By पं. अभिषेक शर्मा
विपरीत राजयोग का निर्माण, प्रमुख प्रकार, असर, ज्योतिष सूत्र और जीवन संदेश

भारतीय वेदांग ज्योतिष में विपरीत राजयोग को सबसे रहस्यमय और प्रभावशाली योगों में गिना जाता है। 'विपरीत' शब्द संस्कृत में ‘विपरीत’ या उल्टा के अर्थ में आता है। इसका भाव है कि जब अशुभ, कष्टकारी या प्रतिकूल भावों के स्वामी अपनी ही जैसे किसी अन्य अशुभ भाव में स्थित हो जाएं, तो विपरीत राजयोग का निर्माण होता है।
यह योग जातक के जीवन में बाधा, कष्ट, संघर्ष और अनेक प्रकार के नुकसान लाता है - लेकिन अगर व्यक्ति इन सभी समस्याओं का साहस के साथ सामना करता है, तो आगे चलकर वही प्रतिकूलता उसे सफलता, शक्ति, पद और आश्चर्यजनक उन्नति देती है। यह योग किसी व्यक्ति को जीवन में ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाला माना जाता है।
यह योग वास्तविक जीवन में तब प्रकट होता है, जब छठे, आठवें या बारहवें भाव का स्वामी कुंडली के अन्य दो अशुभ भावों में स्थित हो। त्रिकोण या केंद्र भाव, या शुभ ग्रह योगों का संपर्क यहाँ निष्प्रभावी रहता है। उदाहरण स्वरूप, यदि छठे भाव का स्वामी आठवें या बारहवें भाव में बैठ जाए, आठवें भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में, या बारहवें भाव का स्वामी छठे या आठवें भाव में, तो विपरीत राजयोग का संयोग बनता है।
प्रमुख तथ्य यह है कि गुणात्मक दृष्टिकोण से अशुभ भावों के प्रभामंडल में ही शुभता उत्पन्न होती है।
| भाव स्वामी | स्थान | विपरीत राजयोग बनने की स्थिति |
|---|---|---|
| छठा भाव स्वामी | आठवां/बारहवां | हर्ष योग |
| आठवां भाव स्वामी | छठा/बारहवां | सरल योग |
| बारहवां भाव स्वामी | छठा/आठवां | विमल योग |
यह योग तब बनता है जब छठे भाव का स्वामी आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो।
जातक को अत्यधिक स्वास्थ्य लाभ, संतान सुख, आर्थिक समृद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा, विरोधियों पर विजय, प्रशासनिक नेतृत्व और समाज सेवा का बल मिलता है। यह योग संघर्ष के बाद व्यक्ति को शक्ति और प्रतिष्ठा दिलाता है।
यह योग आठवें भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में स्थित होने पर बनता है।
व्यक्तित्व में अच्छाई, ज्ञान, बुद्धिमत्ता, धन, संपत्ति, सत्ता, विरोधियों पर विजय, न्यायप्रियता और समाधान-क्षमता मिलती है। विपरीत परिस्थितियों में भी व्यक्ति अपना मार्ग खोज लेता है और समाज में प्रभावशाली बन जाता है।
यह योग बारहवें भाव का स्वामी छठे या आठवें भाव में बैठने से बनता है।
ज्ञान, संपत्ति, आध्यात्मिकता, उच्च स्थान, सुख, समृद्धि, पद, शांति और सकारात्मक सोच मिलती है।
बड़ी कठिनाइयों के बाद जीवन उच्च दर्जे की प्रगति को पाता है।
| योग | भाव स्वामी | स्थान | प्रमुख फल |
|---|---|---|---|
| हर्ष | छठा | आठवां/बारहवां | स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा |
| सरल | आठवाँ | छठा/बारहवां | धन, विजय, समाधान |
| विमल | बारहवां | छठा/आठवां | सुख, समृद्धि, पद |
जब कुंडली में अशुभ भावों का स्वामी दूसरों अशुभ भावों में स्थापित हो जाता है तब विपरीत राजयोग प्रकट होता है।
