By पं. संजीव शर्मा
गणेश के स्वरूप और कथाओं से जुड़ी गहन शिक्षाएँ
भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में गणेश चतुर्थी का स्थान अत्यंत विशेष है। यह केवल एक पर्व नहीं बल्कि समाज और व्यक्ति दोनों के जीवन को दिशा देने वाला उत्सव है। 2025 में गणेश चतुर्थी पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी। गणपति बप्पा विघ्नहर्ता के रूप में तो पूजित हैं ही, साथ ही वे ज्ञान और बुद्धि के देवता भी माने जाते हैं। उनके स्वरूप, कथाओं और पुराणों में वर्णित शिक्षाओं से यह स्पष्ट होता है कि वे केवल पूजा के देवता नहीं बल्कि जीवन के शिक्षक भी हैं।
गणेश भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं। उनका गजमुख उन्हें अन्य सभी देवताओं से अद्वितीय बनाता है। उनके स्वरूप का प्रत्येक अंग गहन अर्थ समेटे हुए है।
यह स्वरूप केवल पूजा का विषय नहीं है बल्कि हर व्यक्ति को जीवन जीने का मार्गदर्शन प्रदान करता है।
गणेश की बुद्धिमत्ता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण उनके और उनके भाई कार्तिकेय की प्रतियोगिता में देखा जाता है। दोनों से कहा गया कि वे पृथ्वी की परिक्रमा करें। कार्तिकेय अपने मयूर पर निकल पड़े और पूरे ब्रह्मांड की यात्रा शुरू कर दी। वहीं गणेश ने शांत मन से माता-पिता की परिक्रमा की और कहा कि उनके लिए माता-पिता ही संपूर्ण संसार हैं। इस सरल परंतु गहन दृष्टिकोण ने सिद्ध किया कि गणेश केवल बल से नहीं बल्कि बुद्धि और भक्ति से भी श्रेष्ठ हैं। यही कारण है कि उन्हें देवताओं में सर्वाधिक बुद्धिमान माना गया।
महर्षि व्यास जब महाभारत की रचना कर रहे थे, तो उन्होंने गणेश से उसे लिखने का निवेदन किया। गणेश ने शर्त रखी कि वे बिना रुके लिखेंगे। व्यास ने भी उत्तर में कहा कि गणेश केवल वही लिखेंगे जिसे वे समझ पाएँगे। यह घटना केवल महाकाव्य की रचना भर नहीं थी बल्कि यह ज्ञान, धैर्य और एकाग्रता का अद्भुत उदाहरण है। गणेश ने लाखों श्लोकों को बिना थके लिपिबद्ध किया और इस प्रकार वे विद्या और ज्ञान के अधिष्ठाता कहलाए।
गणेश चतुर्थी पर लोग केवल धन और समृद्धि की कामना नहीं करते। वे स्पष्ट सोच, कठिनाइयों से उबरने की शक्ति और सही निर्णय लेने की बुद्धि भी माँगते हैं। विद्यार्थी विशेष रूप से इस दिन गणेश की पूजा करते हैं ताकि पढ़ाई में एकाग्रता और सफलता मिले। व्यापारी अपने नए कार्यों की शुरुआत बप्पा की आराधना से करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि बिना बुद्धि और विवेक के कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकता।
गणेश केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं हैं। वे जीवन जीने की कला का प्रतिरूप हैं।
2025 में जब भक्त "गणपति बप्पा मोरया" का जयघोष करेंगे तब वे केवल विघ्नहर्ता का ही नहीं बल्कि उस ज्ञान के प्रकाश का स्वागत करेंगे जो जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन करता है।
प्रश्न: गणेश के स्वरूप का प्रतीकात्मक महत्व क्या है
उत्तर: उनके प्रत्येक अंग जैसे बड़े कान, छोटी आँखें और सूंड जीवन के गहन संदेश देते हैं।
प्रश्न: गणेश ने कार्तिकेय को कैसे पराजित किया
उत्तर: उन्होंने माता-पिता की परिक्रमा की और उन्हें ही अपना संसार बताया।
प्रश्न: गणेश और महाभारत का क्या संबंध है
उत्तर: गणेश ने महर्षि व्यास द्वारा बोले गए महाभारत को लिपिबद्ध किया।
प्रश्न: विद्यार्थी गणेश की पूजा क्यों करते हैं
उत्तर: क्योंकि वे बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं, जो एकाग्रता और सफलता प्रदान करते हैं।
प्रश्न: गणेश चतुर्थी 2025 का मुख्य संदेश क्या है
उत्तर: यह केवल उत्सव नहीं बल्कि भक्ति, विवेक और ज्ञान का उत्सव है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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