By पं. अभिषेक शर्मा
गणपति बप्पा के प्रमुख मंदिर और उनकी ऐतिहासिक व आध्यात्मिक विशेषताएँ
गणेश चतुर्थी पूरे भारत में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यहाँ के अनेक प्राचीन मंदिर भगवान गणेश की भव्य आराधना के लिए प्रसिद्ध हैं। यदि आप 2025 में गणेश चतुर्थी पर दक्षिण भारत की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन विशेष मंदिरों के दर्शन आपके अनुभव को दिव्य और अविस्मरणीय बना देंगे।
बेंगलुरु स्थित यह मंदिर अपने विशाल गणेश प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। लगभग 18 फीट ऊँची यह प्रतिमा एक ही पत्थर से निर्मित है। गणेश चतुर्थी पर यहाँ हजारों की भीड़ उमड़ती है। पूरा मंदिर दीपों और फूलों से सजाया जाता है और भव्य आरतियाँ भक्तों को आध्यात्मिक आनंद प्रदान करती हैं।
यह मंदिर अपनी स्वयंभू गणेश प्रतिमा के कारण अद्वितीय है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा धरती से प्रकट हुई और समय के साथ इसका आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा है। भक्त यहाँ अपने पापों से मुक्ति पाने और नए आरंभ के लिए प्रार्थना करते हैं।
पुडुचेरी का यह मंदिर 500 वर्ष पुरानी परंपरा के लिए जाना जाता है। यहाँ गणेश प्रतिमा को स्वर्ण कवच से सजाया जाता है। मंदिर में मौजूद हाथी भक्तों को आशीर्वाद देता है, जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण है। गणेश चतुर्थी पर मंदिर भव्य सजावट, विशेष पूजाओं और शोभायात्राओं से जीवंत हो उठता है।
त्रिची के रॉकफोर्ट पर स्थित यह मंदिर समुद्र तल से 273 फीट ऊँचाई पर बना है। मंदिर तक पहुँचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, लेकिन ऊँचाई से शहर का अद्भुत दृश्य और गणपति बप्पा के दर्शन सारी थकान मिटा देते हैं।
सातवीं शताब्दी में बने इस मंदिर में गणेश जी की दुर्लभ प्रतिमा विराजमान है। इस प्रतिमा में भगवान गणेश अपने दाहिने हाथ में अंकुश और बाएँ हाथ में दंत धारण किए हुए हैं। यह मंदिर प्राचीन स्थापत्य कला और भक्ति का अद्भुत संगम है।
दक्षिण भारत के ये गणेश मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि संस्कृति और भक्ति का संगम हैं। गणेश चतुर्थी पर इन स्थानों के दर्शन से न केवल आध्यात्मिक संतोष मिलता है बल्कि यह अनुभव जीवनभर याद रहता है।
प्रश्न: कानीपाकम विनायक मंदिर की विशेषता क्या है
उत्तर: यहाँ की गणेश प्रतिमा स्वयंभू है और माना जाता है कि इसका आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
प्रश्न: मनाकुला विनायगर मंदिर में क्या अनोखा है
उत्तर: यहाँ गणेश प्रतिमा को स्वर्ण कवच से सजाया जाता है और मंदिर का हाथी भक्तों को आशीर्वाद देता है।
प्रश्न: उच्चि पिल्लैयार मंदिर तक पहुँचने में कठिनाई क्यों होती है
उत्तर: क्योंकि यह मंदिर ऊँचाई पर स्थित है और पहुँचने के लिए कई सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।
प्रश्न: पिल्लैयारपट्टी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व क्या है
उत्तर: यह सातवीं शताब्दी का मंदिर है जहाँ गणेश जी की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है।
प्रश्न: गणेश चतुर्थी पर इन मंदिरों की यात्रा क्यों विशेष मानी जाती है
उत्तर: क्योंकि इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा, शोभायात्राएँ और भव्य आयोजन होते हैं जो भक्तों को दिव्य अनुभव कराते हैं।
अनुभव: 19
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