By पं. अभिषेक शर्मा
महालक्ष्मी योग की शक्तियाँ, ज्योतिषीय नियम, महत्त्व, स्त्रियों के लिए परिवर्तन, सफल जीवन

लक्ष्मी योग वह योग है जो किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में बनने पर आर्थिक चमक, सामाजिक सम्मान और शांति का प्रवेश कराने की क्षमता रखता है। यह योग केवल एक धनराशि का योग नहीं बल्कि मानसिक, पारिवारिक और मानवीय संतुलन का भी प्रतीक है।
वैकुंठ-बोध, महर्षि पराशर, पुलस्त्य, फलदीपिका और तमाम प्राचीन शास्त्रों में बार-बार इस बात पर जोर दिया गया है कि लक्ष्मी योग हर व्यक्ति को ऊपर उठाने, आत्मविश्वास बढ़ाने और परिवार में खुशहाली लाने का मार्ग है।
लक्ष्मी योग तब अनूठा और प्रभावशाली बनता है, जब निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं -
| भाव | योग का अर्थ | शुभ ग्रह | जीवन में लाभ |
|---|---|---|---|
| लग्न | स्वयं का बल, नेतृत्व | गुरु, शुक्र | आत्मविश्वास, आकर्षण |
| नवम | भाग्य, उच्च शिक्षा | गुरु, शुक्र | सौभाग्य, निवृत्त बाधाएं |
| द्वितीय | धन, भाषा, वाणी | शुक्र, बुध | संचय, संभाषण कला |
| पंचम | विद्या, संतान | गुरु, बुध | पढ़ाई, संतान सुख, मान |
| एकादश | सामान्य लाभ | मंगल, गुरु | जीवन में लाभ, नेटवर्किंग |
| केंद्र/त्रिकोण | योगों की शक्ति | सभी शुभ ग्रह | महालक्ष्मी योग |
महालक्ष्मी योग तब बनता है जब नवमेश, लग्नेश, शुक्र, गुरु सभी उच्चोदित अवस्था में केंद्र-त्रिकोण में हों।
एक ही वक्त में नवम, लग्न, द्वितीय, एकादश भाव सक्रिय हों, इनका संबंध या दृष्टि हो, साथ ही दशा-अंतरदशा, गोचर भी अनुकूल हो।
इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को जीवनभर नौकरी या व्यापार में सुख, पैतृक संपत्ति, अचानक लाभ, प्रतिष्ठा, परिवार में सामंजस्य, बड़ा घर, वाहन, शिक्षा, विद्वता और संतान सुख मिलने लगता है।
इस योग में शामिल ग्रह जितनी बार शुभ दशा देंगे, उतनी बार व्यक्ति के जीवन में अप्रत्याशित उन्नत्ति, अवसर, धन, समाज में ख्याति और भाग्य का द्वार खुलेगा।
| योग का नाम | बनने की महत्वपूर्ण शर्त | मूल लाभ | ज्यादा ताकत कब मिलती है? |
|---|---|---|---|
| महालक्ष्मी योग | नवमेश/लग्नेश/शुक्र/गुरु सभी केंद्र-त्रिकोण में, ग्रह उच्च या स्वगृह में | धन, प्रसिद्धि, संसाधन | शुभ ग्रह की दशा, सहयोगभाव |
| पंचग्रह योग | पाँच शुभ ग्रहें पंचम-नवम-लग्न-केंद्र में | वैभव, सम्मान, स्थायित्व | दशमेश/लाभेश की दशा-अंतरदशा |
| सरस्वती योग | बुध, शुक्र, गुरु एकत्रित (केंद्र, त्रिकोण, द्वितीय) | विद्या/कला/धन | शिक्षा, सृजन, संगीत्युति |
कुंडली में भाग्यशाली योग केवल बार-बार सफलता का वादा नहीं करते। कर्म जरूरी है। पुराणों के अनुसार, 'भाव फल दिशासहो, प्रयत्न संवर्धक:'-भाव और योग केवल तब फल देते हैं जब लगातार प्रयास किये जाएँ।
लक्ष्मी योग वाले जातकों में आमतौर पर अनुशासन, प्रेरणा, सही निर्णय क्षमता और नियमितता दिखाई देती है।
संयोग उत्पादक हो या निष्क्रिय, बिना पुरुषार्थ फल कम है। योग को सक्रिय बनाना, ग्रहों की दशा का उपयोग और प्रयत्न, यही असली सफलता का मंत्र है।
