By पं. संजीव शर्मा
तीसरे भाव में मंगल का फल, भाई-बहनों, साहस और प्रोफेशनल जीवन पर ज्योतिष विश्लेषण
ज्योतिष की दुनिया में तृतीय भाव में स्थित मंगल अनूठा स्थान रखता है। यह न केवल भाई-बहनों के जीवन, बल्कि जातक की साहसिक प्रवृत्ति, पराक्रम और सामाजिक छवि पर भी गहरा असर छोड़ता है। तृतीय भाव का मंगल अपनी खासियतों के कारण जीवन में बड़े बदलाव और संघर्ष की अनोखी कहानी रचता है।
तीसरे भाव में मंगल का होना व्यक्ति का भीतर से योद्धा, बहादुर और धैर्यशील बनाता है। ऐसा जातक विपरीत परिस्थितियों में हार नहीं मानता, अपनी मेहनत, रणनीति और बाहुबल से सफलता हासिल करने में माहिर होता है। कुछ अहम संकेत:
जीवन क्षेत्र | मंगल की भूमिका |
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भाई-बहन | छोटे भाई के साथ संबंध में चुनौती |
स्वास्थ्य | हाथ/कान की तकलीफ, आक्रामक स्वभाव |
पेशा/रुचि | इंजीनियर, सेना, सुरक्षा क्षेत्र |
संबंध | पिता गुस्सैल, पिता को धन व अलगाव |
पड़ोसी, सहकर्मी | सहयोग की कमी, टकराव |
तीसरे भाव का मंगल सामान्यतः मांगलिक दोष में नहीं गिना जाता, पर भाई-बहनों, जीवन की सक्रियता व बोलचाल की प्रकृति पर इसका प्रभाव अवश्य देखा जाता है। मांगलिक दोष मुख्य रूप से प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव के मंगल से बनता है जो विवाह या दांपत्य जीवन पर असर डालता है।
मंगल शुभ हो तो भाई-बहन में सहयोग, साहसी स्वभाव, जोखिम की क्षमता, मजबूत निर्णयशक्ति मिलती है। अशुभ मंगल से भाई-बहनों से विवाद, हिंसा, हाथ की चोट, कान या सुनने की समस्या, व्यवहार में कटुता या वाणी में कठोरता संभव है।
मंगल की स्थिति | प्रभाव |
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बली मंगल | साहस, सार्वजनिक सम्मान, सामाजिक सफलता |
निर्बल मंगल | संबंध में तनाव, विवाद, स्वास्थ्य समस्याएं |
तृतीय भाव में मंगल के प्रभाव को संतुलित करने के लिए मंगलवार का व्रत, हनुमान चालीसा, मंगल मंत्रों का जप लाभकारी है। विशेष सलाह:
तीसरे भाव का मंगल न केवल व्यक्ति को साहस और व्यवहारिक ऊर्जा देता है, बल्कि भाई-बहनों, बोलचाल और कर्मक्षेत्र में भी निर्णायक सफलता और आत्मसंतुलन की सीख देता है। जागरूकता, अनुशासन और मंगल शांति उपायों के माध्यम से व्यक्ति जीवन में मंगल के सकारात्मक पक्ष को पूरी तरह जी सकता है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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