By पं. अमिताभ शर्मा
जानिए मृगशिरा नक्षत्र से जुड़ी पौराणिक कथाएं, स्वभाव, करियर और जीवन के गूढ़ रहस्य
मृगशिरा नक्षत्र (मृग + शिरा = हिरण का सिर) वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में पाँचवें स्थान पर है। यह नक्षत्र वृषभ राशि के 23°20' से मिथुन राशि के 6°40' तक फैला है। इसका स्वामी ग्रह मंगल है और अधिदेवता सोम (चंद्रमा) हैं। मृगशिरा का प्रतीक हिरण का सिर है, जो जिज्ञासा, खोज और चंचलता का प्रतीक है।
पैरामीटर | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 5 (पाँचवाँ) |
राशि सीमा | वृषभ 23°20' - मिथुन 6°40' |
स्वामी ग्रह | मंगल |
अधिदेवता | सोम (चंद्रमा) |
प्रतीक | हिरण का सिर |
तत्व | पृथ्वी |
गण | देव |
योनि | सर्प (पुरुष सर्प) |
शुभ अक्षर | वे, वो, का, की |
वृक्ष | खैर (कात की लकड़ी) |
रंग | सिल्वर ग्रे |
वैदिक साहित्य के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी अपनी ही मानस पुत्री सरस्वती पर मोहित हो गए। सरस्वती ने मादा हिरण का रूप धारण कर आकाश में पलायन किया। ब्रह्मा जी ने भी हिरण का रूप लेकर उनका पीछा किया। इस पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर ब्रह्मा पर बाण चलाया। ब्रह्मा जी आकाश में हिरण के सिर के रूप में स्थापित हो गए-यही मृगशिरा नक्षत्र कहलाया। शिव का बाण आज भी आर्द्रा नक्षत्र के रूप में इसका पीछा करता है।
लिंग | विशेषताएँ |
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पुरुष | लंबा कद, मजबूत कंधे, तीक्ष्ण नेत्र, भूरे बाल, आकर्षक व्यक्तित्व। |
महिला | सुंदर दांत, चौड़ी नाक, छरहरा शरीर, प्रभावशाली भाव-भंगिमा। |
मृगशिरा जातकों की रचनात्मकता और जिज्ञासा इन क्षेत्रों में सफलता दिलाती है:
क्षेत्र | अनुकूलता | कारण |
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साहित्य एवं लेखन | ★★★★★ | कल्पनाशीलता और अभिव्यक्ति कौशल |
अनुसंधान एवं विज्ञान | ★★★★☆ | खोजी स्वभाव |
कला, संगीत, फैशन | ★★★★☆ | सौंदर्यबोध और नवाचार |
यात्रा एवं पर्यटन | ★★★★☆ | नए अनुभवों की ललक |
शिक्षा एवं प्रशिक्षण | ★★★★☆ | संवाद कौशल और ज्ञान बाँटने की इच्छा |
आयु | महत्व |
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20-30 वर्ष | विवाह और करियर की शुरुआत। |
32 वर्ष | पेशेवर उत्कृष्टता का शिखर। |
33-55 वर्ष | आर्थिक स्थिरता और सफलता। |
50+ वर्ष | आध्यात्मिक झुकाव और जीवन सारांश। |
मृगशिरा नक्षत्र जीवन को एक अन्वेषण यात्रा के रूप में दर्शाता है:
"मृगशिरा हमें सिखाता है कि जीवन की सबसे बड़ी खोज बाहर नहीं, भीतर है।"
मृगशिरा नक्षत्र वैदिक ज्योतिष का वह मार्गदर्शक है जो मनुष्य को जिज्ञासा, रचनात्मकता और आध्यात्मिकता के संतुलन का पाठ पढ़ाता है। इसके जातक समाज में नवाचार लाते हैं, परंतु सफलता के लिए उन्हें अपनी चंचलता पर नियंत्रण और लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। मृगशिरा की यात्रा हिरण के सिर से शुरू होकर ऋषि के हृदय तक पहुँचती है-यही इसका सार है।
अनुभव: 32
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इनके क्लाइंट: छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
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