By अपर्णा पाटनी
आदिकाल से प्रकृति और संकेतों के माध्यम से भविष्यदृष्टि की ज्योतिषीय परंपरा
मनुष्य सदा से ही भविष्य जानने की उत्कंठा से प्रेरित रहा है। वैदिक भारत की इसी गूढ़ जिज्ञासा ने निमित्त शास्त्र को जन्म दिया-एक ऐसा गूढ़ विज्ञान जो प्रकृति, पशु-पक्षियों, स्वप्नों, आकस्मिक ध्वनियों, शरीर की कम्पनाओं और आसपास घटने वाली रहस्यमयी घटनाओं के आधार पर भविष्य का अनुमान लगाता है। निमित्त शास्त्र हमें यह सिखाता है कि इस ब्रह्मांड में कुछ भी "अप्रासंगिक" नहीं होता-हर घटना का एक अर्थ है, हर संकेत में कोई सन्देश छिपा है।
निमित्त शब्द संस्कृत धातु "नि + मन्" से बना है, जिसका अर्थ है - "संकेत", "प्रेरणा" या "कारण"। निमित्त शास्त्र वह विद्या है, जो प्राकृतिक या असामान्य घटनाओं को दिव्य संकेत मानकर उनसे भविष्यवाणी करती है।
उदाहरण के लिए:
इन सभी को निमित्त माना जाता है।
ब्रह्मा, नारद, गर्ग, वराहमिहिर, कालिदास और कश्यप जैसे ऋषियों ने निमित्त शास्त्र का विशेष विवरण दिया है। विशेषतः वराहमिहिर ने अपनी कृति "बृहत संहिता" में निमित्तों का अत्यंत विस्तृत विवेचन किया है।
"निमित्तं दैवमित्याहुः तद्विज्ञानं महाफलम्।
ग्रहैः शाकुनिकं शास्त्रं तेन ज्ञेयं शुभाशुभम्॥"
-- बृहत संहिता
इस श्लोक में कहा गया है कि निमित्तों का ज्ञान दिव्य ज्ञान के समान है और शुभाशुभ फल का अनुमान इससे लगाया जा सकता है।
निमित्त | फल की व्याख्या |
---|---|
बायाँ आँख फड़कना (स्त्री) | शुभ |
दाहिनी आँख फड़कना (स्त्री) | अशुभ |
कौआ दाहिने कंधे पर बोले | शुभ यात्रा का संकेत |
बिल्ली का रास्ता काटना | यात्रा में बाधा |
छींक आना यात्रा पूर्व | प्रतीक्षा का संकेत, कुछ क्षण रुककर निकलें |
बिना कारण दीपक बुझना | चेतावनी या संकट |
यद्यपि निमित्त शास्त्र मुख्यतः पारंपरिक और आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है, कई निमित्त मानव अवचेतन मन, पर्यावरणीय संकेतों और सांकेतिक मनोविज्ञान से भी जुड़े हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, कोई भयावह स्वप्न अक्सर मानसिक अशांति का परिणाम होता है, जो भविष्य की ओर एक आत्म-संकेत भी हो सकता है।
आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों, मंदिरों, पंडितों और ज्योतिषाचार्यों द्वारा निमित्त शास्त्र का उपयोग किया जाता है - विशेष रूप से:
आधुनिक मनोविज्ञान भी इस ओर संकेत करता है कि मनुष्य अपने अवचेतन से संकेत ग्रहण कर सकता है-निमित्त शास्त्र इसका ही एक सांस्कृतिक, प्राचीन स्वरूप है।
निमित्त शास्त्र हमें यह सिखाता है कि इस ब्रह्मांड में कुछ भी अनायास नहीं होता। हर घटना, हर ध्वनि, हर जीव का व्यवहार एक संदेशवाहक हो सकता है - यदि हमारे भीतर उसे समझने का विवेक हो। यह ज्ञान केवल विश्वास नहीं, बल्कि ध्यान, अनुभव और संवेदनशीलता की मांग करता है। यह शास्त्र मानव अंतर्ज्ञान और प्रकृति के साथ गहरे सम्बन्ध का एक अत्यंत मूल्यवान आयाम है।
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