्थ
सिंह ने प्रसैन का वध किया और जाम्बवान ने सिंह का। हे बालक रोओ नहीं, यह स्यमंतक अब तुम्हारा है।
यह परंपरा केवल निषेध नहीं, आत्मसंयम और सत्यनिष्ठा का अभ्यास है। कथाएँ संकेत देती हैं कि उपहास, असत्य और दिखावा अंततः कलंक का कारण बनते हैं। गणेश का व्रत मन को नम्र बनाता है और कर्म को सच्चाई के साथ जोड़ता है।
भोग | मुख्य सामग्री | भावनात्मक संकेत |
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मोदक | चावल का आटा, गुड़, नारियल | श्रम का मीठा फल |
मोतीचूर लड्डू | बेसन, घी, चीनी | आनंद और उदारता |
पुरणपोली | आटा, गुड़, नारियल | घर परिवार का स्नेह |
खीर | चावल या साबूदाना, दूध | शांति और एकजुटता |
भोग, आरती और मंत्र जप के साथ दिन को साकार बनाइए। गणेश नाम का जप, दूर्वा अर्पण और दीपदान मन को स्थिर करते हैं। समय के प्रति सजगता के साथ पूजा का भाव रखेंगे तो दिन मंगलमय बनेगा।
विषय | संक्षेप |
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परहेज का कारण | चतुर्थी तिथि में चंद्र दर्शन से मिथ्या दोष लगने की मान्यता |
संदर्भ कथा | श्रीकृष्ण और स्यमंतक मणि, चंद्र का उपहास प्रसंग |
समाधान | श्लोक पाठ, कथा श्रवण, गणेश व्रत और प्रार्थना |
व्यवहारिक उपाय | समय जाँच, आकाश की ओर देखने में सावधानी, बच्चों को समझाना |
प्रश्न 1. क्या पूरे दिन चंद्र नहीं देखना चाहिए
उत्तर. केवल चतुर्थी तिथि के दिए समय पर परहेज रखें। सारणी में समय स्पष्ट है।
प्रश्न 2. भूल से चंद्र दिख जाए तो क्या करें
उत्तर. स्यमंतक कथा का स्मरण करें, ऊपर दिया श्लोक जपें और गणेश से क्षमा याचना करें।
प्रश्न 3. क्या परहेज का समय हर वर्ष समान रहता है
उत्तर. नहीं। तिथि और स्थान के अनुसार समय बदल सकता है। दिए समय इस वर्ष के मार्गदर्शक हैं।
प्रश्न 4. क्या परहेज न रखने से अनिष्ट निश्चित है
उत्तर. मान्यता कलंक से बचने का संकेत देती है। श्रद्धापूर्वक उपाय कर लें तो मन को शांति मिलती है।
प्रश्न 5. क्या घर के भीतर रहना पर्याप्त है
उत्तर. हाँ, यदि खिडकी या छत से आकाश न दिखे। फिर भी समय का ध्यान रखकर ही बाहर देखें।
अनुभव: 32
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