By पं. अभिषेक शर्मा
कुंडली का रक्षक योग, जीवन में लाभ, प्रसिद्ध उदाहरण, प्रभाव, FAQs

वैदिक ज्योतिष पद्धति में शुभ कर्तरी योग को जीवन के हर क्षेत्र में सतत सुरक्षा, शक्ति, मानसिक और भौतिक उन्नति का अत्यंत शुभयोग माना गया है। जब कोई ग्रह या भाव दोनों ओर से केवल शुभ ग्रहों से घिरा हो तब मध्यवर्ती भाव, ग्रह या लग्न पूर्ण शुभता, सुख, स्थायित्व, प्रसिद्धि और हर परिस्थिति में सहयोग प्राप्त करता है।
संस्कृत में कर्तरी, ‘कृ’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है काटना या घेर लेना। कर्तरी योग दो तरफ से घेरे का प्रतीक है। किन्तु जब यह घेरा केवल शुभ ग्रहों से बने तब यह अशुभता को काटकर व्यक्ति को संरक्षण और उन्नति देता है।
अक्सर परिवार में किसी की कुंडली का, लग्न या चंद्र या दशम भाव शुभ ग्रहों से घिरा हो, तो परिवार, संबंध, सम्पत्ति, बच्चों और व्यवसाय तक में सुख, सहयोग, समृद्धि और बड़ी उपलब्धि देखी जाती है।
| भाव/ग्रह | दोनों ओर शुभ ग्रह हो तो | प्रमुख फल |
|---|---|---|
| लग्न | गुरु-बुध/शुक्र का घेरा | आकर्षण, आत्मविश्वास, जीवन में सुरक्षा |
| चतुर्थ | गुरु-शुक्र/बुध का घेरा | घर, जमीन, वाहन, सुख, माता से सहयोग |
| पंचम | गुरु, शुक्र या बुध, शुभ चंद्र | बुद्धि, संतान, उच्च शिक्षा, रचनात्मकता |
| सप्तम | शुभग्रहों की रक्षा | सुंदर जीवनसाथी, मजबूत वैवाहिक संबंध |
| दशम/11th | शुद्ध शुभ ग्रह दायां-बायां | सामर्थ्य, प्रमोशन, व्यावसायिक यश, नेटवर्क |
| शुक्र के घनिष्ठ | कला, सुंदरता, संगीत, सौंदर्य | स्टारडम, ग्लैमर, आर्थिक स्वतंत्रता |
| गुरु के प्रभाव | विस्तार, परमार्थ, नेतृत्व | सम्मान, राजनैतिक प्रतिष्ठा, गुरु-कृपा |
| क्षेत्र | उच्च फल |
|---|---|
| करियर, व्यवसाय | प्रमोशन, स्थापित ब्रांड, प्रसिद्धि |
| घर, माता, वाहन | संपत्ति, भोग, सुविधा, स्थायित्व |
| जीवनसाथी, भाग्य | वैवाहिक खुशहाली, सही भाग्य, संरक्षण |
| अध्ययन, संतान | उच्च शिक्षा, प्रतिभा, अच्छे बच्चे |
| समाज | सम्मान, दुनिया में पहचान |
| विषय | शुभ कर्तरी योग | पाप कर्तरी योग |
|---|---|---|
| संयोग बनाने वाले | शुभ ग्रह (गुरु, शुक्र, बुध) | पाप ग्रह (मंगल, शनि, राहु) |
| प्रभाव | संरक्षण, प्रसार, स्थायित्व | बाधा, खोखलापन, संघर्ष/रूकावट |
| दशा-गोचर | दशा में फल और प्रबल | रुकावट, नुकसान, निराशा |
| जीवन के क्षेत्र | सफलता, सहयोग, संतुलन | विफलता, अलगाव, अवसाद |
पंचम शुक्र और छठे भाव में शुभ कर्तरी योग के चलते उनकी कुंडली में रचनात्मकता, ग्लैमर, उत्कृष्ट संवाद शक्ति और स्थायी सफलता की शक्ति प्रबल है। वे वर्षों से न सिर्फ सिनेमा बल्कि मीडिया, समाज सेवा और व्यापार में भी शिखर पर हैं।
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु की कुंडली में गुरु और शुक्र का पंचम भाव, शुभ कर्तरी योग के रूप में-ज्ञान, शिक्षा, विशेष दृष्टि और वैदिक ऊर्जा में सतत ऊंचाई दी है। इनर इंजीनियरिंग और मानव कल्याण की राह में वैश्विक पहचान इसी योग से मिली।
अभिनेत्रि हेमा मालिनी की पंचम और षष्ठम भाव की सुरक्षा ने उन्हें अभिनय, कला, मीडिया, समाज और राजनीति में दीर्घकालिक पहचान, संतुलन और सौंदर्य दिया है। उनका नाम कई दशकों से सिनेमाजगत में शीर्ष पर रहा है।
भारत के तमाम व्यापारी, शिक्षक, लेखक, धर्माचार्य और गृहस्थ लोगों ने पाया कि जब लग्न, चंद्र, दशम, पंचम या चौथे भाव के दोनों ओर शुभ ग्रहों का पूरा घेरा रहा, जीवन अपेक्षा से अधिक संतुलित, संपन्न और सहज हो जाता है।
संघर्ष की घड़ी आती है, पर योग अपने प्रभाव समय-समय पर दिखाता है। खासकर गुरु या शुक्र की दशा, महादशा या शुभ गोचर में चमत्कारिक लाभ होता है।
अगर शुभ ग्रह मजबूत हैं, पाप ग्रहों का हस्तक्षेप नहीं, या शुभ दशा चल रही हो तो यह योग हर कुंडली के उस भाव में विशेष फल देगा।
आंशिक योग सीमित प्रभाव देता है, परिणाम स्थायी नहीं; पूर्ण शुभ योग हमेशा बड़ा संरक्षण देता है।
योग संबंधित ग्रह या भाव की दशा, महादशा, गोचर, उम्र से बढ़ जाता है। शुभ दशा के आते ही आश्चर्यजनक बदलाव होता है।
अगर बीच में मज़बूत शुभ ग्रह है तो पाप ग्रह का असर कम हो सकता है, लेकिन दोनों तरफ पाप ग्रहों से योग नष्ट हो जाता है।
माता-पिता, गुरु, सेवा का आदर, धर्म में रूचि, सच, आभार, सच्ची संगति और सद्भावना बढ़ाएँ।
शुभ कर्तरी योग का अर्थ है- जीवन में हर दिशा से सहयोग, संरक्षण और सकारात्मक ऊर्जा का संचार। संयम, मेहनत, सकारात्मक सोच और रिश्तों का पोषण उस योग की सिद्धि का सबसे बड़ा मार्ग है।

अनुभव: 19
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इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
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