उदाहरण : यदि आपकी कुंडली में लग्न मेष हो, छठा भाव कन्या हो और बुध उसका स्वामी हो, तो अगर बुध आठवें या बारहवें भाव में बैठ जाए, तो हर्ष योग बनेगा।
इसी प्रकार, आठवें भाव का स्वामी मंगला हो जाए और वह छठे बारहवें भाव में बैठे, या बारहवें भाव का स्वामी गुरु हो और वह छठे आठवें भाव में हो - योग की पुष्टि होती है।
ज्योतिष की भाषा में यह योग प्रबल तब होता है जब घड़ी, लग्न, महादशा और गोचर सभी सहयोगी हों। दुष्परिणाम तभी आते हैं जब अशुभ भाव का स्वामी अपने ही भाव में स्थित हो जाए या केंद्र/त्रिकोण भाव में विचरण करे।
विपरीत राजयोग संघर्ष, बाधा, नुकसान, बीमारी, मानसिक तनाव, विध्न - इन सबका समय जरूर लाता है, लेकिन यदि व्यक्ति धैर्य और साहस से चलकर इन सभी समस्याओं का समाधान ढूंढ लेता है, तो उसे जीवन में आगे चलकर असाधारण सफलता, उच्च पद, प्रसिद्धि, समाज में सम्मान और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
| योग | प्रमुख लाभ |
|---|---|
| हर्ष | स्वास्थ्य, सामाजिक शक्ति |
| सरल | ज्ञान, संपत्ति, नेतृत्व |
| विमल | सुख, शांति, आध्यात्मिकता |
कुंडली में विपरीत राजयोग प्रभावशाली तब बनता है जब संबंधित ग्रहों की महादशा, अंतरदशा, या गोचर चल रही हो।
जन्म-पत्रिका में यह योग होने के बावजूद जबतक उन ग्रहों का समय नहीं आता तबतक शुभ फल नहीं मिलता।
यह योग सुख-समृद्धि का द्वार संघर्षों के पश्चात खोलता है।
| संयोग | विपरीत राजयोग रद्द होने की स्थितियाँ |
|---|---|
| त्रिकोण स्वामी | योग निष्प्रभावी |
| परिवर्तन योग | योग छुप जाता है |
| दशम स्वामी | योग कमजोर |
| ग्रहों की प्रतिकूल दशा | लाभ घटता है |
कभी-कभी, विपरीत राजयोग वाले व्यक्ति प्रतिकूल स्थितियों में स्थिर बने रहते हैं और समय के साथ ही अवसर का द्वार खुल जाता है।
जिस व्यक्ति ने पहले संघर्ष किया और फिर अपने प्रतिभा, क्षमता, संयम और धैर्य से सफलता पाई - वही इस योग का असली लाभार्थी होता है।
परिस्थितियाँ प्रतिकूल हों, मानसिक कष्ट या सामाजिक बाधाएं हों - तब भी अगर व्यक्ति अपना कार्य निरंतर करे, धैर्य रखे और अवसर आने पर सही दिशा में कदम उठाए, तो इस योग से जीवन बेहद ऊँचाइयों पर पहुँच सकता है।
यह योग संघर्षों, कठिनाइयों एवं बाधाओं के बाद उच्च स्तर की सफलता, शक्ति और सम्मान देता है।
शुरुआत में कठिनाई, नुकसान और बाधाएं आती हैं; लेकिन अगर व्यक्ति हिम्मत से आगे बढ़े तो विपरीत योग अत्यंत शुभ बन सकता है।
जब संबंधित ग्रहों की महादशा या गोचर में यह योग सक्रिय हो तब व्यक्ति जीवन में बड़ा बदलाव देख सकता है।
हां, अगर केंद्र, त्रिकोण, या दशम भाव के स्वामी अशुभ भाव में चले जाएं या परिवर्तन योग बन जाए तो योग कम हो सकता है।
हाँ, जीवन में असाधारण नेतृत्व, वित्तीय सुधार, शक्ति, लोकप्रियता और सेवा का उत्तम अवसर देता है।
विपरीत राजयोग जीवन में कष्ट, संघर्ष और विध्न लेकर आता है, किन्तु धैर्य, ईमानदारी और परिश्रम रखनेवालों को सफल, सम्मानित और आदर्श नेता के रूप में स्थापित करता है।
यह योग दिखाता है कि वास्तविक सफलता बाधाओं को पार करने के बाद ही मिलती है - और वही व्यक्ति समाज का प्रेरक बन पाता है।

अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें