By पं. संजीव शर्मा
भाद्रपद अमावस्या 2025 की तिथि, महत्व और पूजा विधि
अमावस्या तिथि प्रारंभ - 22 अगस्त 2025, सुबह 11:55 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - 23 अगस्त 2025, सुबह 11:35 बजे
भाद्रपद मास की अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इसे विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। तमिलनाडु में इसे आवणी अमावस्या कहते हैं, वहीं मारवाड़ी समाज में इसे भादो अमावस्या या भादी अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इस दिन पितरों की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा और दान के कार्य किए जाते हैं।
हिंदू परंपरा में अमावस्या का सीधा संबंध पूर्वजों और पितरों की स्मृति से जुड़ा है। भाद्रपद अमावस्या पर किए गए पितृ तर्पण और पितृ पूजन से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
इस दिन लोग ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देकर उन्हें संतुष्ट करते हैं। कई भक्त पवित्र तीर्थस्थलों पर जाकर गंगा स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान और पुण्य कार्य सौ गुना फल देता है। गाय, कौआ, चींटी और कुत्तों को अन्न देना भी विशेष पुण्यदायी माना गया है।
कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए भाद्रपद अमावस्या विशेष फलदायी है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव दूर होते हैं और पाप कर्मों का क्षय होता है।
भाद्रपद अमावस्या पर पूजा-व्रत और दान के नियम अत्यंत सरल लेकिन गहन प्रभाव वाले हैं।
प्रश्न 1: भाद्रपद अमावस्या 2025 कब मनाई जाएगी?
उत्तर: यह 22 अगस्त 2025 को सुबह 11:55 बजे से प्रारंभ होकर 23 अगस्त 2025 को सुबह 11:35 बजे तक रहेगी।
प्रश्न 2: इस दिन पितृ तर्पण का क्या महत्व है?
उत्तर: पितृ तर्पण से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
प्रश्न 3: भाद्रपद अमावस्या पर कालसर्प दोष निवारण कैसे किया जाता है?
उत्तर: इस दिन विशेष पूजा, मंत्रजाप और तर्पण द्वारा कालसर्प दोष के प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
प्रश्न 4: इस दिन दान के कौन से कार्य सबसे पुण्यकारी हैं?
उत्तर: ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देना तथा गाय, कुत्तों, कौओं और चींटियों को अन्न देना अत्यंत पुण्यकारी है।
प्रश्न 5: तमिलनाडु में इस अमावस्या को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर: तमिलनाडु में भाद्रपद अमावस्या को आवणी अमावस्या कहा जाता है।
अनुभव: 15
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इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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