By पं. अमिताभ शर्मा
पुराणिक प्रसंग, तिथि, मुहूर्त, वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक लाभ
सितंबर 2025 में भक्त भगवान शिव के दो प्रमुख प्रदोष व्रत रखेंगे। पहला व्रत 5 सितंबर, शुक्रवार को रहेगा। दूसरी प्रदोष व्रत 19 सितंबर, शुक्रवार को रहेगी।
प्रथम प्रदोष व्रत की तिथि Trayodashi तिथि प्रारंभ 04:08 AM, 5 सितंबर से हुई। यह तिथि अगले दिन 03:12 AM, 6 सितंबर को समाप्त हुई। पूजा मुहूर्त 06:38 PM से 08:55 PM तक रहा।
पुराणों में वर्णित है कि प्रदोष काल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश स्वयं लोक में विचरण करते हैं। एक कथा के अनुसार ब्रह्मा ने एकादशी को अवज्ञा करने पर भारी पश्चाताप किया था। तब शिव और पार्वती ने प्रदोष व्रत का विधान बताया।
द्वितीय प्रदोष व्रत Trayodashi तिथि आरंभ 11:24 PM, 18 सितंबर से हुआ और 11:36 PM, 19 सितंबर तक रहा। पूजा मुहूर्त 06:21 PM से 08:43 PM तक निर्धारित था।
एक कथा के अनुसार चाण्डाल राजा ने प्रदोष दिन शिव की आराधना की। उस दिन वह ब्राह्मण सम्तुल्य फल पाकर क्षात्र का कर्त्तव्य भूल गया था। शिव ने प्रकट होकर उसे स्मरण कराया कि प्रदोष व्रत से ही संसार धन्य होता है।
पूजा स्थान को स्वच्छ करें और शिवलिंग स्थापित करें। पंचामृत से अभिषेक करें।
हवन करें और बिल्व पत्र अर्पित करें। प्रसाद में फालाहारी खीर तथा नागर्दल लड्डू वितरित करें।
व्रत से आत्मसंयम बढ़ता है। विज्ञान कहता है कि हवन धुआं वायु में विषाणु मारता है। बेलपत्र का अर्पण रक्त शर्करा नियंत्रित करता है।
प्रश्न 1: प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है
उत्तर: यह शिव की प्रदोष आराधना से कष्ट और रोग दूर करता है।
प्रश्न 2: व्रत के दौरान क्या त्यागें
उत्तर: मांस, मदिरा, प्याज-लहसुन और अनहोरित भोजन।
प्रश्न 3: मध्यरात्रि जागरण का महत्व
उत्तर: शिव जागरण से मन एकाग्र होता है और दर्शन सिद्धि होती है।
प्रश्न 4: प्रदोष व्रत का वैज्ञानिक लाभ
उत्तर: हवन धुआं हवा शुद्ध करता है और दीप जलित आयन वातावरण शुद्ध करते हैं।
प्रश्न 5: क्षेत्रीय रीति में कौन-सा भेद है
उत्तर: उज्जैन सत्यनारायण, तमिलनाडु दीपोत्सव, कश्मीर मंगलाचरण प्रमुख हैं।
अनुभव: 32
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