By पं. अभिषेक शर्मा
लग्न जातक के व्यक्तित्व, भाग्य और जीवन की दिशा बताता है, जानें इसका महत्व।

वैदिक ज्योतिष में लग्न (Ascendant) को जन्म कुंडली का केंद्र और आधार माना गया है। यह वह राशि है जो व्यक्ति के जन्म समय पूर्वी क्षितिज पर उदित हो रही होती है। लग्न से ही कुंडली का प्रथम भाव बनता है और बाकी सभी भाव उसी पर आधारित होते हैं। यही कारण है कि ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है - "लग्न बलवान तो भाग्य बलवान।"
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अर्थात, लग्न, सूर्य राशि और चंद्र राशि - इन तीनों का संयुक्त अध्ययन कुंडली का सटीक फलादेश देता है।
चंद्र राशि, सूर्य राशि और लग्न क्या हैं, जानने के लिए यहां क्लिक करें?
| पहलू | लग्न से मिलने वाली जानकारी |
|---|---|
| व्यक्तित्व | छवि, स्वभाव और आचरण |
| स्वास्थ्य | शारीरिक बनावट, रोग प्रतिरोधक क्षमता |
| भाग्य | अवसर और संघर्ष की स्थिति |
| सामाजिक छवि | समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा |
| विवाह | दांपत्य जीवन और स्थिरता |
जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर उदित राशि को लग्न कहते हैं।
लग्न जन्म समय की उदित राशि है, जबकि राशि चंद्रमा या सूर्य की स्थिति से तय होती है।
लग्नेश जीवन के संघर्ष, अवसर और भाग्य की दिशा तय करता है।
योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेकर उचित रत्न धारण करना और उपाय करना लाभकारी होता है।
नहीं, लग्न के बिना कोई भी ज्योतिषीय गणना अधूरी रहती है।
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मेरा लगन जानो
अनुभव: 19
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