By पं. सुव्रत शर्मा
जानें 12 अगस्त को कजरी तीज व्रत की सही तिथि, अंगारकी चतुर्थी का शुभ संयोग और अखंड सौभाग्य के लिए पूजा विधि।
जब भादों की रिमझिम फुहारें धरती को सींचती हैं, और मिट्टी की सौंधी सुगंध हवा में घुलती है, तब आता है कजरी तीज का पवित्र पर्व। यह केवल एक व्रत नहीं, बल्कि सुहागिनों की आस्था, प्रेम और अखंड सौभाग्य की कामना का जीवंत प्रतीक है। यह वह दिन है जब महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके अपने वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और अटूट प्रेम का आशीर्वाद मांगती हैं। इस वर्ष, तिथि को लेकर कुछ संशय है, लेकिन साथ ही एक दुर्लभ संयोग भी बन रहा है जो इस व्रत के महत्व को दोगुना कर रहा है।
पंचांग के अनुसार, कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष तिथियों का संयोग कुछ इस प्रकार है:
हिन्दू धर्म में उदयातिथि के नियम के अनुसार, जो तिथि सूर्योदय के समय उपस्थित होती है, उसे ही पूरे दिन के लिए मान्य माना जाता है। इस नियम के आधार पर, कजरी तीज का व्रत 12 अगस्त 2025, मंगलवार को रखा जाएगा।
इस वर्ष कजरी तीज पर एक अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। 12 अगस्त, मंगलवार को तृतीया तिथि सुबह समाप्त होने के बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी। मंगलवार को चतुर्थी तिथि पड़ने के कारण यह अंगारकी चतुर्थी और बहुला चतुर्थी का भी दिन होगा। इस प्रकार, एक ही दिन दो महान व्रतों का संयोग बन रहा है, जो सुहाग की रक्षा और संतान की उन्नति, दोनों के लिए अत्यंत फलदायी होगा।
विवरण | तिथि और समय |
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तृतीया तिथि प्रारंभ | 11 अगस्त 2025 • सुबह 10:34 बजे |
तृतीया तिथि समाप्त | 12 अगस्त 2025 • सुबह 08:41 बजे |
कजरी तीज व्रत की सही तिथि | 12 अगस्त 2025, मंगलवार • उदयातिथि के अनुसार |
विशेष संयोग | अंगारकी चतुर्थी और बहुला चतुर्थी का योग |
कजरी तीज का व्रत सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या और व्रत के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। यही कारण है कि विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सफलता के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, अविवाहित कन्याएं भी मनचाहा और सुयोग्य वर पाने की कामना से यह व्रत करती हैं। यह पर्व शिव और शक्ति के अटूट प्रेम का प्रतीक है और हमें सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और समर्पण से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है।
कजरी तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है क्योंकि इसमें महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं, यानी वे दिन भर जल भी ग्रहण नहीं करतीं। इस व्रत की पूजन विधि इस प्रकार है:
कजरी तीज केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि विश्वास और प्रेम की एक गहरी अभिव्यक्ति है। यह हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की नींव समर्पण और एक-दूसरे के प्रति सम्मान पर टिकी होती है। जब एक महिला अपने पति के लिए बिना कुछ खाए-पिए पूरे दिन प्रार्थना करती है, तो यह उसके प्रेम की सर्वोच्च परीक्षा होती है। इस पवित्र दिन पर की गई पूजा और व्रत से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि दांपत्य जीवन में भी एक नई ऊर्जा और मिठास का संचार होता है।
अनुभव: 27
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