By पं. संजीव शर्मा
वक्री ग्रहों के प्रभाव, महत्त्व और कुंडली में उनकी भूमिका जानें
वैदिक ज्योतिष में वक्री ग्रहों को विशेष महत्व दिया गया है। सामान्यतः ग्रह आगे की ओर गति करते हैं, लेकिन कभी-कभी वे आकाश में पीछे की ओर चलते हुए प्रतीत होते हैं। इसे वक्री या प्रतिगामी गति कहा जाता है। यह वास्तविक गति नहीं है बल्कि एक दृश्य भ्रम है, जैसे आप कार में बैठे हों और पास से धीरे चलती कार अचानक पीछे जाती हुई लगे। ज्योतिषीय दृष्टि से वक्री ग्रह परिस्थितियों को गहराई से समझने और जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर देते हैं।
जब कोई ग्रह वक्री होता है, तो उसका व्यवहार सीधी गति से अलग हो जाता है। वह आत्मचिंतन और समीक्षा के लिए प्रेरित करता है। ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि वक्री समय इन कार्यों के लिए उपयुक्त होता है:
हर ग्रह वक्री होकर अलग प्रभाव डालता है।
कुंडली में वक्री ग्रह होना बुरा संकेत नहीं है। कई बार यह छिपी हुई क्षमताओं को उजागर करता है। ये ग्रह व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाते हैं और पिछले जन्मों से जुड़े ज्ञान का संकेत देते हैं।
भाव | प्रतीकात्मक अर्थ |
---|---|
तीसरा | साहस, भाई-बहन, भाषण |
छठा | स्वास्थ्य, शत्रु, परिश्रम |
ग्यारहवाँ | मित्र, आकांक्षाएँ, लाभ |
यदि गोचर का कोई वक्री ग्रह जन्म कुंडली के वक्री ग्रह से जुड़ता है, तो जीवन में बड़े परिवर्तन संभव हैं, जैसे नया घर, मित्रता में बदलाव या सोचने का नया दृष्टिकोण।
स्थिति | शक्ति स्तर |
---|---|
उच्च ग्रह | अत्यधिक शक्तिशाली |
वक्री ग्रह | शक्तिशाली |
वर्गोत्तम ग्रह | संतुलित |
प्र.1. वक्री ग्रह वास्तव में क्या होते हैं?
उत्तर: वक्री गति एक दृश्य भ्रम है जब ग्रह पीछे जाते हुए प्रतीत होते हैं।
प्र.2. वक्री ग्रहों का प्रभाव हमेशा नकारात्मक होता है क्या?
उत्तर: नहीं, यह आत्मचिंतन और विकास का अवसर भी देता है।
प्र.3. कौन से ग्रह हमेशा वक्री रहते हैं?
उत्तर: राहु और केतु सदैव उल्टी दिशा में चलते हैं।
प्र.4. वक्री ग्रह बलवान क्यों माने जाते हैं?
उत्तर: क्योंकि वे व्यक्ति को भीतर से गहराई और मजबूती प्रदान करते हैं।
प्र.5. वक्री समय में क्या करना चाहिए?
उत्तर: पुराने निर्णयों की समीक्षा, आत्मसुधार और धैर्य रखना सबसे अच्छा है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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