By पं. संजीव शर्मा
वैदिक और पौराणिक दृष्टि से अदिति का चरित्र, विस्तार और पुनर्वसु नक्षत्र से संबंध
हिंदू वेदों और पुराणों में अदिति को “देवताओं की माता”, “असीम आकाश” और “संपूर्ण सृष्टि की जननी” के रूप में पूजा जाता है। पुनर्वसु नक्षत्र की अधिष्ठात्री देवी अदिति का चरित्र, उनका विस्तार और उनका संरक्षण, दया और पुनर्नवीनीकरण की शक्ति भारतीय आध्यात्मिकता का मूल आधार है। यह कथा न केवल ब्रह्मांड की उत्पत्ति, बल्कि हर जीवन में आशा, पुनरुत्थान और अनंत संभावना का संदेश देती है।
अदिति का नाम ही “असीम”, “अविनाशी” और “बंधनरहित” का प्रतीक है। वेदों में अदिति को आकाश, अनंतता, स्वतंत्रता और मातृत्व का साकार रूप माना गया है।
कल्पना कीजिए-अदिति, अनंत आकाश की देवी, अपने हृदय में सृष्टि की हर पीड़ा, हर आशा, हर संभावना को समेटे हुए हैं। जब भी देवता संकट में पड़े, अदिति ने तपस्या, दया और शक्ति से उन्हें पुनः स्थापित किया।
विषय | विवरण |
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अदिति का अर्थ | असीम, अनंत, बंधनरहित, स्वतंत्र |
मुख्य भूमिका | देवताओं की माता, सृष्टि की जननी |
प्रमुख संतान | बारह आदित्य (सूर्य, इंद्र, विष्णु आदि), अष्ट वसु |
प्रतीक | आकाश, गाय, फीनिक्स, मातृत्व, स्वतंत्रता |
शक्ति | संरक्षण, दया, पुनर्नवीनीकरण, क्षमा |
पुनर्वसु से संबंध | बार-बार प्रकाश, समृद्धि और शुभता का लौट आना |
अदिति और पुनर्वसु की कथा केवल देवी-देवताओं की कहानी नहीं, बल्कि हर जीवन में आशा, पुनरुत्थान और अनंत संभावना का संदेश है। अदिति का मातृत्व, उनकी दया और बार-बार प्रकाश लौटाने की शक्ति हमें सिखाती है कि हर कठिनाई के बाद जीवन में फिर से उजाला आता है। पुनर्वसु नक्षत्र-अदिति की ममता और आशा का वैदिक दीप-हर बार जीवन को नया आरंभ, नई ऊर्जा और नई दिशा देता है।
अनुभव: 15
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इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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