By पं. सुव्रत शर्मा
जानिए छठे भाव का वैदिक महत्व, रोग, ऋण, शत्रु, विवाद व जीवन में संघर्ष से उबरने की क्षमता पर इसका गहरा प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में जन्मकुंडली का छठा भाव (षष्ठ भाव) अत्यंत विशिष्ट और द्वैध प्रकृति वाला माना गया है। इसका संबंध मनुष्य की जीवनशैली, रोग प्रतिरोधक क्षमता और चुनौतियों से लड़ने की क्षमता से है। यह भाव जीवन में उत्पन्न संघर्षों, रोगों, शत्रुओं, ऋण, मानसिक तनाव, मुकदमे, सेवाभाव और मातृ पक्ष के संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। यह भाव यह भी दर्शाता है कि जातक कठिन परिस्थितियों से कैसे जूझता है और उनमें विजय कैसे प्राप्त करता है।
तत्त्व | विवरण |
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भाव संख्या | 6 (षष्ठ) |
स्वाभाविक राशि | कन्या (Virgo) |
कारक ग्रह | मंगल और शनि |
तत्त्व (Element) | पृथ्वी (Earth) |
शरीर के अंग | आंतें, पाचन तंत्र, नाभि क्षेत्र |
भाव का प्रकार | उपचय भाव, दोषभाव |
भाव का स्वभाव | संघर्षकारी, परीक्षणात्मक |
कालपुरुष कुंडली में राशि | कन्या (Virgo) |
छठा भाव निम्नलिखित क्षेत्रों को प्रभावित करता है
क्षेत्र | विवरण |
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स्वास्थ्य और रोग | छठा भाव विशेष रूप से दीर्घकालिक रोगों, शारीरिक व्याधियों और आंतरिक कमजोरी से जुड़ा होता है। यदि इस भाव में पाप ग्रहों (जैसे राहु, केतु, शनि) की स्थिति हो, तो जातक को रोगों से संघर्ष करना पड़ सकता है। वहीं यदि शुभ ग्रह या छठेश मजबूत हो, तो जातक रोगों से लड़ने की प्राकृतिक प्रतिरोधक शक्ति रखता है।इस भाव से आयुर्वेदिक दृष्टि से शरीर में ठंडा-गरम का संतुलन भी देखा जाता है। |
शत्रु और विवाद | यह भाव जातक के गुप्त और खुले शत्रुओं, विरोधियों और मुकदमों से जुड़ा होता है। इस भाव से देखा जाता है कि जातक जीवन में कितने संघर्षों से घिरा रहेगा और उनमें विजय पाएगा या नहीं। छठा भाव मजबूत हो तो जातक न्यायिक मामलों में जीत हासिल करता है और विरोधियों पर हावी रहता है। |
कर्ज और वित्तीय दबाव | यह भाव जातक के ऋण, उधारी और वित्तीय बाधाओं को दर्शाता है। छठा भाव मजबूत होने पर जातक ऋण से उबरने की शक्ति रखता है और आर्थिक रूप से स्थिरता प्राप्त करता है। |
सेवा और नौकरी | यह भाव सेवा क्षेत्र, नौकरी और प्रतिदिन के कार्यों को दर्शाता है। सरकारी सेवाओं, प्रतियोगी परीक्षाओं और चिकित्सा के क्षेत्र में सफलता इसी भाव से देखी जाती है। साथ ही यह भाव मातृ पक्ष के रिश्तों जैसे मामा, मौसी आदि और उनके सहयोग, आर्थिक स्थिति और व्यवहार से भी संबंधित होता है। |
मातृकुल संबंध | माता के परिवार (मामा, नाना) से संबंध और उनकी आर्थिक स्थिति। |
पशु और पालतू जानवर | पालतू जानवरों का स्वास्थ्य और उनसे जुड़े लाभ-हानि। |
कानूनी विवाद और न्याय | अगर छठे भाव में शनि, मंगल या राहु-केतु की युति हो और नवांश में समर्थन मिले, तो जातक का जीवन कानूनी विवादों में उलझ सकता है। लेकिन यदि छठा भाव बलवान हो तो ऐसे जातक कानूनी प्रणाली में कार्यरत भी हो सकते हैं - जैसे वकील, जज आदि। |
ग्रह | प्रभाव (छठे भाव में) |
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सूर्य | सरकारी सेवा में संघर्ष, आत्मबल से शत्रु पर विजय |
चंद्र | मानसिक तनाव, रोगों की संभावना, पर भावनात्मक लड़ाई में दक्षता |
मंगल | शत्रु पर विजय, उच्च प्रतिस्पर्धा, साहसी स्वभाव |
बुध | कानूनी मामलों में सफलता, आलोचना झेलने की क्षमता |
गुरु (बृहस्पति) | शारीरिक रक्षा प्रणाली मजबूत, ऋण मुक्ति में सहयोग |
शुक्र | रोगों की संभावना, लेकिन आरामदायक जीवनशैली |
शनि | दीर्घकालिक रोग या संघर्ष, लेकिन धीरे-धीरे सफलता की प्राप्ति |
राहु / केतु | मानसिक बेचैनी, अनदेखे शत्रु, रहस्यमय रोग |
वैदिक दृष्टिकोण से छठा भाव एक ऐसा क्षेत्र है जो कर्मों के फल, परीक्षा और प्रतिक्रिया का प्रतीक है। यह भाव दर्शाता है कि जातक को किन आंतरिक और बाहरी संघर्षों से सीख मिलती है और वह कैसे आत्मविकास की ओर अग्रसर होता है। यह भाव "सेवा भाव" से भी जुड़ा है, विशेषकर चिकित्सा, सुरक्षा और जनसेवा जैसे क्षेत्रों में।
कुंडली का छठा भाव जीवन के अंधेरे और कठिन अध्यायों को उजागर करता है। यह भाव जितना चुनौतीपूर्ण होता है, उतना ही व्यक्ति को मजबूत, स्थिर और संतुलित भी बनाता है। यदि यह भाव और इसका स्वामी शुभ स्थिति में हों, तो जातक न केवल कठिनाइयों से लड़ता है, बल्कि उनमें सफलता और सम्मान भी प्राप्त करता है। यह भाव हमें सिखाता है कि संघर्ष से बचा नहीं जा सकता, लेकिन धैर्य, कर्म और विवेक से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
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