By पं. नीलेश शर्मा
नगरी, महल, गृहस्थ जीवन, कृष्ण की गहराई और सबको अपनाने वाला प्रेम
श्रीकृष्ण की कथा, गोकुल के बालक, वृंदावन के प्रेमी, कुरुक्षेत्र के मार्गदर्शक, दुनिया भर की कल्पना को आलोकित करती रही है। परंतु एक विशाल कालखंड है, जो कम दिखता है, अधिक रहस्यमय है: द्वारका का जीवन, कृष्ण का राजा, पति, पिता और गृहस्थ के रूप में। महल की दीवारों के पीछे दिन-प्रतिदिन क्या होता था? इस घरेलूता और बहुलता में जैसा गूढ़ तत्व संचित है, उसका अन्वेषण करें।
कृष्ण ने कंस से मथुरा मुक्त कराया, किंतु जरासंध के खतरे को भाँपकर यादव वंश के साथ पश्चिम की ओर चल दिये। समुद्र-तट की सुरक्षित, भव्य नगरी द्वारका उनकी स्थायी निवास बनी, जहां दिव्य शिल्पकारों द्वारा निर्मित नगर, राजनीति, परिवार, भक्ति सबका संगम था। यहाँ वे न केवल राजा, बल्कि एक विशाल गृहस्थ कुल के मुखिया के रूप में भी थे, मानवीय और दैवीय दोनों रूपों की अद्वितीय झाँकी।
16,108 पत्नियों के किस्से के बावजूद, आठ मुख्य रानियाँ, अष्टाभार्या, कहानी, प्रेम-प्रकार, आध्यात्मिक संकेतों के प्रतीक हैं।
इन रानियों में प्रेम के विविध रंग, परस्परता, बंधुत्व, समर्पण, धर्म, प्रतीक्षाक्षमता, आध्यात्मिकता का दृष्टांत मिलता है।
नरकासुर, दानव राजा, ने १६,१०० कन्याओं को बंदी बना लिया था। कृष्ण ने सत्ताभामा के साथ युद्ध करके नरकासुर को हराया और उन कन्याओं को समाज में सम्मानित, स्वीकार किया।
कृष्ण प्रत्येक रानियों के साथ एकसमान उपस्थित रहते हैं, कथा है कि वे स्वयं को हर घर में विभक्त कर लेते, एक का अभाव, दूसरे में कोई भेद नहीं।
द्वारका के मौन-काल कृष्ण की सबसे गूढ़ शिक्षा है, जहाँ दिव्यता केवल रणक्षेत्र या रास में नहीं, बल्कि दैनिक संबंध, सतत सेवा, प्रेम और व्यापक स्वीकार में प्रकट होती है। कृष्ण का गृह, एक सम्पूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है, हर संबंध में ईश्वर का रूप, हर संकट में करुणा, हर आनंद में दिव्यता। 16,108 पत्नियाँ और अनगिन कथा हमें यह स्मरण दिलाती हैं कि सच्चा अध्यात्म सीमित नहीं, बल्कि सबको समर्पण, प्रेम और सहभागिता में स्थायी है।
प्रश्न १: कृष्ण की आठ प्रमुख रानियाँ कौन थी और उनका प्रतीक क्या है?
उत्तर: रुक्मिणी (भक्ति), सत्यभामा (गौरव), जाम्बवती (धैर्य), कालिंदी (शुद्धता), मित्रविंदा (स्वतंत्रता), नग्नजीति (संयम), भद्रा (परिवार), लक्ष्मणा (प्रतियोगिता), प्रेम, भक्ति, धर्म, बंधुत्व का प्रतिनिधित्व।
प्रश्न २: नरकासुर प्रसंग में कृष्ण का समावेश और दयालुता कैसे प्रकट होती है?
उत्तर: कृष्ण ने १६,१०० बंदी कन्याओं से विवाह किया, समाज से निष्कासितों का पुनः सम्मान, समावेश और करुणा का पाठ दिया।
प्रश्न ३: कृष्ण सभी रानियों के साथ एकसमान कैसे थे?
उत्तर: पुराणों में कथा है कि वे अपने रूप अनेक घरों में प्रकट करते, हर रानी को व्यक्तिगत, पूर्ण रूप से प्रेम करते; ईश्वर का सर्वव्यापकता का आदर्श।
प्रश्न ४: गृहस्थ जीवन की जटिल कथा में कृष्ण का कूटनीतिक, संवादात्मक रूप किस तरह दिखता है?
उत्तर: वे प्रत्येक विवाद, ईर्ष्या, प्रेम-संबंध को धैर्य, समन्वय, संतुलन और स्नेह से सुलझाते; महल में संतुलन, विश्व में भी न्याय का प्रतीक।
प्रश्न ५: द्वारका की मौनता कृष्ण कथा का क्या गूढ़ संदेश है?
उत्तर: साधना, दिव्यता, गृहस्थ जीवन, करुणा, समर्पण, ये सब संघर्ष, मौन और संतुलन में प्रकट होते हैं; हर संबंध में कृष्ण की सम्पूर्णता का प्रत्यक्षीकरण है।
अनुभव: 25
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