By पं. संजीव शर्मा
मंगल के गोचर का आपकी जन्म राशि से विभिन्न 12 भावों पर क्या शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है, इसकी विस्तृत जानकारी।
वैदिक ज्योतिष में मंगल को ग्रहों का सेनापति माना गया है; वे हमारी ऊर्जा, साहस, इच्छाशक्ति और पराक्रम के प्रतीक हैं। जब यह अग्नि तत्व का ग्रह अपनी राशि बदलता है, तो यह केवल एक खगोलीय घटना नहीं होती, बल्कि यह हमारे जीवन में ऊर्जा के प्रवाह को एक नई दिशा देता है। मंगल का गोचर लगभग 45 दिनों तक रहता है, और इन दिनों का फल सभी के लिए समान नहीं होता। इसका वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि मंगल आपकी जन्मकुंडली में चंद्रमा से किस भाव में यात्रा कर रहे हैं। कुंडली के बारह भाव जीवन के बारह अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। आइए, गहराई से जानें कि जब ग्रहों का सेनापति इन बारह भावों से गुजरता है, तो वह आपके जीवन के किस क्षेत्र में विजय का ध्वज फहराता है और कहाँ आपको अपनी ऊर्जा को साधने की चुनौती देता है।
जब मंगल का गोचर आपकी ही राशि यानी लग्न भाव में होता है, तो यह आपकी ऊर्जा और आत्मविश्वास को चरम पर ले जाता है। आप अपने विचारों को साकार करने के लिए अदम्य साहस महसूस करते हैं। लेकिन यही ऊर्जा क्रोध और अहंकार का रूप भी ले सकती है, जिससे रिश्तों में विवाद की स्थितियां बन सकती हैं। यह अपनी शक्ति को पहचानने और उसे अनुशासित करने का समय है।
दूसरे भाव में मंगल का गोचर सांसारिक सुखों और भौतिक वस्तुओं के प्रति आपकी रुचि को बढ़ाता है। इस दौरान आप धन कमाने और अपनी सुख-सुविधाओं पर खर्च करने के लिए अधिक प्रयास करते हैं। हालांकि, भौतिक सुखों की प्राप्ति आपके अंदर अहंकार को भी जन्म दे सकती है, और आपकी वाणी में कड़वाहट आ सकती है।
तीसरे भाव में मंगल का गोचर आपके मन में चंचलता और बेचैनी पैदा कर सकता है। आप एक ही समय में कई योजनाएं बना सकते हैं, जिससे आपकी ऊर्जा कई दिशाओं में बिखर सकती है। इस अवधि में छोटे-मोटे विवाद और तर्क-वितर्क की स्थितियां भी बनती हैं। वाहन चलाते समय या मशीनों के साथ काम करते समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
जब मंगल चौथे भाव से गोचर करते हैं, तो आपका ध्यान घर-परिवार पर केंद्रित हो जाता है। यह पारिवारिक जिम्मेदारियों को तो बढ़ाता है, लेकिन साथ ही परिजनों के साथ वैचारिक मतभेद या विवाद की स्थिति भी बना सकता है। किसी पारिवारिक मुद्दे को लेकर मन में चिंता और उलझन बढ़ सकती है।
पांचवें भाव में मंगल का गोचर आपके प्रेम संबंधों में मधुरता और ऊर्जा लाता है। आपका व्यक्तित्व आकर्षक बनता है और आप अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करना चाहते हैं। इस दौरान आपकी रुचि खेलकूद, मनोरंजन और रचनात्मक कार्यों में बढ़ती है और आप अपना ज्यादातर समय बच्चों के साथ बिताना पसंद करते हैं।
छठे भाव में मंगल का गोचर ज्योतिष में अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस दौरान आप अपने प्रयासों से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं और अपनी आय में वृद्धि करने में सफल होते हैं। आपकी दिनचर्या अधिक व्यवस्थित होती है और आप अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर पाते हैं। हालांकि, नौकरीपेशा लोगों को अपने कार्यस्थल पर कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
सातवें भाव में मंगल का गोचर वैवाहिक जीवन और साझेदारी के लिए चुनौतीपूर्ण माना जाता है। यह स्वभाव में क्रोध और अहंकार को बढ़ाता है, जिससे जीवनसाथी के साथ टकराव या अलगाव की स्थिति भी बन सकती है। व्यापारिक साझेदारियों में भी विवाद हो सकता है और कानूनी मामलों में फंसने की संभावना रहती है।
आठवें भाव में मंगल का गोचर आमतौर पर हर कार्य में बाधाएं लेकर आता है। इस दौरान अग्नि, चोरी या दुर्घटना से धन हानि की संभावना रहती है। यह धन संचय के लिए भी एक अच्छा समय नहीं है। शरीर में कोई चोट या पुराना रोग फिर से परेशान कर सकता है।
नौवें भाव में मंगल का गोचर भाग्य का साथ तो दिलाता है, लेकिन साथ ही अहंकार में भी वृद्धि करता है। आपको अपने परिश्रम के अनुसार परिणाम तो मिलते हैं, और किसी बड़े पद की प्राप्ति भी हो सकती है, लेकिन इस दौरान कानूनी समस्याओं से सावधान रहने की आवश्यकता होती है।
मंगल का दसवें भाव में गोचर करियर में सफलता के नए द्वार खोलता है। आपको अपने गुणों और प्रतिभा के बल पर समाज में प्रसिद्धि और पहचान मिलती है। धन लाभ के साथ-साथ वाहन और अन्य भौतिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। हालांकि, यह गोचर संतान पक्ष के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
ग्यारहवें भाव में मंगल का गोचर आपके साहस में वृद्धि करता है, जिससे आप जोखिम उठाकर भी धन लाभ कमाने में सफल होते हैं। यह भाव लाभ का है, और यहाँ मंगल की ऊर्जा आपको अपने लक्ष्यों के प्रति धैर्यवान और केंद्रित बनाती है। हालांकि, अपने स्वार्थ पर अधिक ध्यान देने के कारण मित्रों के साथ विवाद की स्थिति भी बन सकती है।
बारहवें भाव में मंगल का गोचर अनुकूल परिणाम नहीं देता है। यह वैवाहिक सुख में कमी का कारण बन सकता है और नेत्रों से संबंधित पीड़ा भी दे सकता है। इस दौरान खर्चे बहुत अधिक बढ़ जाते हैं, जिससे कर्ज की स्थिति बन सकती है। किसी वस्तु के चोरी हो जाने का भय भी मन में बना रहता है।
मंगल के गोचर का विश्लेषण हमें यह समझने में मदद करता है कि हमारी ऊर्जा का प्रवाह किस दिशा में हो रहा है। यह केवल भविष्य की भविष्यवाणी नहीं, बल्कि वर्तमान को बेहतर बनाने का एक उपकरण है। यदि मंगल का गोचर चुनौतीपूर्ण भावों में हो, तो यह हमें अपनी ऊर्जा को अनुशासित करने, क्रोध पर नियंत्रण रखने और धैर्य से काम लेने की प्रेरणा देता है। वहीं, जब मंगल शुभ भावों में हों, तो यह हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरी शक्ति से आगे बढ़ने का संकेत देता है। ज्योतिषीय मार्गदर्शन से हम ग्रहों की इस शक्तिशाली ऊर्जा को संतुलित कर अपने जीवन को और भी सफल और सामंजस्यपूर्ण बना सकते हैं।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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