By पं. सुव्रत शर्मा
कृतिका नक्षत्र के अधिष्ठाता अग्नि देव का प्रतीकात्मक, पौराणिक और ज्योतिषीय विश्लेषण
अग्नि देव हिंदू धर्म में अग्नि के देवता हैं, जो वैदिक काल से ही सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक रहे हैं। वे न केवल भौतिक अग्नि के प्रतीक हैं, बल्कि ज्ञान, शुद्धि और दैवीय ऊर्जा के स्रोत भी हैं। कृतिका नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता के रूप में, अग्नि देव इस नक्षत्र में जन्मे जातकों में साहस, नेतृत्व और रूपांतरण की शक्ति का संचार करते हैं।
पैरामीटर | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 3 (तीसरा) |
राशि सीमा | मेष 26°40' से वृषभ 10°00' तक |
नक्षत्र स्वामी | सूर्य |
अधिष्ठाता देवता | अग्नि देव |
प्रतीक | उस्तरा, चाकू या ज्वाला |
तत्त्व | अग्नि |
गण | राक्षस |
शक्ति | दाहन शक्ति (शुद्धि और रूपांतरण) |
अग्नि देव केवल आग नहीं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त दिव्य ऊर्जा के प्रतीक हैं। वैदिक साहित्य में उन्हें तीन रूपों में वर्णित किया गया है:
अग्नि देव को देवताओं का मुख कहा जाता है, क्योंकि वे मनुष्यों की भेंट देवताओं तक पहुँचाते हैं। ऋग्वेद में अग्नि सूक्त (1.1) में कहा गया है:
"अग्निमीडे पुरोहितं यज्ञस्य देवं रत्वीजम।" (मैं अग्नि की स्तुति करता हूँ, जो यज्ञ का पुरोहित, देवता और ऋत्विज है।)
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथना शुरू किया, तो उस प्रक्रिया में अग्नि की उत्पत्ति हुई। इस अग्नि को ब्रह्मा ने एक देवता का रूप दिया।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, अग्नि देव सप्तऋषियों की पत्नियों पर मोहित हो गए। जब उन्होंने प्रेम निवेदन किया, तो ऋषि-पत्नियों ने इनकार कर दिया। तब दक्ष प्रजापति की पुत्री स्वाहा ने छह ऋषि-पत्नियों का रूप धारण कर अग्नि से मिलन किया। इस मिलन से सात ज्वालाएँ उत्पन्न हुईं, जिन्हें स्वाहा ने सरोवर में सुरक्षित रखा। बाद में ये ज्वालाएँ कार्तिकेय के रूप में प्रकट हुईं।
महाभारत में वर्णित है कि अग्नि देव ने यज्ञों में घी की आहुति से इतना वज़न बढ़ा लिया था कि वे कमज़ोर हो गए। तब भगवान कृष्ण और अर्जुन ने उनकी सहायता कर खाण्डव वन को जलाने में मदद की, जिससे अग्नि ने अपनी शक्ति वापस पाई।
कृतिका नक्षत्र और अग्नि देव का संबंध
हिंदू संस्कारों में अग्नि देव का विशेष स्थान है:
अग्नि देव केवल एक देवता नहीं, बल्कि हर मनुष्य के भीतर विद्यमान वह दिव्य ऊर्जा है जो अज्ञान के अंधकार को जलाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाती है। कृतिका नक्षत्र के अधिष्ठाता के रूप में, वे हमें सिखाते हैं कि सच्ची शक्ति विनाश में नहीं, बल्कि शुद्धि, रूपांतरण और प्रकाश फैलाने में है।
"अग्नि वह ज्वाला है जो हमें पाप से पुण्य, अंधकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरता की ओर ले जाती है।"
इस लेख के माध्यम से हमने अग्नि देव के व्यापक स्वरूप, उनकी पौराणिक कथाओं और कृतिका नक्षत्र से गहरे संबंध को समझा। अग्नि की ज्वाला हमारे भीतर भी प्रज्वलित है-बस उसे पहचानने और उसका सदुपयोग करने की आवश्यकता है।
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