मृगशिरा नक्षत्र का अधिदेवता सोम (चंद्रमा) है, जिसे वेदों में अमरता, औषधि, वनस्पति, रस और आनंद का स्वामी कहा गया है। सोम का संबंध केवल चंद्रमा से ही नहीं, बल्कि जीवन में तृप्ति, रचनात्मकता, मानसिक शांति और आध्यात्मिक खोज से भी है। मृगशिरा नक्षत्र के जातकों के जीवन में सोम का प्रभाव गहरा और बहुआयामी होता है-यह नक्षत्र खोज, कल्पना, आनंद और आत्म-संतुष्टि का वैदिक प्रतीक है।
वैदिक ग्रंथों में सोम का स्वरूप
1. सोम: चंद्रमा, अमृत और औषधि
- वेदों में सोम को कई अर्थों में वर्णित किया गया है-एक दिव्य औषधि, एक रस, एक देवता और चंद्रमा।
- ऋग्वेद में सोम के 114 सूक्त और 1097 मंत्र हैं, जिनमें सोम की ऊर्जादायी, अमृतमय और पवित्र करने वाली शक्ति का विस्तार से वर्णन है।
- सोम को अमरता देने वाला, बलवर्धक, रोगनाशक, आनंददायक और मानसिक शक्ति बढ़ाने वाला बताया गया है।
- सोम का रस देवताओं के लिए अमृत है, जिसे पीकर वे अमर और बलशाली बनते हैं। यही रस साधकों के लिए भी जीवन-शक्ति का स्रोत है।
2. सोम और चंद्रमा का संबंध
- वैदिक निरुक्त के अनुसार, सोम का अर्थ चंद्रमा भी है, क्योंकि सोमलता का रस चंद्रमा में संचित माना जाता है।
- चंद्रमा को 'सोम' कहा गया है क्योंकि वह सोलह कलाओं से युक्त है और हर पूर्णिमा को पूर्णता, आनंद और तृप्ति का प्रतीक बनता है।
- सोम का संबंध शीतलता, कोमलता, कल्पना, भावनाओं और मानसिक शांति से है।
3. सोम, औषधि और वनस्पति विज्ञान
- वेदों में सोम को 'औषधियों का राजा' कहा गया है-जो शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है।
- सोमलता एक दिव्य औषधि मानी जाती थी, जिसका रस पीने से रोग दूर होते हैं, आयु बढ़ती है और मन में उल्लास आता है।
- सोम का रस केवल पेय नहीं, बल्कि साधना की ऊँची अवस्था में उत्पन्न होने वाला आंतरिक आनंद (आनंदमय रस) भी है।
मृगशिरा नक्षत्र और सोम: ज्योतिषीय और आध्यात्मिक अर्थ
1. नक्षत्र का स्वरूप और विशेषता
- मृगशिरा नक्षत्र वृषभ 23°20' से मिथुन 6°40' तक फैला है।
- इसका स्वामी मंगल है, पर अधिदेवता सोम (चंद्रमा) हैं, जिससे जातकों में जिज्ञासा, कल्पनाशीलता, सौम्यता और आत्म-खोज की प्रवृत्ति प्रबल होती है।
- इस नक्षत्र के लोग शांत, भद्र, रचनात्मक, सौंदर्यप्रिय और मानसिक रूप से संवेदनशील होते हैं।
2. आनंद, तृप्ति और आत्म-खोज
- सोम का प्रभाव मृगशिरा जातकों को जीवन में आनंद, तृप्ति और संतुलन की ओर प्रेरित करता है।
- ये लोग बाहरी वस्तुओं के साथ-साथ आंतरिक आनंद (आत्मा की तृप्ति) की भी खोज करते हैं।
- रचनात्मकता, संगीत, साहित्य, विज्ञान और ध्यान में इनकी रुचि गहरी होती है।
3. औषधि, स्वास्थ्य और जीवनशैली
- सोम के प्रभाव से मृगशिरा जातक प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद, योग और औषधियों के प्रति आकर्षित होते हैं।
- स्वास्थ्य में पेट, पाचन और मानसिक तनाव से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं, जिनका समाधान शीतलता, ध्यान और प्राकृतिक जीवनशैली से मिलता है।
- सोमलता, खैर, जामुन आदि वृक्षों का रोपण और सेवन इनके लिए शुभ माना गया है।
वेदों में सोम की स्तुति: मंत्र और भावार्थ
- "सोमं मन्यते पपिवान्यत्सम्पिषन्त्योषधिम्। सोमं यं ब्रह्माणो विदुर्न तस्याश्नाति कश्चन॥" (ऋग्वेद 10.85.3)
- भावार्थ: बहुत लोग मानते हैं कि केवल औषधि ही सोम है, लेकिन असली सोम वह है जिसे केवल ज्ञानीजन ही जान सकते हैं-वह अमृतस्वरूप है, जिसे खाया-पिया नहीं जाता, बल्कि साधना से अनुभव किया जाता है।
- "अपाम सोमममृता अभूमागन्म ज्योतिरविदाम देवान्।" (ऋग्वेद 8.48.3)
- भावार्थ: हमने सोम का पान किया और अमर हो गए, हमने प्रकाश और देवत्व को प्राप्त किया। अब कोई भी शत्रु हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
मृगशिरा जातकों के लिए सोम का व्यवहारिक संदेश