By पं. अमिताभ शर्मा
जानिए क्यों सावन में महिलाएं पहनती हैं हरी चूड़ियां और इसके पीछे छुपे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय लाभ
सावन का महीना आते ही देशभर में शिवभक्ति की लहर दौड़ जाती है। व्रत, पूजा और रुद्राभिषेक के साथ एक और परंपरा हर वर्ष सुर्खियों में रहती है-शादीशुदा महिलाओं द्वारा हरी चूड़ियां पहनना। यह केवल श्रृंगार का हिस्सा नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैदिक ज्योतिष से जुड़े प्रतीक हैं। आइए जानते हैं सावन में हरी चूड़ियां पहनने का महत्व, अर्थ और लाभ।
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है, जो प्रकृति के रंगों में रमे रहते हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाने की परंपरा है-ये सभी हरे रंग के होते हैं। हरा रंग प्रकृति, समृद्धि और ताजगी का प्रतीक है। देवी पार्वती भी हरे रंग को अत्यंत प्रिय मानती हैं। उनके सोलह श्रृंगार में हरी चूड़ियों का विशेष स्थान है। ऐसी मान्यता है कि सावन में हरी चूड़ियां पहनने से शिव-पार्वती दोनों प्रसन्न होते हैं और दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
भारतीय परंपरा में हरी चूड़ियां अखंड सौभाग्य, पति की लंबी उम्र और गृहस्थ जीवन की रक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं। महिलाएं देवी पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए सावन में हरी चूड़ियां पहनती हैं। यह विश्वास है कि इससे वैवाहिक जीवन में मजबूती आती है और पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता बनी रहती है।
सावन में हरी चूड़ियां पहनना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि दांपत्य जीवन में प्रेम, समझ और सामंजस्य को भी बढ़ाता है। हरियाली तीज जैसे त्योहारों पर महिलाएं हरे वस्त्र और चूड़ियां पहनकर विशेष पूजा करती हैं। इन परंपराओं का उद्देश्य परिवार में खुशहाली और रिश्तों में मिठास बनाए रखना है।
ज्योतिष शास्त्र में हरा रंग बुध ग्रह से जुड़ा है, जो बुद्धि, वाणी, व्यापार और समृद्धि का कारक है। सावन में हरी चूड़ियां पहनने से कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है। इससे करियर में प्रगति, बुद्धि की तीक्ष्णता, संवाद में सुधार और संतान प्राप्ति के योग बनते हैं। साथ ही, हरा रंग नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को भी कम करता है और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
हरी चूड़ियां पहनना न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि यह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। हरा रंग आंखों को ठंडक देता है, मन को शांत करता है और तनाव कम करता है। सावन की हरियाली के साथ जब महिलाएं हरी चूड़ियां पहनती हैं, तो यह प्रकृति और मनुष्य के गहरे संबंध को दर्शाता है।
हर बार जब कोई महिला सावन में हरी चूड़ियां पहनती है, तो वह न केवल अपने सौभाग्य की कामना करती है, बल्कि पूरे परिवार के सुख-समृद्धि की प्रार्थना भी करती है। यह एक ऐसा पल है, जब परंपरा, आस्था और प्रेम एक साथ मिलकर जीवन को सुंदर बना देते हैं। हरी चूड़ियां पहनना एक छोटी-सी परंपरा है, लेकिन इसके पीछे छुपा भाव और ऊर्जा बहुत गहरा है।
सावन में हरी चूड़ियां पहनना केवल श्रृंगार नहीं, यह भक्ति, प्रेम, सौभाग्य और वैदिक ऊर्जा का प्रतीक है। यह परंपरा हमें प्रकृति, परिवार और आत्मा से जोड़ती है। जब भी आप सावन में हरी चूड़ियां पहनें, उस पल को आस्था, प्रेम और सकारात्मक सोच के साथ अपनाएं-यही सच्चा सौंदर्य और जीवन की ऊर्जा है।
अनुभव: 32
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