By पं. संजीव शर्मा
रचनात्मकता, आध्यात्मिकता और नवीनीकरण का प्रतीक है पुनर्वसु नक्षत्र-जानिए इसके जातकों की खूबियाँ और चुनौतियाँ
पुनर्वसु नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में सातवां स्थान रखता है। इसका विस्तार मिथुन राशि के 20°00' से कर्क राशि के 3°20' तक है। इसका स्वामी ग्रह बृहस्पति (गुरु) है और अधिष्ठाता देवी अदिति मानी जाती हैं, जो देवताओं की माता हैं। पुनर्वसु का अर्थ है "पुनः शुभ" या "प्रकाश की वापसी"-यह नक्षत्र नवीनीकरण, समृद्धि, आशा और आंतरिक शक्ति का प्रतीक है। इसका प्रतीक तरकश (quiver of arrows) है, जो नए प्रयास, दृढ़ संकल्प और जीवन में बार-बार उठ खड़े होने की क्षमता को दर्शाता है।
विशेषता | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 7 (सातवां) |
राशि सीमा | मिथुन 20°00' - कर्क 3°20' |
स्वामी ग्रह | बृहस्पति (गुरु) |
अधिष्ठाता देवी | अदिति |
प्रतीक | तरकश, बाण |
तत्व | वायु |
शुभ रंग | पीला |
शुभ रत्न | पुखराज |
पशु प्रतीक | बिल्ली |
पुनर्वसु का अर्थ है "पुनः शुभ"-अर्थात् बार-बार जीवन में प्रकाश और समृद्धि का लौट आना। देवी अदिति की कृपा से यह नक्षत्र हर कठिनाई के बाद नई शुरुआत, आशा और सकारात्मकता का प्रतीक बनता है। महाभारत के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म भी पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था, जिससे यह नक्षत्र और भी पवित्र और शुभ माना जाता है।
पाद | नवांश राशि | स्वामी ग्रह | मुख्य गुण/प्रवृत्ति |
---|---|---|---|
पहला | मेष | मंगल | ऊर्जा, साहस, प्रेरणा, नेतृत्व |
दूसरा | वृषभ | शुक्र | रचनात्मकता, भौतिक सुख, स्थिरता |
तीसरा | मिथुन | बुध | बुद्धिमत्ता, संचार, कल्पनाशीलता |
चौथा | कर्क | चंद्रमा | संवेदनशीलता, पोषण, मातृत्व |
क्षेत्र | अनुकूलता | कारण |
---|---|---|
शिक्षा, शोध, अध्यापन | ★★★★★ | ज्ञान, जिज्ञासा, विस्तारवादी सोच |
कला, संगीत, लेखन | ★★★★☆ | रचनात्मकता, कल्पनाशीलता |
मीडिया, संचार | ★★★★☆ | संवाद, अभिव्यक्ति, नेटवर्किंग |
व्यवसाय, वित्त | ★★★★☆ | विश्लेषण, रणनीति, निवेश क्षमता |
चिकित्सा, सेवा | ★★★★☆ | दया, सेवा, संवेदनशीलता |
अनुसंधान, विज्ञान | ★★★★☆ | विस्तारवादी दृष्टिकोण, जिज्ञासा |
विषय | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 7 (सातवां) |
राशि सीमा | मिथुन 20° - कर्क 3°20' |
स्वामी ग्रह | बृहस्पति (गुरु) |
अधिष्ठाता देवी | अदिति |
प्रतीक | तरकश, बाण |
शुभ रंग | पीला |
शुभ रत्न | पुखराज |
प्रमुख गुण | नवीनीकरण, आशावाद, रचनात्मकता, अनुकूलता |
करियर | शिक्षा, कला, मीडिया, विज्ञान, सेवा |
स्वास्थ्य | तंत्रिका तंत्र, गला, पेट, नींद |
जीवनशैली | संतुलन, साधना, दान, सेवा |
पुनर्वसु नक्षत्र जीवन में बार-बार नई शुरुआत, आशा, सकारात्मकता और नवीनीकरण का प्रतीक है। बृहस्पति और अदिति की कृपा से इसमें जन्मे जातक रचनात्मक, अनुकूलनीय, आध्यात्मिक और दयालु होते हैं। यह नक्षत्र हमें सिखाता है कि हर कठिनाई के बाद जीवन में प्रकाश लौटता है-बस धैर्य, विश्वास और सकारात्मकता बनाए रखें। पुनर्वसु: जहाँ हर अंत के बाद एक नई शुरुआत, हर अंधकार के बाद नया प्रकाश है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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