By पं. अमिताभ शर्मा
जानिए इस साल के अंतिम सूर्य ग्रहण में क्या करें और क्या नहीं
इस वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण रविवार, 21 सितंबर 2025 को पड़ रहा है। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। फिर भी, धर्मशास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार सावधानी बरतना लाभकारी माना जाता है। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और धार्मिक अनुशासन का पालन करने वालों के लिए यह जानकारी अत्यंत उपयोगी है।
जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तब सूर्य की रोशनी धरती पर पूरी तरह या आंशिक रूप से नहीं पहुंच पाती। यही स्थिति सूर्य ग्रहण कहलाती है। हिन्दू धर्म में सूर्य ग्रहण को एक अशुभ काल माना जाता है। यह समय आध्यात्मिक दृष्टि से संवेदनशील होता है, जब वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने की संभावना होती है।
रविवार के दिन लगने वाले ग्रहण के दौरान तुलसी को जल नहीं अर्पित करना चाहिए। तुलसी हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है और ग्रहण काल में उसे छूना वर्जित होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह समय संयम और साधना का होता है।
नियम | पालन क्यों करें |
---|---|
भोजन में तुलसी पत्ता डालना | भोजन को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने हेतु |
मंत्र जाप करना | मानसिक शुद्धि और ऊर्जा संतुलन के लिए |
नुकीली वस्तुओं से दूर रहना | गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा हेतु |
बाल और नाखून न काटना | शरीर की ऊर्जा की रक्षा करने के लिए |
बाहर यात्रा से बचना | ग्रहण काल को स्थिरता और ध्यान का समय मानते हैं |
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है परन्तु वैदिक परंपराओं में इसका आध्यात्मिक महत्व भी है। सावधानी, नियमों का पालन और आत्मचिंतन इस काल को शुभ फलदायक बना सकते हैं।
नहीं, यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा।
नहीं, भारत में दृश्य न होने के कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा।
नहीं, केवल मंत्र जप जैसे गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा सकता है।
हां, उन्हें विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।
हां, इससे नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मानी जाती है।
अनुभव: 32
इनसे पूछें: जीवन, करियर, स्वास्थ्य
इनके क्लाइंट: छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें