By पं. अभिषेक शर्मा
सातवें भाव में गुरु के प्रभाव से जीवन में संबंध, विवाह और समृद्धि

विवाह, साझेदारी और सामाजिक प्रतिष्ठा की खोज में सप्तम भाव का प्रभाव किसी जीवनगाथा की तरह है, जिसमें गुरु शुभ फल, दुर्लभ सहयोग, भावनात्मक स्थायित्व और आर्थिक सम्पन्नता के रंग बिखेरते हैं। इसी भाव के ज़रिये मानवीय रिश्तों में विश्वास का सूत्र बनता है, जीवनसाथी की योग्यता उजागर होती है और भाग्य की नई राहें खुलती हैं। जब सप्तम भाव में बृहस्पति शुभ रूप से स्थित होते हैं, तो जीवन एक सुंदर कथा की तरह समृद्ध हो जाता है।
गहरे रिश्तों की डोर तब मजबूत होती है जब सप्तम भाव में गुरु स्थान ग्रहण करता है। शारीरिक आकर्षण, मधुर वाणी, बुद्धिमत्ता और विद्या की चाह जीवन को कलात्मक बना देती है। कला, साहित्य, ज्योतिष और ज्ञान से व्यक्ति समाज में अलग पहचान पाता है।
सातवें भाव में गुरु सिर्फ आकर्षण और सुंदरता तक सीमित नहीं रहते। शिक्षा, शास्त्र, ज्योतिष और साहित्य में गहरी रुचि व्यक्ति की अलग पहचान बनाती है। वाणी में मधुरता और विचारों में स्पष्टता व्यक्ति को प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाती है।
| विशेषता | संकेत |
|---|---|
| आकर्षण | सुंदरता, व्यावसायिक घरेलूपन, सकारात्मक संवाद |
| विद्या | ज्योतिष, कला, साहित्य, शिक्षाशास्त्र में अभिव्यक्ति |
| प्रतिष्ठा | लोकप्रियता, सामाजिक आदर, दूरदर्शिता |
शुभ गुरु के रहते विवाह के साथ ही जीवन के अनुकूल मौलिक बदलाव आते हैं। साझेदारी में सहयोग, रिश्तों में स्थायित्व और प्रेम की प्रगाढ़ता मिलती है। जीवनसाथी का चरित्र, संपन्नता और गुण व्यक्ति के भाग्य को नई दिशा देते हैं।
अगर सप्तम भाव का गुरु कमजोर हो या वक्री/अस्त हो जाए तो संबंधों में टकराव, व्यापार में उलझन या रिश्तों की धरातल दरक सकती है। अभिमान, कामुकता और असंतुलित भावनाएं दृष्टिगत हो सकती हैं।
| योग या स्थिति | प्रभाव |
|---|---|
| हम्सा योग | शक्ति, प्रतिष्ठा, पद, सुख, चरम सम्मान |
| गजकेसरी योग | अपार धन, समृद्धि |
| अधि योग | श्रेष्ठ जीवनसाथी, प्रगति, सामाजिक सम्मान |
| कर्क गुरु | बुद्धिमत्ता, रचनात्मकता, वित्तीय समृद्धि |
| मीन गुरु | पुण्य, सहसा, आध्यात्मिकता, अपेक्षा |
| धनु गुरु | धर्म, यात्रा, दृढ़ संकल्प, आकर्षक व्यक्तित्व |
| मकर गुरु | सख्त मेहनत, संघर्ष, सीमाएँ |
| वक्री गुरु | रिश्तों में उलझन, व्यापार में अविश्वास |
| अस्त गुरु | अकेलापन, संबंधों में दूरी |
सप्तम भाव में गुरु के शुभ और विविध योग व्यक्ति के जीवन में शांति, सहयोग, शिक्षा, प्रतिष्ठा, नैतिकता और आर्थिक समृद्धि के नये द्वार खोलते हैं। रिश्तों की मिठास से लेकर समाजिक आदर और कर्म की उत्कृष्टता तक, गुरु का यह स्थान जीवन की यात्रा को असाधारण बनाता है।
| जीवन का क्षेत्र | गुरु के प्रभाव |
|---|---|
| वैवाहिक संबंध | स्थायित्व, सहयोग, समृद्धि |
| समाज/प्रतिष्ठा | सम्मान, नेतृत्व, लोकप्रियता |
| व्यवसाय/साझेदारी | सफल साझेदारी, प्रगति |
| शिक्षा/कला | ज्ञान, रचनात्मक अभिव्यक्ति |
| धन/संपदा | स्थायी आय, भाइयों का सहयोग |
सप्तम भाव में गुरु की उपस्थिति के साथ जीवन का हर रिश्ता, करियर, प्रतिष्ठा और धन का क्षेत्र सुंदर, संतुलित और सफल होता है। यही संबंधों और भाग्य के विस्तार का असली चमत्कार है।

अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
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