By पं. अभिषेक शर्मा
शिव के प्रति गहन भक्ति के साथ करें रुद्राभिषेक, जानें प्रत्येक अर्पण का विशेष महत्व
सावन 2025 के साथ ही भक्तजन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव के रुद्राभिषेक की तयारी में जुट जाते हैं। यह महीना आत्मिक रूप से नया बनने और शिव में मन लगाने का काल है। रुद्राभिषेक-शिवलिंग का पवित्र सामग्रियों से अभिषेक, साथ में वैदिक मंत्र जैसे रुद्र, चमकं या महामृत्युंजय मंत्र का जाप-सावन की पूजा का मूल है। हर अर्पण केवल प्रतीक नहीं, बल्कि उसमें अनूठी आध्यात्मिक ऊर्जा होती है जो साधक के हृदय को ब्रह्मांड से जोड़ती है।
अर्थ: शुद्ध जल समर्पण (samarpana), शुद्धता (shuddhi) और स्पष्टता का प्रतीक है। शिवलिंग पर जल अर्पण से मन शांत होता है, चित्त निर्मल होता है, और मानसिक तनाव घटता है। जल अभिषेक दैनिक पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है, खासकर जो भावनात्मक शांति चाहते हैं।
अर्थ: दूध पोषण (poshan), करुणा, और मातृत्व का द्योतक है। यह शिव को अत्यंत प्रिय है और मन की अशांति, चिंता व थकावट दूर करता है। दूध इच्छा, हृदय और विचारों को शुद्ध करता है।
अर्थ: शहद माधुर्य (madhurya) और एकता का प्रतीक है। शहद से अभिषेक से संबंधों में मिठास, संवाद में प्रेम, और सौहार्द बढ़ता है। तनाव व क्रोध दूर करने के लिए यह सर्वोत्तम माना गया है।
अर्थ: घी आत्मसमर्पण (ahuti) और आध्यात्मिक प्रकाश (jyoti) का संकेत है। घी के अभिषेक से बुद्धि तेज़ होती है, नकारात्मकता दूर होती है, और जीवन में निर्णय स्पष्ट होते हैं।
अर्थ: ईख का रस समृद्धि (samriddhi) और प्रसन्नता का प्रतीक है। इसे अर्पित करने से आर्थिक वृद्धि, इच्छापूर्ति और व्यापार में सफलता आती है।
अर्थ: नारियल जल पूर्ण समर्पण (arpana) और गहन शुद्धिकरण का प्रतीक है। यह भीतरी आसक्ति, भ्रम और चिंता से मुक्ति दिलाने वाला द्रव्य है।
अर्थ: दही स्वास्थ्य, फलप्राप्ति और भावनात्मक संतुलन का सूचक है। इससे घर-परिवार में आनंद, संतान प्राप्ति और संबंधों में स्थिरता आती है।
अर्थ: दूध, दही, घी, शहद और शकर का संयोजन पंचामृत शरीर, मन, बुद्धि, अहं और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है। प्रमुख तिथियों और सावन के सोमवार को पंचामृत से रुद्राभिषेक अवश्य करें।
अर्थ: चंदन मन और हृदय को ठंडक, ताजगी और ध्यान (dhyan) में एकाग्रता देता है। इसकी सुगंध साधना को और गहरा बनाती है।
अर्थ: बिल्व पत्र शिव को सर्वप्रिय हैं। इसकी त्रिपत्री संरचना सत्व, रज, तम और शिव के त्रिनेत्र का प्रतीक है। श्रद्धापूर्वक अर्पित किया गया एक भी बिल्व पत्र मोक्ष (moksha) की राह खोल सकता है।
अर्थ: भस्म तितिक्षा, त्याग और नश्वरता की स्मृति है। यह अभिमान, आसक्ति और भौतिक मोह को भस्म कर आध्यात्मिक शक्ति जगाता है।
रुद्राभिषेक किसी भी दिन किया जा सकता है, मगर सोमवार (Somvar), प्रदोष और सबसे खास, सावन मास (Shravan Maas) में इसका अनूठा प्रभाव मिलता है। सावन के महीने में की गई पूजा का फल कई गुना होता है, और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। श्रद्धा, मनोयोग और विधिवत रुद्राभिषेक करने वाले साधक को आध्यात्मिक शुद्धि, संरक्षण और आंतरिक शांति अवश्य मिलती है। हर अर्पण केवल बाह्य आचरण नहीं, बल्कि साधक और दिव्यता के बीच एक पुल है-यह साधना को सिद्धि, भावना को शक्ति और साधक को शिव से जोड़ता है।
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