By पं. अभिषेक शर्मा
धन योग, संपत्ति योग, महाधनी योग, लक्ष्मी योग, राजयोग, समस्याएँ, उपाय और मजबूत यंत्र

समृद्धि, सुरक्षा और सर्वोत्तम अवसर प्राप्त करना हर व्यक्ति का स्वप्न है। सिर्फ मेहनत ही नहीं, जन्मकुंडली में बने धन योग और संपत्ति योग की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
वेदान्त, बृहस्पति-संहिता और अनेक प्राचीन ग्रंथों में यह स्पष्ट किया गया है कि ग्रहों और भावों की स्थिति व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और संपन्नता को बदल सकती है।
संपत्ति योग और गुप्त धन योग का विवेचन करने वाले विद्वान आचार्य इंदु प्रकाश इस क्षेत्र में 35 वर्षों से दिशा दिखा रहे हैं।
कुंडली में धन, वैभव, सम्मान और अनायास लाभ के संकेतों को जानना प्रत्येक जागरूक व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
धन योग के लिए मुख्य भाव - लग्न, द्वितीय, पंचम, नवम, एकादश और चौथा भाव हैं।
ग्रहों की युति, दृष्टि, परिवर्तन योग, भावेशों का संबंध, केंद्र-त्रिकोण का तालमेल सभी धन योग के संकेत देते हैं।
इन भावों के मजबूत होने से व्यक्ति के जीवन में धन, अवसर और सुख-सुविधाएं स्वतः उत्पन्न होती हैं।
| भाव | नाम | प्रधान ग्रह | क्या लाता है |
|---|---|---|---|
| द्वितीय | धन भाव | शुक्र, गुरु, बुध | संपत्ति, संचित धन |
| एकादश | लाभ भाव | मंगल, शुक्र | अनायास लाभ, समाज में सम्मान |
| पंचम | सृजन भाव | गुरु, बुध | संतान सुख, रचनात्मकता |
| नवम | भाग्य भाव | गुरु, शुक्र | सौभाग्य, उच्च शिक्षाप्राप्ति |
| चौथा | सुख-संपत्ति भाव | शुक्र, चंद्रमा | जायदाद, मकान, वाहन |
लक्ष्मी योग तब बनता है जब लग्नेश और नवमेश दोनों बलवान होकर केंद्र या त्रिकोण में अपना स्थान ग्रहण करें।
इस योग के जातक को तत्कालीन धन, सुंदरता, विद्वता, उच्च पद और जीवन के सुख मिलते हैं।
लक्ष्मी देवी का आशीर्वाद मिलने की संभावना भी रहती है।
सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर भी लाभ प्रबल होता है।
जब चंद्रमा अपनी राशि में मंगल और बुध के साथ लग्न में हो, तो महाधनी योग बनता है।
यह योग जीवन में लगातार पैसे, अवसर और जिम्मेदारियों का विस्तार करता है।
अगर मंगल और चंद्रमा एक ही भाव में स्थित हों, तो जातक को धन के अनेक साधन, सफलता और निर्भीकता प्राप्त होती है।
अगर योगकारक ग्रह लाभ भाव या पंचम/नवम में हो तो धन, सम्मान और नवाचार के अवसर मिलते हैं।
कर्माधिपति और धर्माधिपति का संबंध उच्च पद और स्थायी आय का संकेत है।
बुध, बृहस्पति, शुक्र यदि केंद्र या त्रिकोण, दूसरे भाव में हों, तो जातक बुद्धिमान, विद्वान, संगीत, काव्य, गणित व शास्त्रों में पारंगत और धनवान बनता है।
गजकेसरी योग केन्द्र भाव में गुरु और चंद्रमा के पूरक योग से मिलता है, जिससे संपत्ति, ऐश्वर्य और प्रसिद्धि मिलती है।
कुंडली में दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी का दशम, पंचम या नवम भाव में स्थित होना एक उत्तम धन योग है।
पंचम, एकादश और नवम भाव का विशेष संबंध व्यक्ति के पास न केवल नियमित आय बल्कि खास अवसर तथा जायदाद की प्राप्ति भी सुनिश्चित करता है।
यदि शुक्र, गुरु और बुध उच्च स्थिति में या शुभ दृष्टि में हो तो इन ग्रहों की दशा में धन आने की संभावना प्रबल रहती है।
शनि या मंगल जैसे पाप ग्रह जब पंचम, नवम, एकादश या दशम भाव में शुभ ग्रहों के साथ स्थित हो तो भी धन का योग पक्का होता है।
संपत्ति योग स्थायी सुख और जमीन-जायदाद से जुड़ा हुआ है।
चौथा भाव घर, भूमि, वाहन और अचल संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
जब यहाँ शुक्र, गुरु या चंद्रमा शुभ स्थिति में हों, तो जातक संपत्ति और टिकाऊ जायदाद प्राप्त करता है।
| संपत्ति योग | मुख्य ग्रह | लाभ |
|---|---|---|
| शनि भूमि योग | शनि | जमीनी संपत्ति, वाहन |
| चतुर्थेश-लाभेश का संबंध | गुरु, शुक्र, चंद्रमा | स्थायी जमीन-जायदाद |
हथेली का बढ़ा हुआ आकार, गुरु पर्वत पर क्रास या चतुर्भुज, जीवन रेखा का अच्छा घेरा, बुध की स्पष्ट रेखा - सब धन निवेश और बचत की ओर इशारा करते हैं।
कभी-कभी षष्टेश, अष्टमेश, द्वादशेश या राहु-शनि का अशुभ संबंध धन बाधा देता है।
धन योग के बावजूद रुकावट आ सकती है।
ग्रह शांति, विशेष मंत्रजाप, रत्नधारण, श्री यंत्र, गाय या कन्या सेवा, जल संग्रह उत्तर दिशा, पितृ आराधना - सब उपाय मददगार हैं।
| दोष | बाधा | उपाय |
|---|---|---|
| षष्टेश | व्यय, घाटा | मंत्र, दान, Yantra |
| अष्टमेश | स्वास्थ्य खर्च | सेवा, तुलसी, दान |
| द्वादशेश | फायदा कम | पितृ आराधना, पूजा |
दूसरा, पंचम, नवम, एकादश और चौथा भाव धन योग में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
ग्रह दशा कमजोर हो या अशुभ ग्रहों का संबंध हो तो योग सोए हुए रह जाते हैं।
पन्ना, पुखराज, मोती, ओपल, हीरा, श्री यंत्र सभी शुभ होते हैं।
घर के उत्तर में जल संग्रह, तुलसी लगाना, गाय की सेवा, श्री यंत्र की स्थापना, बड़ों का सम्मान, गुरु से मार्गदर्शन।
पंचम, नवम, एकादश, द्वितीय, चतुर्थ भाव में पंच ग्रहों की युति और शुभ दृष्टि योग को अडिगता और स्थायित्व देती है।
धन योग व्यक्ति को न केवल आर्थिक सुरक्षा देता है बल्कि सही दिशा, परिवारिक सुख और आत्मसम्मान के साथ सामाजिक प्रतिष्ठा भी तलाशने का मौका देता है।
सकारात्मक सोच, सही उपाय और ज्योतिषीय मार्गदर्शन से मिला धन और संपत्ति चिरस्थायी होती है।

अनुभव: 19
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