By पं. अभिषेक शर्मा
राहु, श्राद्ध उपाय, पितृ दोष जप, काले तिल, तर्पण, दान, विदेशी भक्तों के लिए निर्देश
भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष का आरंभ हर साल जब भाद्रपद पूर्णिमा (7 सितंबर 2025) से होता है, तो वातावरण में एक अदृश्य ऊर्जा, आत्मीय संतुलन और वैदिक अनुशासन की लहर सी आ जाती है। अगले 15 दिनों तक पूर्वजों की आत्माएँ धरती पर आती हैं, वंशजों के प्रेम, तर्पण चित्र और श्रद्धा ग्रहण करती हैं। 21 सितंबर की सरवपितृ अमावस्या पर वे पुनः पितृ लोक लौटते हैं। इस बार 2025 के पितृ पक्ष में एक अद्भुत खगोलीय संयोग बन रहा है: राहु ग्रह का कुम्भ राशि (Aquarius) में गोचर।
पितृ पक्ष वैसे तो हर साल ऐसा समय है जब हर घर पर पुरखों की छाया, स्मृति और शक्ति रहती है। किंतु ज्योतिषशास्त्र में राहु, जो प्रेतात्मा, अतीत का ऋण, भ्रम और अकर्मन्यताओं का ग्रह है, जब कुम्भ राशि-जिसे सामूहिक कर्म, समाज, वंश और संचित कर्ज की राशि माना गया है-में स्थित होता है, तो पितृ दोष के प्रभाव काफी तेज हो सकते हैं। कुम्भ शनि का क्षेत्र है, लेकिन यहां राहु को अपूर्व शक्ति मिलती है।
स्थिति | अर्थ व प्रभाव |
---|---|
राहु कुम्भ में | कुल, समाज, सामूहिक ऋण, पितृ दोष उजागर |
श्राद्ध पक्ष | पिछली पीढ़ियों की आत्मा, वंशजों का चित्त शुद्धिकरण |
पितृ दोष का अर्थ है परिवार की कुंडली में कोई ऐसा बंधन, शाप, या अधूरा कर्म जिसमें पूर्वजों की आत्माएँ संतुष्ट न हों। इसके कारण विवाह में विलंब, संपत्ति विवाद, संतान बाधा, लगातार बीमारी, मानसिक तनाव, धन की कमी, परिवार में अशांति, बार बार दुर्घटना या विवाद होना आदि समस्याएँ आती हैं। पितृ दोष अक्सर राहु और केतु के अशुभ योग, सूर्य अथवा चंद्र के साथ युति, या नौवें, पांचवें भाव में राहु के स्थित होने से बनता है।
संकेत | ज्योतिषीय संबंध |
---|---|
बार-बार विघ्न | राहु-केतु अशुभ स्थिति |
वंश बाधा, संतान दोष | पितृ दोष, पंचम-नवम भाव योग |
बार-बार रोग/कलह | राहु/केतु, सूर्य-चंद्र का अशुभ संबंध |
कुम्भ का सीधा संबंध समाज, वंश, सामूहिक कर्म और बड़े कर्ज से है। राहु यहां आकर पुरानी पीढ़ियों के अधूरे मसले, संचित दोष, जिन्हें अब तक सुलझाया नहीं गया है, उन्हें उजागर करता है। अक्सर परिवार में पुराने विवाद, बिखराव, या अचानक सिर उठा लेने वाली समस्याएँ पितृ पक्ष में ज्यादा दिखती हैं। यह समय पितृ पूजन के लिए चुनौती भी है, परंतु उपायों का सबसे प्रभावी काल भी बनता है, क्योंकि जब राहु सामूहिक दोष को ऊपर लाता है, उसी समय तर्पण, पिंडदान, मंत्र-जप और दान आदि सबसे शीघ्र फल देते हैं।
हर दिन प्रातः तर्पण के जल में काले तिल मिलाकर पूर्वजों को अर्पण करें। यह राहु को शांत करता है और आत्मा को तृप्ति देता है।
