By पं. अभिषेक शर्मा
चंद्र राशि मन बताती है, सूर्य राशि आत्मा को दर्शाती है और लग्न व्यक्तित्व को प्रकट करता है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में किसी भी व्यक्ति का जीवन केवल ग्रहों की स्थिति से ही नहीं बल्कि चंद्र राशि, सूर्य राशि और लग्न - इन तीन आधारों पर समझा जाता है। यही कारण है कि जब किसी कुंडली का विश्लेषण किया जाता है तो इन तीनों का संयुक्त अध्ययन अनिवार्य माना गया है। यह न केवल जातक के व्यक्तित्व और स्वभाव को स्पष्ट करता है बल्कि भाग्य, विवाह, करियर, स्वास्थ्य और सामाजिक छवि तक की झलक दिखा देता है।
जन्म के समय लग्न कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वही चंद्र राशि कहलाती है। चंद्रमा को मन, भावनाओं और मानसिक स्थिति का प्रतिनिधि ग्रह कहा गया है।
तालिका: चंद्र राशि और व्यक्तित्व
पहलू | जानकारी |
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मानसिक स्थिति | सोचने का तरीका और भावनात्मक संतुलन |
स्वभाव | मिलनसार, गंभीर, संवेदनशील या व्यवहारिक |
विवाह | संगति और दाम्पत्य सामंजस्य |
नामकरण | शिशु का नाम पारंपरिक रूप से चंद्र राशि के आधार पर |
विशेष: चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि बदलता है, इसलिए चंद्र राशि सूर्य राशि से अधिक व्यक्तिगत और सटीक मानी जाती है।
जन्म समय पर सूर्य जिस राशि में स्थित होता है वही सूर्य राशि होती है। सूर्य आत्मा और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यह व्यक्ति की इच्छाशक्ति, महत्वाकांक्षा और जीवन की दिशा तय करता है।
सूर्य राशि का विशेष महत्व
12 भावों में सूर्य का प्रभाव (संक्षिप्त सारणी)
भाव | परिणाम |
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प्रथम भाव | आत्मविश्वासी और प्रभावशाली व्यक्तित्व |
द्वितीय भाव | वाणी में तेज, परिवार और धन पर असर |
पंचम भाव | शिक्षा और संतान सुख |
सप्तम भाव | विवाह और साझेदारी पर प्रभाव |
दशम भाव | करियर, प्रशासनिक सफलता, मान-सम्मान |
द्वादश भाव | खर्च, विदेश यात्रा, त्याग और आध्यात्मिकता |
सूर्य यदि शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो आत्मबल और सफलता देता है, परंतु यदि शनि या राहु की दृष्टि हो तो संघर्ष और चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं।
जन्म समय पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदित हो रही होती है वही लग्न कहलाती है। यही कुंडली का प्रथम भाव बनता है।
तालिका: लग्न से जुड़ी जानकारियाँ
पहलू | जानकारी |
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व्यक्तित्व | बाहरी छवि और आचरण |
स्वास्थ्य | शारीरिक संरचना और रोग प्रतिरोधक क्षमता |
भाग्य | अवसर और चुनौतियाँ |
सामाजिक छवि | समाज में मान-सम्मान |
विवाह | दांपत्य जीवन की स्थिरता |
पहलू | चंद्र राशि | सूर्य राशि | लग्न |
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आधार | चंद्रमा की स्थिति | सूर्य की स्थिति | जन्म समय उदित राशि |
संकेत | मन, भावनाएँ और आंतरिक स्वभाव | आत्मा, महत्वाकांक्षा और जीवन की दिशा | बाहरी छवि, स्वास्थ्य और व्यक्तित्व |
महत्व | विवाह, नामकरण, मानसिक स्थिति | करियर, नेतृत्व और सामाजिक पहचान | जीवन की संपूर्ण दिशा और भाग्य |
परंतु इन तीनों का संयुक्त अध्ययन ही संपूर्ण फलादेश देता है।
जन्म समय पर चंद्रमा जिस राशि में स्थित हो वही चंद्र राशि होती है।
जन्म समय पर सूर्य जिस राशि में स्थित हो वही सूर्य राशि कहलाती है।
जन्म समय पूर्वी क्षितिज पर उदित राशि को लग्न कहा जाता है।
क्योंकि यह वर-वधु के आपसी सामंजस्य और दांपत्य सुख का संकेत देती है।
तीनों का अपना महत्व है, लेकिन सटीक भविष्यवाणी के लिए तीनों का संयुक्त अध्ययन आवश्यक है।
अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
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