By पं. संजीव शर्मा
ग्रहों की डिग्री के अनुसार अवस्थाएँ और विषम-सम राशियों के उदाहरण सहित प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक राशि 30 अंश की होती है और हर ग्रह इस राशि के अलग-अलग अंशों पर अलग-अलग शक्ति प्राप्त करता है। ग्रह की यह शक्ति केवल गणितीय स्थिति नहीं है बल्कि यह जीवन के विभिन्न चरणों का प्रतीक भी होती है।
जब कोई ग्रह किसी राशि में प्रवेश करता है, तो उसकी शक्ति धीरे-धीरे बदलती है और इसे पाँच अवस्थाओं में बाँटा गया है - बाल, कुमार, युवा, वृद्ध और मृत अवस्था। विषम राशियों और सम राशियों में इन अवस्थाओं का क्रम अलग होता है।
प्रत्येक राशि को 6-6 अंश के पाँच खंडों में बाँटा गया है। हर खंड ग्रह की एक विशेष अवस्था को दर्शाता है।
सम राशियों में यही क्रम उलट जाता है।
राशि का प्रकार | 0-6° | 7-12° | 13-18° | 19-24° | 25-30° |
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विषम राशि | बाल | कुमार | युवा | वृद्ध | मृत |
सम राशि | मृत | वृद्ध | युवा | कुमार | बाल |
यह शैशव की स्थिति है। यहाँ ग्रह कमजोर रहता है और उसका प्रभाव अधूरा होता है।
उदाहरण: यदि चंद्रमा मेष राशि (विषम राशि) में 2° पर हो तो वह बाल अवस्था में होगा। ऐसा चंद्रमा जातक को मानसिक अस्थिरता और मातृ सुख की कमी दे सकता है।
यह किशोरावस्था की स्थिति है। ग्रह उत्साही होता है, परंतु अनुभव की कमी के कारण जल्दबाज़ी और अस्थिरता ला सकता है।
उदाहरण: यदि मंगल सिंह राशि में 9° पर हो तो कुमार अवस्था में होगा। ऐसा मंगल साहस तो देगा, लेकिन गुस्सा और अधीरता भी बढ़ाएगा।
यह सबसे शक्तिशाली स्थिति है। ग्रह पूर्ण ऊर्जा और प्रभाव के साथ अपने फल देता है।
उदाहरण: यदि बृहस्पति धनु राशि (विषम राशि) में 16° पर हो तो वह युवा अवस्था में होगा। ऐसा बृहस्पति जातक को विद्या, संतान और भाग्य में अपार सफलता देगा।
यह बुजुर्ग अवस्था है। ग्रह का अनुभव गहरा होता है, लेकिन उसकी सक्रियता घटने लगती है। फल धीरे और सीमित मिलते हैं।
उदाहरण: यदि शुक्र कन्या राशि (सम राशि) में 8° पर हो तो वह वृद्ध अवस्था में होगा। ऐसा शुक्र विवाह और संबंधों में धीरे-धीरे परिणाम देगा, परंतु स्थिरता भी लाएगा।
यह निष्प्रभावी स्थिति है। ग्रह लगभग कमजोर हो जाता है और अच्छे-बुरे फल देने की क्षमता न्यूनतम हो जाती है।
उदाहरण: यदि शनि मकर राशि (सम राशि) में 4° पर हो तो वह मृत अवस्था में होगा। ऐसा शनि जातक को करियर और जिम्मेदारियों में रुकावटें देगा।
1. ग्रह की सबसे प्रबल अवस्था कौन सी है?
युवा अवस्था (13°-18°) ग्रह की सबसे शक्तिशाली स्थिति मानी जाती है।
2. क्या मृत अवस्था का ग्रह पूरी तरह निष्प्रभावी हो जाता है?
नहीं, उसका प्रभाव बहुत कम हो जाता है, लेकिन पूर्ण रूप से शून्य नहीं होता।
3. विषम और सम राशियों में क्रम अलग क्यों होता है?
क्योंकि विषम राशियाँ सक्रिय और बहिर्मुखी ऊर्जा को दर्शाती हैं, जबकि सम राशियाँ स्थिर और अंतर्मुखी ऊर्जा का प्रतीक होती हैं।
4. क्या बाल अवस्था में ग्रह कभी शुभ फल देता है?
बहुत सीमित। बाल अवस्था का ग्रह अधूरा प्रभाव देता है, लेकिन यदि वह अपनी उच्च राशि में हो तो थोड़ी सकारात्मकता आ सकती है।
5. क्या यह नियम सभी ग्रहों पर लागू होता है?
हाँ, यह नियम सभी ग्रहों पर लागू होता है, चाहे वे शुभ हों या अशुभ।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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