शुद्ध घी, तिल, चावल से बने पिंड बनाएं। गायत्री मंत्र, “ॐ पितृभ्यः नमः” और राहु मंत्र “ॐ राम राहवे नमः” के साथ पिंड अर्पण करें। यह राहु-केतु दोनों का प्रभाव घटाता है।
राहु के दूषित प्रभाव को शांत करने के लिए इन तीनों को भोजन कराना अत्यंत प्रभावी है। पंचबली अर्पण-घर के तकल्लुफ़ से मुक्त होकर, भक्ति से करें।
कपड़े, अन्न, घी, कम्बल, तिल, अन्न, दूध, शक्कर, काले वस्त्र गरीब या ब्राह्मण को दें। यह राहु की ऋणात्मक हलचल को संतुलित करता है।
रोज़ “ॐ पितृभ्यः नमः”, “ॐ रां राहवे नमः”, “ॐ केम केतवे नमः” (केतु शांति के लिए) जपें। शाम को दक्षिण दिशा की ओर घी का दीपक जलाएँ।
तामसिक भोजन, मदिरा, विलास, अनावश्यक खरीददारी, शुभ कार्य, शोर, उत्सव-सबसे बचें। घर में शांति, साधुता और भक्ति रखें।
यदि संभव हो तो गया, तिरुम्बकेश्वर, कुक्के सुब्रमण्य, श्रीकालहस्ती जैसे प्रतिष्ठित पितृ/राहु शांति स्थल जाएँ। विदेश में हों तो घर ही पर्याप्त है।
उपाय | राहु-पितृ दोष लाभ |
---|---|
काले तिल से तर्पण | राहु, पितृ दोष शमन |
दान-सेवा | परिवार, समाज वानी का संतुलन |
दीपक, मंत्र | पूर्वजों की आत्मा को उज्जीवन, कलह घटाना |
पंचबली अर्पण | वंश, ग्रह व पशु जगत की एकता |
श्राद्ध, तर्पण और पितृ पूजन का महत्व स्थान से अधिक श्रद्धा से है। विदेश में भी काले तिल का तर्पण, पिंडदान, साधारण चावल-घी भोग, किसी जरूरतमंद को भोजन, पशुओं को दान-सबकुछ उतना ही असरकारी होता है। ब्राह्मण की जगह किसी अभावग्रस्त को भोजन दें, बस मन में पितृ स्मरण जरूरी है।
प्रश्न 1: क्या राहु कुम्भ में पितृ दोष को अधिक उभारता है?
उत्तरा: हाँ, क्योंकि यह काल बड़ा सामूहिक, वंशीय और कर्म शोधन का काल है।
प्रश्न 2: क्या इसी समय पितृ शांति उपाय का प्रभाव अधिक मिलता है?
उत्तरा: हाँ, जब दोष तेज हो तब किए गए श्राद्ध, तर्पण और मंत्र का प्रतिफल भी तेज होता है।
प्रश्न 3: क्या विदेश में श्राद्ध या तर्पण चल सकता है?
उत्तरा: बिल्कुल, शुद्ध मन, तिल, जल, भोग, दीया और दान-सब घर में भी करें।
प्रश्न 4: कौन सा विशेष मंत्र राहु-पितृ दोष में श्रेष्ठ है?
उत्तरा: “ॐ पितृभ्यः नमः”, “ॐ राम राहवे नमः”, “ॐ केम केतवे नमः”।
प्रश्न 5: अगर घर में लगातार रोग, विवाद, असंतुलन हो तो क्या करें?
उत्तरा: पितृ पक्ष में श्राद्ध-तर्पण, कुटुंब पूजा, सात्विक भोजन और प्रतिदिन दीपक, तिल/धान दान करें।
कुम्भ राशि में राहु पितृ दोष को त्वरित करता है, पर साथ ही, पितृ पक्ष जैसे काल में 'दावा-उपाय' का सर्वश्रेष्ठ मेल भी रचता है। भाग्य, संस्कार, कर्म और शांति-सब मिलाकर इस काल में परिवार को पितृकृपा, अनुभव और संतुलन का सच्चा मार्ग मिलता है।
अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें