By पं. अभिषेक शर्मा
लक्षण, संघर्ष, उपाय, शास्त्र, शिक्षा, अनुभव, FAQs

भारतीय वैदिक ज्योतिष में केमद्रुम योग को चंद्रमा से जुड़ा एक विलक्षण योग माना जाता है, जो न केवल व्यक्ति के मन, घर-परिवार, शिक्षा और रोजगार को प्रभावित कर सकता है बल्कि उसके स्वभाव और सोच में भी गहरा परिवर्तन ला सकता है।
वास्तव में, जब चंद्रमा के दोनों तरफ (दूसरे और बारहवें भाव) कोई भी ग्रह नहीं होता और चंद्रमा पर न किसी शुभ ग्रह की दृष्टि होती है, न ही वह किसी शुभ ग्रह से युत होता है तब कुण्डली में केमद्रुम योग बनाया जाता है।
आजकल ज्योतिष में इस योग को लेकर कई भ्रांतियाँ भी फैली हुई हैं-जो इसे केवल दरिद्रता, अभाव और मानसिक क्लेश का योग मानते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है। सच तो यह है कि केमद्रुम योग वास्तव में जीवन का 'चुनौती और विकास' का सूत्र है।
| स्थिति | प्रभाव/अभिव्यक्ति |
|---|---|
| अकेला चंद्रमा | मन की अस्थिरता, गरीबी, परिवार से दूरी, अर्थ की परेशानी |
| शुभ ग्रह न हो | शिक्षा, करियर, संतान में बाधा, निर्भरता |
| ग्रहों से दृष्टि न हो | कल्पना, चिंता, सहजता की कमी |
| क्षेत्र | गंभीर असर |
|---|---|
| मन | चिंता, उदासी, खिंचाव, बार-बार परेशानी |
| धन | गरीबी, कर्ज, बार-बार असफल निवेश |
| संबंध | परिवार से अलगाव, मजबूरी, अकेलापन |
| समाज | सम्मान की कमी, अपमान, संवाद में खामी |
| स्वास्थ्य | नींद की समस्या, मानसिक अस्थिरता, आत्मविश्वास की कमी |
| कार्य | नौकरियों का अभाव, प्रोफेशनल असुरक्षा, प्रमोशन न होना |
सत्य यह है कि केमद्रुम योग अपनी मूल अवस्था में संघर्ष जरूर देता है लेकिन यह योग मन पर नियंत्रण, साधना, परिश्रम और अनुशासन के साथ 'राजयोग' में बदल सकता है।
जिस व्यक्ति के जीवन में इस योग के साथ चंद्रमा या लग्न में शुभ ग्रहों की मजबूत उपस्थिति हो, जैसे गुरु, बुध या शुक्र, वहां यह अशुभ योग खंडित हो जाता है।
ऐसे में लक्ष्य के लिए संघर्ष, बार-बार विफलता के बाद बड़ी सफलता, मजबूती, प्रसिद्धि, धन व समाज में सम्मान मिलता है।
ध्यान, योग, साहित्य, सेवा, शिक्षा, शिव उपासना जैसे कार्यों में अत्यधिक सफलता मिलती है।
हरिओम नामक युवक बचपन से ही आर्थिक तंगी, परिवार से दूरी, स्कूल ड्रॉपआउट, बार-बार काम की तलाश से त्रस्त था।
केमद्रुम योग की पुष्टि के बाद सोमवार के व्रत, शिवलिंग पर दूध-जल अर्पित करना, शिवपंचाक्षरी मंत्र- ॐ नम: शिवाय-का जप; घर में दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना और श्रीसूक्त पाठ के अभ्यास से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए।
कुछ वर्षों बाद वह खुद शिक्षक बन गया, ग्राम समाज में स्नेह-सम्मान और आत्मविश्वास प्राप्त किया।
एक प्रसिद्ध साहित्यकार के जीवन में बाल्यकाल में घोर गरीबी, अस्थिरता रही।
'शिव-पार्वती' उपासना, चांदी के श्रीयंत्र में मोती धारण और नियमित शिव अभिषेक ने उनके जीवन में विचारशीलता, आत्मबल और लेखनी में गहराई ला दी।
आज उन्हें राजकीय सम्मान, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
रामेश्वरी को प्राइवेट नौकरी में हर बार प्रमोशन रोक दी जाती, वैवाहिक जीवन में आरोप-प्रत्यारोप, अस्थिरता।
रुद्राक्ष माला से नियमित शिव मंत्रजाप, श्रीसूक्त पाठ, देवी लक्ष्मी के अभिषेक से 2 साल में न केवल प्रमोशन बल्कि घर-परिवार में प्रसन्नता और सकारात्मक ऊर्जा लौटी।
| उपाय | लाभ |
|---|---|
| शिव व्रत व पूजा | मानसिक शांति, परिवार में सामंजस्य |
| रुद्राक्ष, मंत्र, श्रीसूक्त | ऊर्जा, आत्मबल, समृद्धि, सकारात्मक परिवर्तन |
| दक्षिणावर्ती शंख, श्रीयंत्र | वित्त, स्वास्थ्य, सौभाग्य |
| दान, योग, सेवा, साहित्य | सामाजिक प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास, उत्साह |
नहीं, अगर शुभ ग्रह या योग साथ हैं, तो संघर्ष के बाद जीवन में बड़ा सम्मान, सफलता व समृद्धि संभव है।
पारिवारिक, वित्तीय, मानसिक, कार्यक्षेत्र व रिश्तों में।
अधिकांश असर दशा, गोचर, उपाय और सकारात्मकता के साथ समय के साथ घटता चला जाता है।
सोमवार व्रत, शिव-पार्वती पूजा, श्रीसूक्त पाठ, मोती या शुभ रत्न, गुरु का मार्गदर्शन।
पूरी तरह नहीं, लेकिन सही उपायों, विचार और जीवनशैली के साथ नकारात्मक असर को बहुत कम किया जा सकता है।
केमद्रुम योग जीवन की चुनौतियों, साधना, अनुशासन और सकारात्मक सोच का संकेत है। यह हर बार कठिनाई देता है, लेकिन मन, श्रद्धा, परिवार, गुरु और सही दिशा से यही योग सम्मान, सफलता, सुख और पहचान बन सकता है।

अनुभव: 19
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