By पं. संजीव शर्मा
श्री राधा रानी के अवतरण का महोत्सव, भक्त कथा, ज्योतिषीय संकेत और क्षेत्रीय उत्सव
राधा अष्टमी उस दिव्य दिन का पर्व है जब श्री राधा रानी का अवतरण हुआ था। यह भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत रविवार, 31 अगस्त को रहेगा।
अष्टमी तिथि 30 अगस्त को रात 10:46 बजे आरंभ होगी और 1 सितंबर को रात 12:57 बजे समाप्त होगी। प्रमुख पूजा मुहूर्त दोपहर 02:31 से 05:56 बजे तक रहेगा। मध्याह्न राधा अष्टमी का विशेष समय 11:09 से 01:36 बजे तक है।
पौराणिक मान्यता है कि राधा रानी का जन्म रावल नगरी में हुआ था। राजा वृषभानु ने यमुना तट पर स्नान के समय सोनहरे कमल पर आगन्तुक शिशु को पाया था। उस शिशु की आँखें बंद थीं। कमल पर सवार वह बच्ची स्वर्णज्योति से दीप्तिमान थी। तभी ब्रह्म मुहूर्त का चमत्कार हुआ। देवी स्वयं मोहिनी स्वरूप में प्रकट हुई।
बाल्यकाल में उन्होंने गोवर्धन धारण लीला में श्री कृष्ण के साथ हिस्सा लिया। अष्टसखी उनकी निकट मित्र रहीं। उनका रसीला प्रेम वृंदावन को सौन्दर्य और भक्ति का केन्द्र बनाता था।
पुराण कहते हैं कि एक बार राधा और कृष्ण गोपियों के साथ रास महोत्सव में गए। राधा की नृत्य कला ने देवगण को मोहित कर दिया था। उनका प्रेम कृष्ण के हृदय में गहराई से अंकित हो गया। रास में राधा का मुख्त भाव इस पर्व का हृदय है।
पूजा स्थान को स्वच्छ करें और राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें। ब्राह्म मुहूर्त में स्नान करके शुद्ध हो जाएँ।
अष्टमी तिथि में बुध और गुरु का समागम मन में शांति लाता है। राधा अष्टमी श्रवण नक्षत्र में आती है जो संवेदना और रचनात्मकता का प्रतीक है।
बृज क्षेत्र में Barsana में लाडली जी महारानी मंदिर दीपमालाएं सजता है। रावल में जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। वृंदावन में भक्त राधा-कृष्ण की झांकियों में लीन रहते हैं।
प्रश्न 1: राधा अष्टमी क्यों मनाई जाती है
उत्तर: यह श्री राधा रानी के अवतरण और प्रेम की महिमा का उत्सव है।
प्रश्न 2: पूजा मुहूर्त कब तक रहेगा
उत्तर: दोपहर 02:31 से 05:56 बजे तक।
प्रश्न 3: अष्टमी तिथि और पारण का समय क्या है
उत्तर: तिथि 30 अगस्त रात 10:46 से 1 सितंबर रात 12:57 बजे तक, पारण 1 सितंबर दोपहर 12 बजे के बाद।
प्रश्न 4: राधा सहस्रनाम का क्या महत्व है
उत्तर: इससे भक्ति की गहन अनुभूति होती है और मन निर्मल होता है।
प्रश्न 5: जन्मस्थान रावल में कैसे उत्सव होता है
उत्तर: रावल में रात्रि जागरण, भजन संध्या और प्रसाद वितरण होता है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें