By पं. अभिषेक शर्मा
जानिए गुरु पूर्णिमा 2025 की तिथि, पूजा विधि, ऐतिहासिक महत्व और गुरु के प्रति कृतज्ञता का संदेश
गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का वह पर्व है, जब हम अपने जीवन के मार्गदर्शकों, शिक्षकों और गुरुओं के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करते हैं। यह पर्व केवल एक तिथि नहीं, बल्कि ज्ञान, परंपरा और आत्मिक उन्नति का उत्सव है। वैदिक ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टि से गुरु पूर्णिमा का दिन विशेष ऊर्जा और आशीर्वाद से भरा होता है।
अवसर | तिथि और समय |
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गुरु पूर्णिमा | 10 जुलाई 2025, गुरुवार |
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 10 जुलाई 2025, सुबह 1:36 बजे |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 11 जुलाई 2025, सुबह 2:06 बजे |
गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन में कृतज्ञता, श्रद्धा और सीखने की भावना को जागृत करने का अवसर है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा ज्ञान केवल पुस्तकों से नहीं, बल्कि जीवन के अनुभव, गुरु के सान्निध्य और उनकी शिक्षाओं से मिलता है। गुरु का आशीर्वाद जीवन की हर बाधा को पार करने की शक्ति देता है। जब हम अपने गुरु के प्रति आभार और समर्पण प्रकट करते हैं, तो हमारे जीवन में सकारात्मकता, संतुलन और आत्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में सच्चा गुरु मिलना सबसे बड़ा सौभाग्य है। गुरु के मार्गदर्शन में ही आत्मा का विकास, चेतना का विस्तार और जीवन का वास्तविक अर्थ मिलता है। इस पावन अवसर पर अपने जीवन के हर गुरु को स्मरण करें, उनका सम्मान करें और उनके बताए मार्ग पर चलकर जीवन को सार्थक बनाएं। गुरु की कृपा से जीवन में हर अंधकार दूर होता है और ज्ञान, प्रेम व शांति का प्रकाश फैलता है-यही गुरु पूर्णिमा का सच्चा संदेश है।
अनुभव: 19
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