By पं. अभिषेक शर्मा
काल भैरव पूजा, सिद्धि योग, रवियोग, शिववास योग, पूजन का संपूर्ण तरीका, परिवार के लिए लाभ
भारतीय पंचांग में कालाष्टमी का स्थान अत्यंत विशेष है। काल भैरव, जो शिव के रौद्र और न्यायिक स्वरूप माने जाते हैं, को समर्पित यह व्रत हर मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। किंतु अश्विन मास की कालाष्टमी 2025 में एक अनूठा धार्मिक संयोग बन रहा है, जब सिद्धि योग, रवियोग और शिववास योग - तीनों अत्यंत शुभ योग एक ही दिन पड़ रहे हैं। इस कारण से, इस बार का कालाष्टमी पर्व किसी साधारण उपासना का नहीं बल्कि अद्वितीय, दुर्लभ और त्वरित फल देने वाला बताया गया है।
तिथि | विशेष समय | अष्टमी तिथि आरंभ | अष्टमी तिथि समापन |
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14 सितंबर 2025 | उदयातिथि आधारित श्रेष्ठ काल | 5:04 AM (14 Sep) | 3:06 AM (15 Sep) |
योग | अद्वितीय शक्ति व फल |
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सिद्धि योग | साधना, पूजन, संकल्प, दान आदि में शीघ्र सफलता |
रवियोग | रोग व बाधा से मुक्ति, सूर्य का विशेष आशीर्वाद |
शिववास योग | शिव-पार्वती का सान्निध्य, परिवार-सुख, सिंहस्थ फल |
इन तीनों शुभ योगों का एक साथ संयोग अत्यंत दुर्लभ और हजारों वर्षों में एक-दो बार ही बनता है। ऐसे समय काल भैरव, शिव तथा सूर्यदेव की पूजा का प्रत्यक्ष फल साधक को शीघ्र ही प्राप्त होता है।
सामग्री | व्याख्या |
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गंगाजल | अभिषेक हेतु |
सरसों का तेल | दिव्य दीप जलाने के लिए |
काले तिल, उड़द | भोग और तर्पण |
गुड़, रोटी, नारियल | विशेष भोग |
फूल, बेलपत्र, धूप | अर्पण के लिए |
विधि | लाभ |
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गंगाजल अभिषेक | पापनाश और जीवन में शुद्धता |
तेल का दीप | नकारात्मकता का नाश, भूत-बाधा से रक्षा |
कुत्ते को भोजन | शनि, राहु, केतु दोष व पितृदोष की शांति |
काल भैरव को 'काल के स्वामी', 'समय के नियंता', न्यायकर्ता और दुर्भाग्य-नाशक माना गया है। शनि, राहु, केतु, पितृदोष, अकाल मृत्यु या शत्रु बाधा के लिए इनकी आराधना प्रभावी है। आर्या, व्यापारी, पुलिस या रक्षा क्षेत्रों को विशेष रूप से भैरव पूजन का लाभ मिलता है क्योंकि वे भय, बाधा और जोखिम का सामना दिन-रात करते हैं।
इस वर्ष सिद्धि योग, रवियोग, शिववास योग के कारण:
प्रश्न 1: क्या महिलाएं उपवास, पूजन और पाठ कर सकती हैं?
उत्तरा: हाँ, शुद्ध विधि, श्रद्धा और सरलता के साथ महिलाएं भैरव-व्रत रख सकती हैं।
प्रश्न 2: क्या यह व्रत मातृकुल या कुलदेवता के लिए भी प्रभावशाली है?
उत्तरा: बेशक, यह व्रत परिवार के सभी पूर्वजों, कुलदेवी-देवताओं, पितृ पंक्ति के लिए कल्याणकारी है।
प्रश्न 3: क्या सामान्य हवन, पूजा, दीपदान से लाभ मिलेगा या विशेष विद्वान की आवश्यकता है?
उत्तरा: सामान्य गृहस्थ पूजन में भी त्वरित फल, दान के साथ हो सकता है। जटिल दोष या परेशानी में पंडित से पूजन कराना अधिक लाभकारी है।
प्रश्न 4: क्या कुत्ते को भोजन जरूरी है?
उत्तरा: अवश्य, क्योंकि भैरवो का प्रिय वाहन और पितृ कार्य से जुड़े प्राणी हैं; इससे ग्रहण दोष, भूत बाधा आदि भी शांत होते हैं।
प्रश्न 5: क्या काल भैरव की पूजा का विशेष मन्त्र है?
उत्तरा: 'ॐ कालभैरवाय नमः' के अतिरिक्त ‘काल भैरव चालीसा’, ‘भैरवाष्टक’ और ‘महाकालाष्टक’ श्रेष्ठ माने जाते हैं।
इस बार की कालाष्टमी साधकों के लिए केवल नियम पालन, तपस्या या साधना का पर्व नहीं बल्कि दुर्लभ शुभ योगों का अनंत अवसर है। जो भक्त अपने पूजन, दान और आस्था के साथ आराधना करेगा-उसके जीवन, करियर, सम्बन्ध, वंश और संपूर्ण कल्याण में गति आएगी। शिव, भैरव और सूर्य का त्रि-योग साधक को हर तरह की विपत्ति, भय और बाधा से मुक्ति दिलाएगा।
अनुभव: 19
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