By पं. अभिषेक शर्मा
जानिए रोहिणी नक्षत्र की सुंदरता, चंद्रमा से इसका संबंध, पौराणिक कथाएँ और ज्योतिषीय प्रभाव
रोहिणी नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में चौथा है। यह नक्षत्र वृषभ राशि में 10°00' से 23°20' तक फैला है और इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा है। रोहिणी नक्षत्र का अधिष्ठाता देवता प्रजापति ब्रह्मा हैं। इसका प्रतीक बैलगाड़ी या रथ है, जो जीवन में स्थिरता, समृद्धि, प्रगति और उर्वरता का संकेतक है। यह नक्षत्र चंद्रमा के लिए सबसे प्रिय है और इसकी ऊर्जा रचनात्मकता, सौंदर्य, प्रेम, आकर्षण और हर क्षेत्र में वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है।
विशेषता | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 4 (चौथा) |
राशि सीमा | वृषभ 10°00' - 23°20' |
स्वामी ग्रह | चंद्रमा |
अधिष्ठाता देवता | ब्रह्मा (प्रजापति) |
प्रतीक | बैलगाड़ी, रथ, लाल गाय |
तत्व | पृथ्वी |
शक्ति | रोहण शक्ति (वृद्धि, सृजन, पोषण) |
शुभ रंग | सफेद, लाल |
शुभ वृक्ष | जामुन |
गण | मानव |
गुण | रजस |
दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएँ थीं, जिनका विवाह चंद्रमा से हुआ। इन सभी में रोहिणी सबसे सुंदर, आकर्षक और सौम्य स्वभाव की थी। चंद्रमा का मन रोहिणी पर सबसे अधिक मोहित रहता था। वे अपना अधिकांश समय रोहिणी के साथ ही बिताते थे, जिससे अन्य पत्नियाँ उपेक्षित महसूस करने लगीं। उन्होंने अपने पिता दक्ष से शिकायत की। दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया कि उसकी चमक क्षीण हो जाएगी। चंद्रमा व्याकुल होकर भगवान शिव की शरण में गए। शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्राप को आंशिक रूप से शिथिल किया, जिससे चंद्रमा का घटना-बढ़ना (शुक्ल और कृष्ण पक्ष) प्रारंभ हुआ। इस कथा में रोहिणी नक्षत्र की सुंदरता, आकर्षण और चंद्रमा के साथ उसका गहरा संबंध उजागर होता है।
रोहिणी नक्षत्र का अधिष्ठाता देवता ब्रह्मा है, जो सृष्टि के रचनाकार हैं। ब्रह्मा ने सृष्टि की शुरुआत इसी ऊर्जा से की थी। रोहिणी का अर्थ है "वृद्धि" या "विकास"। इस नक्षत्र की ऊर्जा नई शुरुआत, बीज बोने, अंकुरण और जीवन के हर क्षेत्र में वृद्धि का संकेत देती है। यही कारण है कि इसे उर्वरता, समृद्धि और भौतिक सुखों का नक्षत्र कहा जाता है।
श्रीमद्भागवत और महाभारत में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कृष्ण के जन्म के साथ इस नक्षत्र की शुभता और पवित्रता और भी बढ़ जाती है। कृष्ण की बाल लीलाएँ, उनका सौंदर्य, आकर्षण और रचनात्मकता-सब रोहिणी नक्षत्र की ऊर्जा के प्रतीक हैं।
जब कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया, तब देवकी के गर्भ से बलराम का भ्रूण योगमाया के प्रभाव से वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया गया। इस प्रकार बलराम का जन्म रोहिणी के गर्भ से हुआ। यही कारण है कि बलराम को रोहिणी-नंदन भी कहा जाता है। यह कथा रोहिणी नक्षत्र की मातृत्व, सुरक्षा और पालन-पोषण की ऊर्जा को दर्शाती है।
जैन परंपरा में रोहिणी व्रत की कथा प्रसिद्ध है। चंपापुरी के राजा माधवा और रानी लक्ष्मीपति की बेटी रोहिणी का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक से हुआ। एक समय, हस्तिनापुर के वन में मुनिराज के उपदेश से रानी रोहिणी को अपने पूर्व जन्म के पापों की स्मृति आई। व्रत, तप और सेवा के प्रभाव से उन्होंने अपने पापों का प्रायश्चित किया और मोक्ष प्राप्त किया। यह कथा व्रत, संयम और सेवा के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्रेरणा देती है।
गुण | विवरण |
---|---|
नक्षत्र सीमा | वृषभ 10°00' - 23°20' |
सबसे चमकीला तारा | एल्डेबरान (Aldebaran) |
नक्षत्र स्वामी | चंद्रमा |
अधिष्ठाता देवता | ब्रह्मा |
तत्व | पृथ्वी |
गण | मानव |
गुण | रजस |
योनि | पुरुष सर्प |
पाद | नवांश राशि | स्वामी ग्रह | मुख्य गुण/प्रवृत्ति |
---|---|---|---|
पहला | मेष | मंगल | ऊर्जा, साहस, महत्वाकांक्षा |
दूसरा | वृषभ | शुक्र | आकर्षण, सौंदर्य, भौतिक सुख, मित्रता |
तीसरा | मिथुन | बुध | बुद्धिमत्ता, संचार, कला, जिज्ञासा |
चौथा | कर्क | चंद्रमा | भावुकता, मातृत्व, देखभाल, संवेदनशीलता |
क्षेत्र | अनुकूलता | कारण |
---|---|---|
कला, संगीत, फैशन | ★★★★★ | रचनात्मकता, सौंदर्यबोध |
व्यापार, कृषि | ★★★★☆ | संसाधनों का प्रबंधन, स्थिरता |
शिक्षा, लेखन | ★★★★☆ | बुद्धिमत्ता, संचार क्षमता |
फिल्म, मीडिया | ★★★★☆ | आकर्षण, अभिव्यक्ति |
चिकित्सा, पोषण | ★★★★☆ | देखभाल, सेवा भावना |
रोहिणी नक्षत्र केवल एक ज्योतिषीय नक्षत्र नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, पौराणिक कथाओं और जीवन के हर क्षेत्र में सुंदरता, समृद्धि, प्रेम, सृजन और उर्वरता का गहरा प्रतीक है। इसकी कथाएँ-चंद्रमा की प्रिय पत्नी, ब्रह्मा की सृजनात्मक ऊर्जा, श्रीकृष्ण और बलराम का जन्म और रोहिणी व्रत-हर पहलू में जीवन, प्रेम, रचनात्मकता और विकास का संदेश देती हैं। यह नक्षत्र जीवन में सुंदरता, स्थिरता, प्रेम और संतुलन लाने की प्रेरणा देता है। रोहिणी की ऊर्जा हर उस व्यक्ति के जीवन को सुंदर बनाती है, जो अपने भीतर रचनात्मकता, प्रेम और विकास की भावना रखता है।
अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें