By पं. संजीव शर्मा
जानिए कैसे पुनर्वसु नक्षत्र के चार पाद जातक के स्वभाव, करियर, स्वास्थ्य और रिश्तों को अलग-अलग रूप देते हैं
पुनर्वसु नक्षत्र (मिथुन 20°00' से कर्क 3°20') वैदिक ज्योतिष का सातवाँ नक्षत्र है, जिसका अर्थ है "पुनः शुभ" या "प्रकाश की वापसी"। इसके चार पाद (चरण) जातक के व्यक्तित्व, करियर, स्वास्थ्य और जीवन पथ को अलग-अलग रंग देते हैं। प्रत्येक पाद का स्वामी ग्रह अलग है, जो जातक की ऊर्जा और जीवन अनुभवों में विविधता लाता है।
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पाद | डिग्री सीमा | नवांश राशि | स्वामी ग्रह | मुख्य प्रभाव |
---|---|---|---|---|
प्रथम | 20°00' - 23°20' | मेष | मंगल | ऊर्जा, साहस, नेतृत्व |
द्वितीय | 23°20' - 26°40' | वृषभ | शुक्र | भौतिक सुख, रचनात्मकता |
तृतीय | 26°40' - 30°00' | मिथुन | बुध | बुद्धिमत्ता, संचार कौशल |
चतुर्थ | 00°00' - 03°20' | कर्क | चंद्रमा | संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता |
ज्योतिषीय सुझाव: मूंगा धारण करने से आत्मविश्वास बढ़ेगा।
ज्योतिषीय सुझाव: सफेद मोती धारण करने से रिश्तों में मधुरता आएगी।
ज्योतिषीय सुझाव: हरा पन्ना धारण करने से बौद्धिक क्षमता बढ़ेगी।
ज्योतिषीय सुझाव: मोती धारण करने से भावनात्मक संतुलन मिलेगा।
"पुनर्वसु की यात्रा हर पाद में नए रंग जोड़ती है-जहाँ साहस, सुख, बुद्धि और संवेदना मिलकर जीवन को संपूर्ण बनाते हैं।"
यह ज्ञान जातक को अपनी शक्तियों को पहचानने, चुनौतियों का सामना करने और जीवन को सार्थक दिशा देने में मदद करता है। पुनर्वसु नक्षत्र: जहाँ हर पाद नई शुरुआत, नई संभावना और नया संतुलन लाता है।
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