By पं. अभिषेक शर्मा
जानिए कैसे ब्रह्मा देव रोहिणी नक्षत्र के माध्यम से सृजन, उर्वरता और समृद्धि की ऊर्जा प्रदान करते हैं
रोहिणी नक्षत्र वैदिक ज्योतिष का चौथा नक्षत्र है, जो वृषभ राशि में 10°00' से 23°20' तक फैला है। इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा है और अधिष्ठाता देवता ब्रह्मा हैं, जो हिंदू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में सृष्टि के रचयिता माने जाते हैं। रोहिणी का प्रतीक "रथ" या "बैलगाड़ी" है, जो सृजन, गति और भौतिक समृद्धि का प्रतीक है।
पैरामीटर | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 4 (चौथा) |
राशि सीमा | वृषभ 10°00' - 23°20' |
स्वामी ग्रह | चंद्रमा |
अधिष्ठाता देवता | ब्रह्मा |
तत्त्व | पृथ्वी |
शक्ति | रोहण शक्ति (वृद्धि और सृजन) |
गण | मानुष्य |
योनि | पुरुष सर्प |
ब्रह्मा वैदिक दर्शन में सृष्टि के आदि कारण हैं। ऋग्वेद (10.121) में उन्हें "हिरण्यगर्भ" (स्वर्ण गर्भ) कहा गया है, जिसमें समस्त ब्रह्मांड समाहित है। ब्रह्मा के चार मुख, चार हाथ और चार वेदों का ज्ञान उनकी सर्वव्यापकता का प्रतीक है।
रोहिणी नक्षत्र ब्रह्मा की सृजनात्मक ऊर्जा का प्रत्यक्ष प्रवाह है। यह संबंध निम्नलिखित तत्वों में प्रकट होता है:
ब्रह्मा की "विधातृ शक्ति" रोहिणी में रोहण शक्ति (वृद्धि करने की क्षमता) के रूप में प्रकट होती है। यही कारण है कि इस नक्षत्र के जातक:
पद्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के लिए सबसे पहले रोहिणी नक्षत्र को चुना। इसी नक्षत्र में उन्होंने प्रथम जीव (प्रजापतियों) और वेदों का सृजन किया।
जब नारायण (विष्णु) क्षीरसागर में शयन कर रहे थे, तब ब्रह्मा उनकी नाभि से उत्पन्न कमल पर प्रकट हुए। उन्होंने रोहिणी नक्षत्र की ऊर्जा से प्रेरित होकर:
"ब्रह्मा ने रोहिणी को चुना क्योंकि यह नक्षत्र सृजन के लिए सर्वाधिक उर्वर माना गया है।"
ब्रह्मा ने ज्ञान की देवी सरस्वती को रोहिणी नक्षत्र में ही प्रकट किया। इसीलिए रोहिणी जातकों में ज्ञान, संगीत और कलात्मक प्रतिभा जन्मजात होती है।
ब्रह्मा की ऊर्जा रोहिणी जातकों को निम्नलिखित गुण प्रदान करती है:
गुण | अभिव्यक्ति |
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सृजनात्मकता | कला, वास्तु, संगीत में उत्कृष्टता |
उर्वरता | कृषि, व्यवसाय, निवेश में सफलता |
आकर्षण | व्यक्तित्व में माधुर्य और प्रभावशीलता |
दृढ़ संकल्प | लक्ष्य प्राप्ति तक अटल रहना |
भौतिक समृद्धि | धन, सुख-सुविधाओं का संचय |
रोहिणी नक्षत्र के जातक ब्रह्मा की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं:
ब्रह्मा रोहिणी नक्षत्र के माध्यम से मानव को सिखाते हैं:
"ब्रह्मा की सृजन शक्ति कभी नष्ट नहीं होती-वह रोहिणी नक्षत्र में जन्मे प्रत्येक जातक के भीतर विद्यमान है।"
ब्रह्मा देव रोहिणी नक्षत्र के माध्यम से मानव जीवन में सृजन, उर्वरता और समृद्धि की वह दिव्य ऊर्जा प्रवाहित करते हैं, जिसने सृष्टि का आधार रखा। यह नक्षत्र हमें सिखाता है कि वास्तविक समृद्धि भौतिक संपदा से नहीं, बल्कि उस सृजनात्मक शक्ति से आती है, जो हमें ब्रह्मांड के साथ एकाकार कर दे। ब्रह्मा का आशीर्वाद रोहिणी जातकों को सदैव मिलता रहे-यही कामना है इस नक्षत्र की अमर ऊर्जा के साथ।
अनुभव: 19
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