By पं. संजीव शर्मा
नौवें भाव में केतु के शुभ-अशुभ प्रभाव, राशि अनुसार फल, योग और उपाय

वैदिक ज्योतिष में नौवें भाव को भाग्य, धर्म, दर्शन, उच्च शिक्षा, गुरु और दीर्घ यात्राओं का प्रतिनिधि माना जाता है। जब केतु इस भाव में स्थित होता है, तो यह जीवन में धार्मिक प्रवृत्ति, परोपकार की भावना, और दूरगामी यात्राओं के अवसर प्रदान करता है। इसकी स्थिति के अनुसार यह व्यक्ति के लिए वरदान या चुनौती, दोनों हो सकता है।
वैदिक ज्योतिष में केतु के महत्व, प्रभाव और उपायों के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें।
| क्षेत्र | संभावित लाभ |
|---|---|
| धार्मिक प्रवृत्ति | धर्म, दान और तप में गहरी रुचि |
| आर्थिक स्थिति | सरकारी लाभ, विदेश या विदेशियों से भाग्योदय |
| ज्ञान और शिक्षा | उच्च शिक्षा, लेखन और बौद्धिक विकास |
| परोपकार | अनाथालय, वृद्धाश्रम, सामाजिक कार्यों में सक्रियता |
| यात्राएं | लाभकारी विदेश यात्राएं और सांस्कृतिक अनुभव |
शुभ केतु यहां व्यक्ति को धार्मिक कार्यों, दान और लोककल्याण से जोड़ता है। यह स्थिति लेखक, शोधकर्ता, या आध्यात्मिक मार्गदर्शक बनने में मदद कर सकती है, भले ही कई बार काम का श्रेय दूसरों को मिल जाए।
| क्षेत्र | संभावित हानि |
|---|---|
| पिता से संबंध | पिता के सुख में कमी, मतभेद |
| संबंध | भाई-बहनों से विवाद, संतान संबंधी चिंता |
| सामाजिक स्थिति | गलत लोगों की संगति से बदनाम होना |
| व्यवहार | धार्मिक कार्यों में दिखावा, व्यक्तिगत लाभ के लिए धर्म का उपयोग |
| शारीरिक कष्ट | कोहनी और उंगलियों के बीच हाथ में दर्द |
अशुभ स्थिति में यह व्यक्ति को गलत संगति और अनैतिक कार्यों की ओर आकर्षित कर सकता है, जिससे प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है।
| राशि | प्रभाव |
|---|---|
| वृषभ | नीच केतु, जीवन में अस्थिरता के बावजूद परोपकार की प्रवृत्ति |
| वृश्चिक | उच्च केतु, शोध और गूढ़ विद्याओं में सफलता |
| मेष, सिंह | साहसी निर्णय और धार्मिक यात्राओं में रुचि |
| कर्क, मीन | आध्यात्मिक साधना में प्रगति, लेकिन भावनात्मक उतार-चढ़ाव |
| योग | प्रभाव |
|---|---|
| वासुकी कालसर्प योग | भाई-बहनों से संबंधों में तनाव, स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव |
| शुक्र या शनि से संबंध | प्रतिष्ठा को खतरा, ब्लैकमेल की संभावना |
| बुध से संबंध | लेखन और बौद्धिक कार्यों में सफलता |
प्र1: क्या नौवें भाव में केतु धार्मिक प्रवृत्ति बढ़ाता है?
हाँ, विशेषकर शुभ स्थिति में।
प्र2: क्या यह स्थिति विदेश यात्राओं का संकेत देती है?
हाँ, लाभकारी विदेश यात्राओं की संभावना रहती है।
प्र3: क्या यह स्थिति पिता के साथ संबंधों को प्रभावित करती है?
अशुभ होने पर मतभेद की संभावना है।
प्र4: क्या इसमें गलत संगति का खतरा है?
हाँ, अशुभ केतु व्यक्ति को गलत लोगों की ओर आकर्षित कर सकता है।
प्र5: इस दोष को कम करने के उपाय क्या हैं?
गणपति पूजा, मंत्र जाप, दान और गलत संगति से बचाव।
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इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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