By पं. अमिताभ शर्मा
पापों से मुक्ति, रोग शांति और मोक्ष दिलाने वाला योगिनी एकादशी व्रत एक दिव्य अवसर
योगिनी एकादशी, सनातन धर्म की 24 एकादशियों में से एक विशेष और अत्यंत पुण्यदायी व्रत है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में योगिनी एकादशी 21 जून, शनिवार के दिन मनाई जाएगी। यह दिन न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का, बल्कि जीवन की समस्याओं से मुक्ति और ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत करने का भी एक दुर्लभ अवसर है।
योगिनी एकादशी का उल्लेख पद्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत का पुण्य 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है। यह व्रत पापों के नाश, रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है।
योगिनी एकादशी की कथा राजा कुबेर और उनके माली हेममाली से जुड़ी है। हेममाली को श्रापवश कुष्ठ रोग हो गया था। ऋषि मार्कण्डेय के मार्गदर्शन में योगिनी एकादशी का व्रत करने से उसके सभी पाप नष्ट हो गए और उसे पुनः स्वर्ग की प्राप्ति हुई। यह कथा बताती है कि यह व्रत आत्मा की शुद्धि और जीवन के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला है।
इन मंत्रों का जाप करने से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं से राहत मिलती है, और भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत करने में सहायक है। विशेष रूप से शनि, राहु और केतु के कष्टकारी योगों में इस व्रत का पालन करने से जीवन में स्थिरता, समृद्धि और मानसिक शांति आती है। इस दिन दान-पुण्य करने से ग्रहदोषों का शमन होता है और भाग्य में वृद्धि होती है।
योगिनी एकादशी न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि, मन की शांति और जीवन के हर संकट से मुक्ति का द्वार भी है। यह व्रत हमें यह सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और नियमपूर्वक साधना से जीवन के सबसे कठिन समय में भी आशा, शक्ति और दिव्यता की प्राप्ति संभव है। जब हम भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं, तो न केवल हमारे पाप नष्ट होते हैं, बल्कि हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक प्रकाश का संचार होता है।
योगिनी एकादशी 2025, वैदिक परंपरा और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ और फलदायी व्रत है। यह व्रत न केवल पापों के नाश, रोगों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का साधन है, बल्कि ग्रहों के दोषों को भी शांत करता है। नियमपूर्वक व्रत, विधिवत पूजा, मंत्र जाप और दान-पुण्य से साधक को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह दिन आत्मा के उत्थान, परिवार की खुशहाली और जीवन की हर बाधा को पार करने का अवसर है-श्रद्धा और विश्वास के साथ योगिनी एकादशी का व्रत अवश्य करें।
अनुभव: 32
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