By अपर्णा पाटनी
इस माह दो बार मिलेगा शिव-पार्वती का आशीर्वाद। जानें व्रत की तिथियां, पूजा विधि और प्रदोष काल का महत्व।
अगस्त का महीना जब सावन की रिमझिम बूंदों को विदा कर भाद्रपद की गंभीर भक्ति में प्रवेश करता है, तब आस्था और आध्यात्म का एक अनूठा संगम देखने को मिलता है। यह महीना गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी और रक्षाबंधन जैसे पर्वों से सजा होता है। इसी दिव्य वातावरण के बीच, देवों के देव महादेव को समर्पित प्रदोष व्रत का अवसर आता है, जो जीवन के सभी दोषों को दूर करने और शिव-पार्वती की असीम कृपा पाने का सुनहरा मौका होता है। अगस्त 2025 में दो बार यह पवित्र व्रत मनाया जाएगा, प्रत्येक की अपनी दिव्यता और शक्ति है।
प्रदोष का समय सूर्यास्त के आसपास का वह विशेष काल होता है जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर आनंद-तांडव करते हैं। मान्यता है कि इस समय वे अत्यंत प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और अपने भक्तों की प्रार्थनाएं सहज ही स्वीकार कर लेते हैं। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती दोनों का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त करने का सबसे उत्तम अवसर माना जाता है। प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक समृद्धि और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
लाभ का क्षेत्र | विवरण |
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स्वास्थ्य | शारीरिक रोगों से मुक्ति और आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। |
मानसिक शांति | चिंता, तनाव और मन के विकारों से छुटकारा मिलता है। |
आर्थिक समृद्धि | कर्ज से मुक्ति और धन-धान्य में वृद्धि होती है। |
पारिवारिक सुख | दांपत्य जीवन में मधुरता और परिवार में शांति बनी रहती है। |
मनोकामना पूर्ति | सच्ची श्रद्धा से किया गया व्रत हर मनोकामना को पूर्ण करता है। |
प्रदोष का समय केवल एक मुहूर्त नहीं, बल्कि स्वयं से और शिव-तत्व से जुड़ने का एक गहरा अवसर है। यह वह घड़ी है जब ब्रह्मांड की ऊर्जा अपने चरम पर होती है और सच्ची भक्ति सीधे महादेव तक पहुंचती है। अगस्त के इन दो प्रदोष व्रतों के माध्यम से अपने जीवन को शिव-पार्वती के आशीर्वाद से सिंचित करें और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति करें। पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया यह व्रत आपके जीवन के सभी अंधकारों को दूर कर प्रकाश की ओर ले जाएगा।
अनुभव: 15
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इनके क्लाइंट: म.प्र., दि.
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