कितने ही व्यक्ति ऐसे हैं, जिनकी कुंडली में लक्ष्मी योग या महालक्ष्मी योग होते हैं, पर दशा-अंतरदशा या गोचर खराब हो तो योग निष्क्रिय रह सकते हैं।
जैसे-जैसे सही ग्रहों की दशा आती जाती है, व्यक्ति को एक-एक कर लाभ, पदोन्नति, संपत्ति, व्यापार-वृद्धि, विवाह, संतान-सुख प्राप्त होता है।
शुभ दशा में लक्ष्मी योग जाग्रत होता है और अपने संपूर्ण बल के साथ जीवन की दिशा बदलता है।
| घटनाक्रम | कब होता है (दशा/अंतरदशा) | कौन सा फल मिलता है |
|---|---|---|
| नौकरी-व्यापार | दशमेश, लाभेश, शुक्र, गुरु की दशा | पदोन्नति, आय, धन, नेटवर्क |
| संपत्ति-वाहन | चतुर्थेश, नवमेश की दशा | प्लॉट-गाड़ी, घर, निवेश |
| शिक्षा, संतान | पंचमेश, बुध, गुरु की दशा | उच्च शिक्षा, संतान, विद्या |
| अचानक लाभ | एकादशेश, मंगल की दशा | लॉटरी, सोना, बड़ी डील |
कई लोग सोचते हैं कि केवल लक्ष्मी योग या महालक्ष्मी योग होने से बिना मेहनत, शिक्षा या व्यवहार के भी जीवन संवर जाता है।
यह भ्रांति है।
ज्योतिषशास्त्र स्पष्ट कहता है कि शक्तिशाली योग केवल कर्म के साथ फल देते हैं।
अगर योग के शुभ ग्रह अशुभ ग्रहों की दृष्टि में आएं, या छठे, आठवें, बारहवें भाव में प्रभाव पड़े, या नवांश, दशा, गोचर कमजोर हों, तो पूर्ण फल नहीं मिलता।
| योग का नाम | मिलने वाला लाभ | जरूरी शर्तें | किस दशा में ताकतवर? |
|---|---|---|---|
| लक्ष्मी योग | धन, वैभव, सफलता | लग्नेश, नवमेश, केंद्र-त्रिकोण में | नवमेश/शुक्र/गुरु की दशा |
| महालक्ष्मी योग | स्थायी समृद्धि, प्रतिष्ठा | पाँच प्रमुख भाव, शुभ ग्रह | पंच ग्रहों की अनुकूल दशा |
| गजकेसरी योग | सम्पत्ति, यश | केंद्र में गुरु-चंद्र की युति | केंद्र-त्रिकोण शुभ ग्रह |
| सरस्वती योग | विद्या, कला, संपत्ति | बुध, शुक्र, गुरु के योग | शिक्षा, वाणी से लाभ |
लक्ष्मी योग कुछ विशेष स्थितियों में ही बनता है। लग्न, नवम भाव, उनके स्वामी का केंद्र या त्रिकोण में होना जरूरी है। तीन या अधिक शुभ ग्रह एक साथ हों तो शक्तिशाली योग बनता है।
गोचर या दशा कमजोर हो, अशुभ ग्रह बाधा डालें, तो योग निष्क्रिय रह जाता है। कर्म और सकारात्मक सोच से योग को उठाना जरूरी है।
महिलाओं की कुंडली में लक्ष्मी योग परिवार में शांति, जीवनसाथी की उन्नति, संतान की प्रगति और व्यक्तिगत सम्मान दिलाता है। इस योग से स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी बनती हैं।
हाँ, माँ लक्ष्मी के सिद्ध मंत्र, श्री यंत्र की पूजा, पीले-सफेद वस्त्र और गौ सेवा योगों को जाग्रत कर सकते हैं।
यह केवल आर्थिक समृद्धि ही नहीं देता बल्कि प्रतिष्ठा, स्थायित्व, स्वस्थ परिवार, संतुलन और समाज के लिए सेवा भावना भी देता है।
लक्ष्मी योग से ही व्यक्ति के भीतर आंतरिक संतुलन, करूणा, समाज सेवा और सच्चे नेतृत्व की प्रेरणा आती है। पारंपरिक दृष्टि से देखा जाए, तो हर शुभ योग प्रेरणा, प्रयास, नीति और दान से ही पूर्ण फल मिलता है-बाकी जीवन की यात्रा में एक सुंदर आशीर्वाद है।

अनुभव: 19
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इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
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