By पं. संजीव शर्मा
केतु के ज्योतिषीय रहस्य, बारह भाव व राशियों में प्रभाव, महादशा और उपाय
केतु वैदिक ज्योतिष का एक अदृश्य किन्तु अत्यंत प्रभावशाली छाया ग्रह है। यह किसी भी राशि का स्वामी नहीं है, परंतु जिस भाव और राशि में स्थित होता है, वहां गहरे और रहस्यमय परिणाम देता है। केतु का संबंध मोक्ष, त्याग, अध्यात्म, गूढ़ ज्ञान, शोध, अदृश्य शक्तियों और कर्मफल से है। इसे आध्यात्मिक उन्नति का मार्गदर्शक और सांसारिक बंधनों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।
केतु दक्षिणी चंद्र नोड का प्रतिनिधि है और राहु का विपरीत बिंदु है। यह भौतिक सुखों से दूरी और मानसिक व आध्यात्मिक गहराई प्रदान करता है। जन्म कुंडली में इसका शुभ स्थान व्यक्ति को अद्वितीय दृष्टिकोण, तंत्र-मंत्र, शोध क्षमता और गहन ध्यान की शक्ति देता है। अशुभ स्थिति में यह अस्थिरता, दुर्घटनाएं, भय और अलगाव ला सकता है।
विशेषता | विवरण |
---|---|
प्रकृति | छाया ग्रह, रहस्यमय और तपस्वी |
तत्व | अग्नि |
गुण | मोक्ष, तपस्या, गूढ़ ज्ञान |
देवता | गणपति |
रत्न | लहसुनिया (कैट्स आई) |
धातु | लोहा और सीसा |
दिशा | दक्षिण-पश्चिम |
शुभ फल:
अशुभ फल:
भाव | शुभ स्थिति | अशुभ स्थिति |
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प्रथम | अद्वितीय व्यक्तित्व, रहस्यमय आकर्षण | आत्मविश्वास की कमी, अस्थिरता |
द्वितीय | वाणी में प्रभाव, धन लाभ | पारिवारिक विवाद, आर्थिक हानि |
तृतीय | साहस और नेतृत्व क्षमता | भाइयों से मतभेद, जोखिमपूर्ण निर्णय |
चतुर्थ | आध्यात्मिक वातावरण, भूमि से लाभ | माता से दूरी, घर में अशांति |
पंचम | विद्या और गूढ़ ज्ञान में सफलता | संतान सुख में कमी |
षष्ठ | शत्रु पर विजय, प्रतियोगिता में सफलता | दुर्घटना, स्वास्थ्य समस्या |
सप्तम | विदेश से लाभ, वैवाहिक सफलता | वैवाहिक जीवन में तनाव |
अष्टम | गूढ़ विद्या, शोध में लाभ | आयु में बाधा, दुर्घटना |
नवम | धर्म और यात्रा में सफलता | गुरु से मतभेद |
दशम | पेशेवर उन्नति, प्रतिष्ठा | करियर में अस्थिरता |
एकादश | धन लाभ, प्रभावशाली मित्र | गलत संगति |
द्वादश | मोक्ष, विदेश यात्रा | आर्थिक हानि, एकांतवास |
राशि | प्रभाव |
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मेष | साहसिक लेकिन आवेगी निर्णय |
वृषभ | भौतिक सुखों में कमी, आध्यात्मिकता |
मिथुन | शोध और लेखन में सफलता |
कर्क | भावनात्मक गहराई, परिवार से दूरी |
सिंह | नेतृत्व क्षमता, अहंकार की समस्या |
कन्या | विश्लेषण क्षमता, आलोचनात्मक सोच |
तुला | संबंधों में गहराई, लेकिन तनाव |
वृश्चिक | रहस्यमय शक्ति, आत्मपरिवर्तन |
धनु | धर्म और यात्रा में रुचि |
मकर | अनुशासन, कठोर परिश्रम |
कुंभ | तकनीकी और शोध में सफलता |
मीन | आध्यात्मिकता और अंतर्ज्ञान |
केतु की महादशा 7 वर्ष की होती है और यह जीवन में तीव्र परिवर्तन लाती है। शुभ स्थिति में यह व्यक्ति को आध्यात्मिक और पेशेवर सफलता की ओर ले जाती है, जबकि अशुभ स्थिति में हानि, अलगाव और मानसिक संघर्ष का कारण बन सकती है। राहु, शनि और मंगल की अंतरदशा में इसके प्रभाव और गहरे हो जाते हैं।
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय राहु-केतु का जन्म हुआ। केतु को धड़ और राहु को सिर माना गया है। गणेश जी के आशीर्वाद से केतु बाधाओं को दूर करने वाला और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाला माना जाता है।
प्र1: क्या केतु हमेशा अशुभ फल देता है?
नहीं, शुभ स्थिति में यह आध्यात्मिकता, शोध और सफलता देता है।
प्र2: क्या केतु विदेश यात्रा के योग देता है?
हाँ, विशेषकर सप्तम, नवम और द्वादश भाव में।
प्र3: केतु की महादशा में क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
गणेश पूजन, दान-पुण्य और आत्मसंयम लाभकारी है।
प्र4: क्या केतु तकनीकी कौशल बढ़ाता है?
हाँ, विशेषकर जब यह बुध या शनि के साथ शुभ योग बनाए।
प्र5: क्या केतु अचानक घटनाओं का कारण बनता है?
हाँ, यह अप्रत्याशित और तेज बदलाव ला सकता है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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